रिलेशनशिप एडवाइज: हमारा बेटा बड़े-बुजुर्गों से सीख रहा गलत बातें:उन्हें कैसे समझाएं कि वे बच्चे के सामने न करें जाति–धर्म की बातें

सवाल: मैं और मेरे पति दोनों दिल्ली में रहते हैं। मेरे पति कॉर्पोरेट जॉब करते हैं और मैं आर्टिस्ट हूं। हमने इंटर-कास्ट शादी की थी, जिसके लिए दोनों के घरवाले शुरू में तैयार नहीं थे, लेकिन फिर मान गए। हमारा एक 5 साल का बेटा है। दोनों परिवार अच्छे हैं, लेकिन थोड़े कंजरवेटिव सोच वाले भी हैं। हमारा बेटा अपने दादा–दादी और नाना–नानी, दोनों से काफी अटैच्ड है। लेकिन अभी हाल ही में कुछ ऐसा हुआ, जिसने हमें चिंतित कर दिया है। एक दिन हम सब टीवी देख रहे थे। तभी मेरे बेटे ने स्क्रीन की तरफ इशारा करके कहा, “मुसलमान…. पापा, ये मुसलमान है… ये लोग अच्छे नहीं होते।” ये सुनकर हम हैरान रह गए, क्योंकि हमारे घर में ऐसी बात कोई नहीं करता। हमने उसके सामने कभी हिंदू–मुसलमान शब्द भी नहीं बोला, फिर उसने ये कहां से सीखा। काफी पूछने पर पता चला कि उसने दादाजी को ये बोलते हुए सुना था। वो किसी से कह रहे थे। हालांकि हम दोनों के ही पैरेंट्स जाति, धर्म को लेकर प्रॉब्लमैटिक बातें बोलते रहते हैं। हमें डर है कि हमारे बेटे पर इसका गलत असर पड़ेगा। इन विषयों पर हमारी समझ बहुत साफ है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे में कोई पूर्वाग्रह न हो और वह सबका सम्मान करे। हम बच्चे को उसके ग्रैंडपेरेंट्स से दूर भी नहीं करना चाहते, लेकिन उन्हें ये समझाना भी मुश्किल है कि वो बच्चे के सामने ऐसी बातें न करें। हमारे लिए ये एक बड़ी फिक्र है कि बच्चे में किसी तरह का भेदभाव या पूर्वाग्रह न आए। हम क्या करें। अपने माता–पिता को कैसे समझाएं? एक्सपर्ट: अदिति सक्सेना, काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट, भोपाल जवाब: आपकी चिंता बिल्कुल जायज है। आपने उस बारीक रेखा को पहचाना है, जहां प्यार और संस्कार के साथ अनजाने में पूर्वाग्रह भी बच्चे के मन में घुल सकते हैं। सबसे पहले खुद को क्रेडिट दीजिए कि आपने इस बात को नोटिस कर लिया है। बहुत से लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। इससे पता चलता है कि आप सजग अभिभावक हैं। अब सवाल है कि क्या करें? क्या बच्चों को उनके दादा-दादी या नाना-नानी से दूर कर दें? या फिर उनसे संवाद करें और उन्हें अपना पॉइंट समझाने की कोशिश करें। सही रास्ता यही है कि मां बाप से इस बारे में प्यार से और खुलकर बात की जाए। प्यार, सम्मान और अपनेपन की बातें ऐसी होती हैं कि अगर सही ढंग से, धैर्य और शांति से समझाई जाएं तो किसी को समझ में आती हैं। और वो तो आपके माता–पिता हैं। वे आपसे और आपके बच्चे से प्यार करते हैं। हो सकता है कि उनके ख्यालात पुराने हों, लेकिन अगर एक बार उन्हें यह शांति से समझाया जाए कि हमें बच्चे के सामने किसी तरह की भेदभाव वाली भाषा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए तो संभव है कि यह बात उन्हें समझ में आएगी। बच्चे का दिमाग एक सफेद कैनवास है 5 साल के बच्चे की दुनिया एक सफेद कैनवास की तरह होती है, जिस पर जो भी बातें लिखी जाती हैं, वह गहरे रंग में छप जाती हैं। वे अपने आसपास सुनी हर बात को अटल सत्य मान लेते हैं। वे अनुभवों और भावनाओं को बिना फिल्टर किए आत्मसात करते हैं। परिवार, स्कूल, टीवी, कहानियां, हर जगह से मिल रहे मैसेज उनकी सोच का हिस्सा बन जाते हैं। जैसा आपने सवाल में कहा है कि बच्चे के मन में पूर्वाग्रह बन रहा है। ये बातें इसी तरह बिना सोचे-समझे उसके दिमाग में चली गईं। वो