क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपके पास ढेरों विकल्प मौजूद हों? इसके बावजूद आप कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं कि आपको क्या करना है। मान लीजिए आप फिल्म देखने के लिए नेटफ्लिक्स खोलते हैं। आपके पास हजारों फिल्मों के विकल्प मौजूद हैं, इसके बावजूद कोई फिल्म नहीं देख पाते हैं। वजह सिर्फ यह रही कि जो फिल्म आपको दिखी, आपने सोचा कि इस फिल्म से अच्छी फिल्म देखते हैं। इसी चक्कर में आपका टाइम खराब हो जाता है। दरअसल, यह आदत फिल्म देखते समय ही नहीं, बल्कि हर जगह देखने को मिलती है। चाहे वह नौकरी चुनने की बात हो, किसी कोर्स में दाखिले की बात हो या फिर छुट्टियां मनाने के लिए कहीं जाना हो। यह समस्या आपको जीवन में हर जगह दिखती है। ऐसे में आज रिलेशनशिप में जानेंगे कि- FOBO की समस्या क्या है? FOBO (Fear of Better Options) एक ऐसी मानसिक स्थिति है। इसमें आपको हमेशा यह डर लगाता है कि कहीं कोई बेहतर विकल्प मौजूद न हो। इस डर के कारण आप कोई भी फैसला लेने में हिचकिचाते हैं, क्योंकि आपको लगता है कि अगर आपने अभी कोई विकल्प चुन लिया तो आप किसी बेहतर अवसर को खो सकते हैं। FOBO की समस्या से क्या नुकसान हो सकता है? FOBO आपको वर्तमान का आनंद लेने से रोकता है। इसकी वजह से आप हमेशा भविष्य की अनिश्चितताओं में उलझें रहते हैं, जिससे आपके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे कई नुकसान हो सकते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते है। आइए ग्राफिक्स को विस्तार से समझते हैं। फैसला लेने में देरी और अवसर चूकना: FOBO के कारण आप सही समय पर कोई निर्णय नहीं ले पाते, जिसके चलते कई अच्छे अवसर आपके हाथ से निकल जाते हैं। चाहे वह नौकरी का ऑफर हो, निवेश का मौका हो या कोई और लक्ष्य। देर करने से आप उन फायदों से वंचित रह सकते हैं, जो आपको मिल सकते थे। स्ट्रेस और एंग्जाइटी की वजह: हमेशा यह सोचते रहना कि कहीं कोई और बेहतर विकल्प न हो, मानसिक रूप से थका देने वाला होता है। लगातार अनिश्चितता आपको तनावग्रस्त और चिंतित महसूस करा सकती है। पछतावा: जब आप कोई फैसला नहीं ले पाते या देर से लेते हैं, तो बाद में आपको पछतावा हो सकता है कि आपने पहले यह कदम क्यों नहीं उठाया या कोई और विकल्प क्यों नहीं चुना। इससे जिंदगी पछतावे में गुजरती है। समर्पण की कमी: अगर आप हमेशा यह सोचते रहेंगे कि शायद कोई और बेहतर विकल्प है, तो आप अपने वर्तमान निर्णय या रिश्ते के प्रति पूरी तरह से समर्पित नहीं हो पाएंगे। इससे आपके रिश्तों में और आपके द्वारा चुने गए रास्तों में अस्थिरता आ सकती है। समय और ऊर्जा की बर्बादी: हर विकल्प पर अत्यधिक विचार करना और उसके बारे में विश्लेषण करना समय और ऊर्जा की बर्बादी है। FOBO के कारण आप अनावश्यक रूप से बहुत ज्यादा सोचते हैं, जिससे आप थक जाते हैं और जरूरी कामों पर ध्यान नहीं दे पाते। निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होना: लगातार टालमटोल और अनिश्चितता के कारण आपकी निर्णय लेने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर हो सकती है। मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव: लंबे समय तक FOBO की समस्या बने रहने