रिलेशनशिप- क्या आपको भीड़ से डर लगता है:कहीं ये सोशल एंग्जाइटी तो नहीं, साइकोलॉजिस्ट से जानें हैंडल करने के 8 टिप्स

आपने अक्सर ये देखा या सुना होगा कि कुछ लोगों को ज्यादा भीड़भाड़ में घबराहट महसूस होती है। किसी से मिलने व बातचीत करने से पहले उनके मन में तरह-तरह की नकारात्मक बातें आने लगती हैं। वे जल्द ही नवर्स हो जाते हैं। ये महज एक डर नहीं है, बल्कि एक मेंटल प्रॉब्लम है, जिसे सोशल एंग्जाइटी कहते हैं। एंग्जाइटी एंड डिप्रेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (ADAA) के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 1.5 करोड़ लोग सोशल एंग्जाइटी की समस्या से पीड़ित हैं।
वहीं नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे (NMHS), 2016 के अनुसार, भारत में 65 लाख से ज्यादा लोग सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (SAD) से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका खतरा महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है। हालांकि भारत में अभी इस पर और स्टडी की जरूरत है। आज रिलेशनशिप कॉलम में बात सोशल एंग्जाइटी की। साथ ही जानेंगे कि- सोशल एंग्जाइटी क्या है? सोशल एंग्जाइटी एक तरह की मेंटल कंडीशन है, जो आमतौर पर टीनएज में शुरू होती है। इसे ‘सोशल फोबिया’ भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को किसी इवेंट में शामिल होने, पब्लिकली बोलने या नए लोगों से मिलने के दौरान एंग्जाइटी, डर और घबराहट होती है। इसमें व्यक्ति दूसरे लोगों के बीच अपना कॉन्फिडेंस खो देता है। उसे यह महसूस होता है कि लोग उसे जज करेंगे। सोशल एंग्जाइटी की वजह से उसे लोगों से बातचीत करना और उनके साथ घुलना-मिलना चुनौतीपूर्ण लगता है। सोशल एंग्जाइटी के कारण सोशल एंग्जाइटी के सटीक कारण के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन यह कई कारकों से जुड़ा हो सकता है। इनमें फिजिकल अब्यूज, मेंटल प्रॉब्लम और जेनेटिक कारण शामिल हैं। इसके अलावा मूड कंट्रोल करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर सेरेटोनिन और डोपामाइन में असंतुलन के कारण भी सोशल एंग्जाइटी हो सकती है। इसके कई और कारण हो सकते हैं। जैसेकि- सोशल एंग्जाइटी का परवरिश से कनेक्शन खराब पेरेंटिंग स्टाइल का सोशल एंग्जाइटी से सीधा कनेक्शन है। जब पेरेंट्स बच्चे को ओवर कंट्रोल करते हैं, छोटी-छोटी बातों पर उन्हें क्रिटिसाइज करते हैं, अपने बच्चे पर विश्वास करने के बजाय दूसरों की राय पर ज्यादा ध्यान देते हैं तो इससे बच्चे को बचपन से ही सोशल एंग्जाइटी होने लगती है। ऐसे बच्चे अपनी बातें जल्दी किसी से शेयर नहीं करते हैं। साथ ही वे दूसरों पर जल्दी विश्वास भी नहीं कर पाते हैं। ज्यादातर बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ इसके लक्षण दिखने लगते हैं। सोशल एंग्जाइटी के संकेत इसमें व्यक्ति सार्वजनिक रूप से बोलने या बातचीत करने में घबराहट और डर का अनुभव करता है। वह ये महसूस करता है कि लोग उसके बारे में नेगेटिव धारणा बना रहे हैं। इससे उसे कुछ समस्याएं हो सकती हैं। जैसेकि पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना, हाथ कांपना, मुंह सूखना और बोलने में परेशानी होना। अगर किसी को ऐसे लक्षण महसूस होते हैं तो यह सोशल एंग्जाइटी के संकेत हो सकते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से इस बारे में जानिए- सोशल एंग्जाइटी पर काबू पाना जरूरी वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि सोशल एंग्जाइटी पूरी तरह से खत्म नहीं की जा सकती है। हालांकि कुछ अभ्यास के साथ इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति को लोगों का सामना करने का अभ्यास करना चाहिए। इससे धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ता है और घबराहट कम होती है। सोशल एंग्जाइटी अक्सर नकारात्मक सोच से पैदा होती है। ऐसे में यह जरूरी है कि हमेशा पॉजिटिव रहें। खुद को यह याद दिलाएं कि आपकी जिंदगी किसी के जजमेंट पर नहीं टिकी है, बल्कि ये आपकी खुद की लाइफ है और ये आपके हिसाब से ही चलनी चाहिए। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है, इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- सोशल एंग्जाइटी का इलाज आमतौर पर सोशल एंग्जाइटी को लोग बहुत सामान्य समझते हैं, लेकिन ये चुनौतीपूर्ण हो सकती है। हालांकि सही इलाज, पॉजिटिव सोच और नियमित अभ्यास से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए खुद पर विश्वास रखें और याद रखें कि हर छोटी सफलता एक बड़ी जीत है। अगर ऐसा लगे कि आप खुद इसे मैनेज नहीं कर पा रहे हैं तो प्रोफेशनल्स की मदद भी ले सकते हैं। प्रोफेशनल्स इसके लिए कुछ थेरेपी देते हैं। इससे सोशल एंग्जाइटी के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) यह थेरेपी व्यक्ति को नेगेटिव धारणाओं को पहचानने और उस पर काबू पाने में मदद करती है। यह मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स द्वारा दी जाने वाली टॉक थेरेपी है। इसमें व्यक्ति को पॉजिटिव रहना सिखाया जाता है। एक्सपोजर थेरेपी यह भी एक साइकोलॉजिकल थेरेपी है। इसमें व्यक्ति को धीरे-धीरे उन सामाजिक स्थितियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिनसे वह डरता है। यह थेरेपी डर कम करके आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करती है। रिलैक्सेशन थेरेपी यह थेरेपी खुद से ले सकते हैं। इसमें सोशल एंग्जाइटी सिचुएशन में घबराहट होने पर गहरी या लंबी सांस लेनी होती है। लंबी सांस लेने से दिमाग रिलैक्स होता है। इससे घबराहट कम होती है। मेडिसिनल थेरेपी इसमें साइकेट्रिस्ट मरीज की स्थिति के आधार पर कुछ दवाएं देते हैं। ये दवाएं सोशल एंग्जाइटी के संकेतों को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा सोशल एंग्जाइटी के लक्षणों को कम करने के लिए लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है। जैसेकि-