रिलेशनशिप- क्या आपको दोस्ती करने में मुश्किल होती है:5 वजहों से हो सकती परेशानी, साइकोलॉजिस्ट से जानें दोस्ती करने के 4 तरीके

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में कई सारी भावनाओं, यादों और फीलिंग्स को समेटे हुए है। बचपन की शरारतें, जवानी की बेफिक्री और हर उम्र में साथ देने वाला एक हाथ, यही दोस्ती का असली मतलब है। हमने कृष्ण और सुदामा के दोस्ती की कहानी खूब सुनी है। साथ ही शोले फिल्म के काल्पनिक किरदार ही सही, लेकिन जय-वीरू की दोस्ती की मिसाल दी जाती है। क्या आपका भी ऐसा कोई दोस्त है? यह सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों को दोस्ती करने में मुश्किल होती है। नए लोगों से मिलने का डर, बातचीत शुरू करने में झिझक और खुद को दूसरों के सामने व्यक्त न कर पाना, इन सारी वजहों से दोस्ती करने में मुश्किल होती है। साथ ही आज के समय में हर कोई स्मार्टफोन और इंटरनेट की दुनिया में मशगूल है। ऐसे लोग सोशल मीडिया के जरिए तो पूरी दुनिया से जुड़े होते है, लेकिन असल जिंदगी में अक्सर अकेलेपन से जूझ रहे होते हैं। अमेरिकन रिसर्च इंस्टीट्यूट यूगोव की एक स्टडी के मुताबिक, 22% मिलेनियल्स का कोई दोस्त नहीं हैं। मिलेनियल्स यानी ऐसे लोग, जो साल 1981 से लेकर 1996 के बीच पैदा हुए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक मिलेनियल्स सबसे ज्यादा अकेलेपन का शिकार हैं। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- दोस्ती करने में मुश्किल क्यों होती है? कुछ लोग अपने पुराने अनुभवों के आधार पर नए रिश्ते बनाने में संकोच करते हैं। वहीं, कुछ लोग दोस्ती करने और उसे बनाए रखने के लिए जरूरी प्रयास नहीं करते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया की एक स्टडी के मुताबिक, दोस्ती न कर पाने की सबसे बड़ी वजह शर्मीलापन है। आइए इसके अन्य कारणों को भी ग्राफिक के जरिए समझते हैं। घबराहट की वजह से दोस्ती करने में मुश्किल कुछ लोगों को नए लोगों से मिलने में घबराहट महसूस होती है। जब हम नर्वस होते हैं तो किसी से बात करना मुश्किल काम लगता है। मन में शंका होती है कि लोग हमें पसंद नहीं करेंगे या हमारा मजाक उड़ाएंगे। धीरे-धीरे यह आदत हमारे व्यवहार में आ जाती है, जिसकी वजह से हमेशा यह डर बना रहता है। इस डर की वजह से हम नए दोस्त बनाने से डरते हैं। दोस्ती के साथ आने वाली समस्याएं भी वजह कई बार हमारे सामने दोस्ती करने के मौके आते हैं, इसके बावजूद हम दूर भागते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि हम दोस्त बनाने की मुश्किलों और उसके साथ आने वाली परेशानियों से बचने की कोशिश करते हैं। ऐसे मामलों में कई बार पुरानी दोस्ती के खराब अनुभव भी बड़ी वजह बनते हैं। ऐसे में हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या ऐसा करना सही है? ढेर सारे दोस्त बनाकर पॉपुलर होने की चाह कई बार हम अपने आप पर ढेर सारे दोस्त बनाने का दबाव डाल लेते हैं। हमें लगता है कि जितने सारे दोस्त होंगे, लोग हमें उतना ही जानेंगे। हालांकि, ऐसे समय में हमें सोचना चाहिए कि क्या हमें कई सारे दोस्तों की भीड़ चाहिए? या कुछ ऐसे दोस्त चाहिए जो सुख-दुख में हमारे साथ हों, जो हमें समझें और हम पर विश्वास करें? कभी-कभी, एक या दो सच्चे दोस्त ही काफी होते हैं। वो आपको खुशी और मुश्किल घड़ी में हिम्मत देते हैं। साथ ही आपकी जिंदगी को खूबसूरत बनाते हैं। ढेर सारे दोस्त होने के बजाय, अच्छी और सच्ची दोस्ती