बातें जो बच्चे से नहीं करनी चाहिए अगर बच्चे की सोच में कोई पूर्वाग्रह दिखा है तो यह समझने की जरूरत है कि इसमें बच्चे की कोई गलती नहीं है। वो सिर्फ आसपास सुनी बातें ही दोहरा रहा है। इसलिए बच्चे से प्यार और धैर्य से बात करिए। दादा-दादी की भी कोई गलती नहीं आपने सवाल में बताया है कि दादा-दादी ने बच्चे को ऐसी कोई बात सिखाई नहीं है। बच्चे ने उनके बीच हो रही बातों से सुनकर यह सीखा। इसका मतलब है कि उनका ऐसा कोई इंटेंशन नहीं है कि बच्चे के मन में पूर्वाग्रह बने। हां, शायद उनमें यह समझदारी नहीं है कि बच्चे हमारी सारी बातें सुनते और उससे सीखते हैं। इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम उनके आसपास क्या बातें कर रहे हैं। माता–पिता से संवाद ही एकमात्र रास्ता आपने सवाल में यह भी बताया है कि आपने इंटरकास्ट शादी की है। अगर आपके पेरेंट्स ने कंजर्वेटिव होने के बावजूद आपके रिश्ते को एक्सेप्ट किया तो इससे एक बात तो साफ है। हां, वो थोड़ा पुराने ख्यालों के हैं, लेकिन वो अपने बच्चों से प्यार भी करते हैं। और उनके साथ बातचीत करने, उन्हें समझाने की गुंजाइश बाकी है। बच्चे के ग्रैंडपेरेंट्स से कहें ये 5 बातें 1. बच्चे ने आपकी बातचीत में जो सुना, उसका असर उसकी सोच पर पड़ रहा है। आपने कुछ भी गलत नहीं सिखाया, लेकिन बच्चा बातों को बिना समझे आत्मसात कर रहा है। 2. हमने काउंसलर से बात की तो उन्होंने बताया कि इस उम्र में बच्चे हर बात को सच मान लेते हैं। इसलिए उसके सामने जो भी कहें या करें, उसे लेकर सचेत रहें। 3. वह आपसे प्यार-मोहब्बत सीख रहा है। इसलिए हम चाहते हैं कि वह आपके साथ वक्त बिताए और काइंडनेस सीखे। 4. छोटी सी कोशिश करें कि बच्चे के सामने धर्म या जाति से जुड़ी कोई भी बात न करें, ताकि जाने-अनजाने में उसके मन में कोई पूर्वाग्रह न बने। 5. आपने हमारी शादी को बहुत प्यार और खुशी से अपनाया है। हमें यकीन है कि आप इस बात को भी समझेंगे। हम सब मिलकर बच्चे को बेहतर परवरिश दे सकते हैं। आपके सिखाए मूल्य हों सबसे ताकतवर अभी तो आपके बेटे की उम्र बहुत कम है। वह जैसे-जैसे बड़ा होगा, स्कूल में टीचर्स और दोस्तों से मिलेगा। स्पोर्ट्स और म्यूजिक क्लास में उसके कई दोस्त बनेंगे। बाहरी दुनिया में वो बहुत सी ऐसी बातें सुनेगा, सीखेगा, जो हम नहीं चाहते कि हमारा बच्चा सीखे। ऐसे में उसकी सोच पर सबसे अधिक इंफ्लुएंस इस बात का होगा कि उसने बचपन में क्या सीखा है और वह रोज अपने घर में क्या सीखता है। आप बहुत अच्छे से अपने बच्चे की परवरिश कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि आप जैसे समझदार और सजग पेरेंट्स के साथ वह कभी पूर्वाग्रह और भेदभाव का पाठ नहीं सीख सकता। जो एक छोटी सी चुनौती आपके सामने आई है, उसे बहुत आसानी से हल किया जा सकता है। ………………………… ये खबर भी पढ़िए… रिलेशनशिप एडवाइज- 6 महीने ब्रेकअप के बाद लौटी एक्स गर्लफ्रेंड:कई लड़कों को डेट करने के बाद चाह रही वापसी, क्या दोबारा मौका देना चाहिए? सवाल: मेरा 3 साल लंबा रिलेशनशिप था, जो 6 महीने पहले खत्म हो गया। जब वह मुझसे दूर हुई तो मैंने उससे वापस लौटने के लिए बहुत मिन्नतें की, मैं महीनों उसे चेज करता रहा, जिसे लेकर अब मुझे बहुत बुरा महसूस होता है। किसी तरह 6 महीने की लंबी कोशिश के बाद जब मैं फाइनली उस रिश्ते से बाहर आ चुका हूं तो वह वापस लौटना चाहती है। हम दोनों एक ही शहर में रहते हैं और फ्रेंड सर्किल कॉमन है तो मैं जानता हूं कि वह इस बीच कई और लड़कों को डेट भी कर चुकी है। मुझे क्या करना चाहिए? पूरी खबर पढ़िए…