सवाल: इस साल फरवरी में मेरी शादी हुई है। मेरे हसबैंड दिल्ली में जॉब करते हैं और मैं इंदौर में एक टेक कंपनी में काम करती हूं। अब मुझ पर ये दबाव बन रहा है कि मैं अपनी जॉब छोड़कर दिल्ली चली जाऊं। मैं अपने हसबैंड को कैसे समझाऊं कि मेरा करियर मेरे लिए इंपॉर्टेंट है। मैं उनका कन्सर्न भी समझ रही हूं, पर मुझे ये नहीं समझ आ रहा है कि मैं अपनी बात कैसे समझाऊं। एक्सपर्ट: डॉ. अपर्णा माथुर, कपल थेरेपिस्ट, बेंगलुरु जवाब: आप जिस समस्या से जूझ रही हैं, वह आज की तारीख में इस देश में बहुत सारी लड़कियों की समस्या है। लड़कियों को एजुकेशन मिली है, उनके पास डिग्री है, काबिलियत है। उनके सामने करियर नाम की नई दुनिया के दरवाजे खुले हैं। इसके जरिए वे अपने लिए और परिवार के लिए संभावनाओं के नए दरवाजे खोल सकती हैं। इसके बावजूद वर्किंग वुमन के लिए चुनैतियां भी कम नहीं हैं। नहीं लड़ सकते आर-पार की लड़ाई हमारा समाज अभी वर्किंग वुमन कॉन्सेप्ट को एक्सेप्ट करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। खासतौर पर जब ऐसी समस्याएं पारिवारिक होती हैं या शादी के करीबी संबंधों में होती हैं तो हम बहुत आर-पार की लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं। वरना एक चीज पीछे छूट जाएगी। इसलिए हमें बीच का एक संतुलित रास्ता निकालना होता है। दोनों पक्षों को समझना जरूरी सबसे पहले तो ये समझना होगा कि आपकी मांग ज्यादा वाजिब है या आपके हसबैंड की। यह भी हो सकता है कि दोनों लोगों की बातें और तर्क अपनी-अपनी जगह पर सही हों। आप अपनी नौकरी नहीं छोड़ना चाहती हैं, क्योंकि भविष्य और करियर के लिए कंटीन्यूटी जरूरी है। वहीं हसबैंड ये नहीं चाहते हैं कि आप दोनों नई-नई शादी के बाद अलग-अलग शहरों में एक-दूसरे से दूर रहें। निकालें बीच का रास्ता अब दोनों लोगों को तर्कों की मदद से बीच का रास्ता निकालना होगा। सबसे पहले तो ये ध्यान रखना होगा कि हमें बीच का रास्ता चुनने में क्या गलतियां नहीं करनी हैं। एक भी गलती से समस्या और पेचीदा हो जाएगी अगर फैसला लेते समय आपने इनमें से कोई भी गलती की तो समस्या पहले से भी ज्यादा पेचीदा हो जाएगी। इससे बात रबर की तरह खिंचकर ज्यादा बड़ी हो जाएगी। हेल्दी बातचीत से निकलेगा हल किसी भी समस्या का हल हमेशा कम्युनिकेशन से निकलता है। उसमें भी जरूरी है कि ये नॉन वॉयलेंट कम्युनिकेशन होना चाहिए। बातचीत हेल्दी होनी चाहिए। इसका मतलब है कि जितनी शिद्दत से आप अपना पक्ष समझा रहे हैं, जरूरी है कि सामने वाले शख्स की बात भी उतनी ही तसल्ली से सुनें। तर्क के साथ रखें अपना पक्ष किसी भी बातचीत में अपना पक्ष मजबूती से रखना है तो इसे तर्कसंगत तरीके से रखें। आप सवाल में अपनी जो कंडीशन बता रही हैं, उसके हिसाब से अपना पक्ष रखते समय ये तर्क शामिल करें। ध्यान रखें, अपनी बात रखते समय बहुत एग्रेसिव न हों और न ही बहुत डरकर गिल्ट में बात रखें। दूसरे की बातें सुनना, उतना ही जरूरी किसी भी हेल्दी बातचीत में जितना जरूरी अपनी बात रखना है, उतना ही आवश्यक है, सामने वाले पक्ष की बातें सुनना। असल में सामाधान का रास्ता यहीं से निकलता है। आपके केस में हसबैंड के ये वाजिब तर्क हो सकते हैं। इसलिए उन्हें सुनना जरूर है। क्या वो आप पर नौकरी छोड़ने का दबाव इन कारणों से बना रहे हैं– ये सारे कारण वाजिब हैं, लेकिन यहां कुछ और बातों पर गौर