ही जिंदगी का असली खजाना है। इंटरनेट दोस्ती की राह में रुकावट, कम्युनिकेशन में मुश्किल आजकल, सोशल मीडिया का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। हम घंटों स्मार्टफोन स्क्रॉल करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि सोशल मीडिया हमारी असल जिंदगी को प्रभावित करता है? सोशल मीडिया और इंटरनेट पर जरूरत से ज्यादा समय बिताने से हमारी कम्युनिकेशन स्किल को नुकसान पहुंचता है। ऐसे शौक या रुचियां न होना जो दोस्ती में मददगार हों दोस्ती की शुरुआत समान रुचियों से होती हैं। जब दो लोगों के शौक, पसंद और नापसंद एक जैसे होते हैं, तो उनके बीच एक स्वाभाविक जुड़ाव महसूस होता है। कुछ लोगों का कोई शौक नहीं होता है और वे बहुत नीरस मालूम पड़ते हैं। ऐसे में इन लोगों को दोस्ती करने में मुश्किल हो सकती है। दोस्ती की कमी से हो सकते हैं कई नुकसान जिंदगी में कुछ अच्छे दोस्त हों तो हम खुश और स्वस्थ रहते हैं। वहीं, अगर हमारा कोई अच्छा दोस्त नहीं होता है, तो हम अपनी परेशानियां किसी से साझा नहीं कर पाते हैं। यह हमारी मेंटल और इमोशनल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक्स को विस्तार से समझते हैं अपनेपन की कमी- कभी-कभी ऐसा लगता है, जैसे हम कहीं के नहीं हैं। ना घर में, ना दोस्तों के बीच में, न ही काम पर। जब हमारे पास अच्छे दोस्त नहीं होते, तो हमें ऐसा ही लगता है। यह तब अधिक होता है, जब हम घर से दूर रहते हैं। यह स्ट्रेस और एंग्जाइटी को बढ़ाता है। अकेलापन- क्या आपको भी कभी ऐसा महसूस हुआ है कि आपके आस-पास बहुत से लोग हैं, लेकिन फिर भी आप अकेले हैं? जब हमारे पास सच्चे दोस्त नहीं होते, तो हम अपनी परेशानियों और खुशियों को किसी के साथ नहीं बांट पाते हैं। ये अकेलापन हमें अंदर से खोखला कर देता है, जो इमोशनल और मेंटल हेल्थ दोनों के लिए बहुत नुकसानदेह है। कॉन्फिडेंस की कमी- हम जैसे भी होते हैं, दोस्त हमें उसी तरह स्वीकार करते हैं। वे हमें प्यार करते हैं, जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। जब आपके पास दोस्त नहीं होते हैं, तो आपका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। सोशल स्किल्स की कमी- दोस्त हमें दूसरों के साथ बातचीत करने और सोशल गैदरिंग में सहज होने में मदद करते हैं। दोस्त नहीं होने पर हम सोशल स्किल्स में कमजोर हो सकते हैं। दोस्ती करने के तरीके अगर आपको लगता है कि आप नए दोस्त नहीं बना पाते हैं, तो चिंता न करें। कुछ आसान तरीके हैं जिनसे आप लोगों से जुड़ सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास 2018 की रिसर्च के अनुसार, किसी रिश्ते को सिर्फ जान-पहचान से कैजुअल दोस्ती में बदलने में लगभग 50 घंटे लगते हैं। समय दें- जैसे-जैसे आप नए रिश्ते बनाने या पुरानी दोस्ती को फिर से जगाने का काम करते हैं, यह याद रखें कि सच्ची दोस्ती बनाने में समय लगता है। अपने आप को लोगों के सामने लाएं- घर से बाहर निकलिए और लोगों से मिलिए। अपने आस-पड़ोस में, अपने काम की जगह पर या अपने स्कूल या कॉलेज में लोगों से बातचीत करना शुरू करें। शौक विकसित करें- अपने लिए कुछ शौक विकसित करें, जो काम पसंद हों उनमें हाथ आजमाएं। इसके लिए आप किसी क्लब या समूह में भी शामिल हो सकते हैं, जहां आपकी रुचियों के लोग मिलते हैं। अजनबियों से बातचीत करें- नए लोगों से बात करने के लिए तैयार रहें। शुरुआत में थोड़ी झिझक हो सकती है, लेकिन कोशिश करते रहें। धीरे-धीरे सबकुछ आसान हो जाएगा।