से यह चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। इससे निजात कैसे पाएं? FOBO से निजात पाने के लिए कम महत्वपूर्ण फैसलों के साथ शुरुआत करें। तुरंत निर्णय लेने का अभ्यास करें। जब आप छोटे फैसलों में अधिक आत्मविश्वास महसूस करने लगें, तो बड़े फैसलों पर काम करें। इन रणनीतियों को अपनाकर आप धीरे-धीरे FOBO की पकड़ को कम कर सकते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आत्म-जागरूकता बढ़ाएं: सबसे पहले, यह पता करें कि आपको FOBO की दिक्कत है या नहीं। यह देखें कि कब और किन हालातों में आपको यह डर लगता है कि कहीं कोई अच्छा मौका तुम्हारे हाथ से न निकल जाए। अपने फैसले करने की आदत पर ध्यान दें। इस बात ध्यान दें कि क्या आप छोटे-छोटे फैसलों के लिए ज्यादा वक्त लेते हैं। मूल्यों और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करें: जीवन में आपके लिए वास्तव में क्या मायने रखता है, यह समझें। आपके व्यक्तिगत मूल्य क्या हैं? जब आप किसी निर्णय पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हों, तो देखें कि कौन सा विकल्प आपके मूल्यों के सबसे करीब है। ‘गुड एनफ’ पर ध्यान दें: यह स्वीकार करें कि हर स्थिति में सर्वोत्तम विकल्प खोजना संभव नहीं है और इसकी तलाश में अनिश्चित काल तक फंसे रहना नुकसान पहुंचा सकता है। गुड एनफ के विचार को अपनाए। ऐसा विकल्प चुनें जो आपकी जरूरतों को पूरा करता हो और संतोषजनक हो, भले ही वह बेस्ट न लगे। जानकारी सीमित करें: विकल्पों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने से बचें, खासकर छोटे-मोटे फैसलों के लिए। एक निश्चित समय सीमा तय करें जिसके भीतर आपको जानकारी एकत्र करनी है और फिर निर्णय लेना है। निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल बनाएं: छोटे फैसलों के लिए त्वरित निर्णय लेने के नियम बनाएं। उदाहरण के लिए, अगर दो विकल्प हैं और आप तय नहीं कर पा रहे हैं, तो सिक्का उछालकर फैसला कर सकते हैं। कई बार सिक्का हवा में होता है तो आपका मन एक फैसला ले चुका होता या आपकी इच्छा किसी एक फैसले को लेकर होती है। आपको ठीक लगे तो आप इस तरह फैसला ले सकते हैं। समय सीमा निर्धारित करें: हर निर्णय के लिए एक समय सीमा तय करें। खुद को एक निश्चित समय दें जिसके भीतर आपको फैसला लेना ही है। अपने विकल्पों का मूल्यांकन करें: प्रत्येक संभावित विकल्प के फायदे और नुकसान की एक सूची बनाएं। दीर्घकालिक परिणामों पर ध्यान दें, न कि केवल तात्कालिक लाभ पर। दूसरों से सलाह लें, लेकिन ज्यादा नहीं: विश्वसनीय दोस्तों, परिवार के सदस्यों या सलाहकारों से राय लेना मददगार हो सकता है। हालांकि, अंत में फैसला आपका ही होना चाहिए। बहुत ज्यादा लोगों से सलाह लेने से भ्रम बढ़ सकता है। अपने फैसलों पर भरोसा करें: एक बार जब आप कोई फैसला ले लेते हैं, तो उस पर विश्वास रखें और आगे बढ़ें। लगातार यह सोचते रहना कि क्या कोई और बेहतर विकल्प था, FOBO को बढ़ावा देता है। वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें: भविष्य के संभावित बेहतर विकल्पों के बारे में चिंता करने के बजाय वर्तमान में अपने द्वारा चुने गए विकल्प के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करें।