रिलेशनशिप- क्या आपको भी सताता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का डर:साइकोलॉजिस्ट बता रहे यह डर कितना वाजिब, दूर करने के 5 टिप्स

पिछले कुछ समय से हम सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में सुनते आ रहे हैं। चाय की दुकान से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों के दफ्तर तक इसकी चर्चा चल रही है। जैसे हम सब्जी मंडी में सब्जियों का नाम सुनते हैं। वैसे ही पिछले कुछ समय से टेक फील्ड में मेटा एआई, जेमिनी, चैट-जीपीटी जैसे कई सारे AI टूल्स का नाम सुन रहे हैं। इस चर्चा में निगेटिव और पॉजिटिव दोनों बातें हो रही हैं। पॉजिटिव अप्रोच तो हम सबके लिए अच्छी है। लेकिन नेगेटिव अप्रोच और इसके संभावित खतरे की वजह से बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले लोग AI एंग्जाइटी से पीड़ित हैं। दुनियाभर के अखबारों और न्यूज चैनल्स पर AI के आने वाले खतरों पर चर्चा हो रही है। वह खतरा चाहे नौकरी पर हो या प्राइवेसी को लेकर। ये सारी बातें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े डर को और गहरा कर रही हैं। ऐसे में बहुत सारे प्रोफेशनल्स के मन में ये डर है कि सबकुछ AI के कंट्रोल में चला जाएगा। वहीं बड़ी संख्या में लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर भी चिंतित हैं। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- AI एंग्जाइटी क्या है? AI एंग्जाइटी एक ऐसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विकास के साथ लोगों में देखी जा रही है। यह एंग्जाइटी उच्च-शिक्षित, अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ और दुनिया की नामी-गिरामी कंपनियों में काम करने वाले लोगों में भी हो सकती है। इन लोगों का मानना है कि AI के विकास से उनकी नौकरियां जा सकती हैं। वहीं कुछ लोग इसे प्राइवेसी को लेकर खतरा मान रहे हैं। ऐसे लोग AI को भविष्य के खतरे के रूप में देख रहे हैं और इस वजह से भय और एंग्जाइटी महसूस कर रहे हैं। AI एंग्जाइटी क्यों होती है? AI एंग्जाइटी तब होती है, जब लोग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को अपनी नौकरी के लिए खतरा मानने लगते हैं या फिर इसकी वजह से प्राइवेसी को लेकर चिंतित रहते हैं। ऐसा डर AI को लेकर हर तरफ हो रही चर्चाओं की वजह से पैदा हुआ है कि यह मानवता को लाभ पहुंचाएगा या खतरा साबित होगा। AI एंग्जाइटी के दुष्प्रभाव AI एंग्जाइटी की समस्या को नजरअंदाज करने की स्थिति में यह हमारी हेल्थ पर बुरा असर डाल सकती है। इसकी वजह से स्ट्रेस, अनिद्रा, डिप्रेशन और एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है। इस वजह से काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। AI एंग्जाइटी से कैसे निपटें? AI एंग्जाइटी से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि हम इसे लेकर सही समझ पैदा करें। दुनिया में कोई भी नई तकनीक आती है तो उसे लेकर हमेशा कई सवाल खड़े होते हैं। जैसे कभी कंप्यूटर को लेकर भी इस तरह का डर लोगों में था। लेकिन कंप्यूटर आने की वजह से नौकरियां कम नहीं हुईं बल्कि रोजगार के क्षेत्र बदल गए। जैसे कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों की जरूरत पड़ी, कंप्यूटर रिपेयर करने वाले लोगों की जरूरत पड़ी। डेटा स्टोर करने वाले डिवाइस की डिमांड बढ़ गई। स्मार्टफोन आने की वजह टीवी चैनल्स बंद नहीं हुए बल्कि ओटीटी के जरिए अधिक देखे जाने लगे। ऐसे में देखा जाए तो नई तकनीक अपने साथ कई सारे नए अवसर भी लेकर आती है। बस हमें इसके लिए खुद को तैयार करना होता है। नौकरी को आसान बना सकती है AI AI को लेकर हमें इसके पॉजिटव पक्ष को समझने की कोशिश करनी चाहिए। AI हेल्थ सेक्टर में सुधार, साइंटिफिक रिसर्च के काम को अधिक कुशल बनाने में भी मदद कर सकता है। जब हम किसी चीज को लेकर डर महसूस करते हैं तो इसकी प्राथमिक वजह जानकारी का अभाव होता है। ऐसे में AI के संभावित उपयोग को समझने के साथ तकनीकी बदलावों के साथ खुद को ढालना समय की मांग है। AI एक नई शुरुआत है और भविष्य में कई अन्य तकनीकें भी आएंगी। ऐसे में हमें इनके लिए तैयार रहना चाहिए। बदलाव के लिए हमेशा रहें तैयार आज का दौर तेजी से बदल रहा है, और AI का विकास इसी का हिस्सा है। आने वाले वक्त में और नई तकनीकें हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बनेंगी। ऐसे में जरूरी है कि हम खुद को लचीला बनाएं और इन बदलावों के लिए खुद को तैयार करें। जब हम नई संभावनाओं के लिए दरवाजे खुले रखते हैं तो भविष्य की अनिश्चितताओं को ज्यादा आसानी से संभाल सकते हैं।