करना भी जरूरी है। देखिए, आज भी हमारे देश की हकीकत यही है कि पुरुषों की नौकरी और उनकी कमाई महिलाओं से ज्यादा कीमती मानी जाती है। आपके केस में भी ऐसा हो सकता है, हालांकि आपने इस बारे में ज्यादा कुछ बताया नहीं है। अगर ऐसा है भी तो आपको बहुत धैर्य, समझदारी और तर्क के साथ अपना पक्ष रखना होगा। आपको उन्हें समझाना और कन्विंस करना होगा कि आपकी नौकरी क्यों जरूरी है और तुरंत नौकरी छोड़ने की बजाय दोनों को मिलकर दिल्ली में नई नौकरी ढूंढने के लिए हाथ-पैर मारना चाहिए। अपना पक्ष समझाएं, तर्क करें, लेकिन मेरा स्ट्रांग सुझाव यही है कि नौकरी न छोड़ें। यह सिर्फ थोड़े समय की बात है। आपको दिल्ली में नई जॉब मिल जाएगी। यहां बात किसी की जीत-हार की नहीं है। यह बात रिश्ते के वर्तमान और भविष्य की है। इसका मतलब है कि आप आज जो भी फैसला लेंगे, आपका भविष्य उसी बुनियाद पर तैयार होगा। हो सकते हैं ये संभावित विकल्प वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मॉडल: क्या आपकी कंपनी आपको रिमोट वर्क या हाइब्रिड ऑप्शन दे सकती है? क्या आपके हसबैंड कुछ वक्त के लिए वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मॉडल में काम कर सकते हैं? लॉन्ग डिस्टेंस अरेंजमेंट: कम-से-कम कुछ समय के लिए लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को एक्सप्लोर करें और देखें कि क्या यह मैनेज हो सकता है। क्या हसबैंड को इंदौर में जॉब मिल सकती है: जैसे आप अपने लिए दिल्ली में नई नौकरी ढूंढ रही हैं, वैसे ही क्या आपके हसबैंड भी इंदौर में अपने लिए जॉब ढूंढ सकते हैं। दोनों को मिलकर इस काम में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, मार्केट रिसर्च करनी चाहिए और बेहतर संभावना ढूंढनी चाहिए। 1. एक समय सीमा तय करें अगर दिल्ली जाने का विचार है, तो इसमें जल्दबाजी न करें। कुछ महीनों का या एक साल का समय लें। इस दौरान दोनों अपने-अपने करियर को स्टेबल करने की कोशिश करें और फिर देखें क्या करना सही है। 2. परिवार का सपोर्ट लें अगर हसबैंड को आपके करियर को लेकर समझाने में दिक्कत हो रही है, तो किसी ऐसे करीबी रिश्तेदार जैसे- उनके माता-पिता, बड़े भाई-बहन से मदद लें, जो समझदार हों और संतुलित राय रख सकते हों। 3. इमोशनल और प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाएं सिर्फ इमोशनल या सिर्फ लॉजिकल होकर बात करने के बजाय दोनों का बैलेंस बनाएं। उन्हें यह समझ आना जरूरी है कि यह केवल आपकी जिद नहीं है, बल्कि आपके भविष्य और आत्मनिर्भरता भी इससे जुड़ी है। यह सबकुछ आप दोनों के लिए और आपके भविष्य में होने वाले बच्चे के लिए बेहतर है। …………………………… रिलेशनशिप एडवाइज का ये आलेख भी पढ़िए
रिलेशनशिप एडवाइज- 6 महीने ब्रेकअप के बाद लौटी एक्स गर्लफ्रेंड: कई लड़कों को डेट करने के बाद चाह रही वापसी, क्या दोबारा मौका देना चाहिए? यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में 70% से ज्यादा शुरुआती रिलेशनशिप 1 साल से पहले ही टूट जाते हैं। पूरा आलेख पढ़िए…
रिलेशनशिप एडवाइज- 6 महीने ब्रेकअप के बाद लौटी एक्स गर्लफ्रेंड: कई लड़कों को डेट करने के बाद चाह रही वापसी, क्या दोबारा मौका देना चाहिए? यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में 70% से ज्यादा शुरुआती रिलेशनशिप 1 साल से पहले ही टूट जाते हैं। पूरा आलेख पढ़िए…