रेस्टोरेंट में घंटों बैठकर मेन्यू डिसाइड करना, कपड़े खरीदते वक्त कोई एक ड्रेस न चुन पाना, करियर को लेकर हमेशा असमंजस की स्थिति में रहना, जिंदगी के जरूरी से लेकर मामूली फैसलों तक के लिए दूसरों पर निर्भर होना। कभी-कभार ऐसा होना सामान्य बात है। लेकिन अगर यह स्थिति 50% से ज्यादा बार और ज्यादा मामलों में होती है तो इसकी वजह ‘डिसाइडोफोबिया’ भी हो सकती है। हर स्थिति में फैसले लेने में कन्फ्यूज होना, किसी ने कोई फैसला लेने को कहा तो घबरा जाना या फिर अपने फैसलों को दूसरों पर छोड़ देना, अगर आपके साथ ऐसा है तो यह ‘डिसाइडोफोबिया’ हो सकता है। यह एक तरह का फोबिया है, जिसमें लोगों को फैसले लेने के बारे में सोचते हुए ही घबराहट या एंग्जाइटी होने लगती है। इस डर के कारण, लोगों की सोच में धुंधलापन आ सकता है और वे फैसले लेने के लिए दूसरों पर ज्यादा निर्भर हो जाते हैं। 10,000 से ज्यादा अमेरिकी किशोरों पर हुई और नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश वर्ष 2010 की एक स्टडी में 19.3% किशोर ‘डिसाइडोफोबिया’ का शिकार पाए गए। तो आज रिलेशनशिप में बात करेंगे डिसाइडोफोबिया की। यह क्या होता है और क्यों होता है। साथ ही इससे उबरने के लिए क्या करना चाहिए। डिसाइडोफोबिया और उसके लक्षण क्या हैं डिसाइडोफोबिया एक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। इसमें व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है। हार्वर्ड के प्रोफेसर और फिलॉसफर डॉ. वॉल्टर कॉफमैन ने पहली बार ‘डिसाइडोफोबिया’ शब्द का उपयोग 1973 में अपनी किताब ‘विदाउट गिल्ट एंड जस्टिस: फ्रॉम डिसाइडोफोबिया टू ऑटोनॉमी’ में किया था। साइंटिफिक डेफिनेशन के मुताबिक, डिसाइडोफोबिया होने पर इस तरह के लक्षण दिख सकते हैं- हम फैसले सही वक्त पर क्यों नहीं ले पाते हैं साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान कहते हैं कि फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति में डर की वजह से आत्मविश्वास की कमी हो जाती है, जिससे उसकी सोचने की क्षमता प्रभावित होती है। इसकी वजह से उसे निर्णय लेने में परेशानी होती है। इसके अलावा फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति को कुछ और समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे- डिसाइडोफोबिया से कैसे उबरें डिसाइडोफोबिया से उबरा जा सकता है। जरूरत है तो बस खुद में थोड़े बदलाव लाने की। साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान के सुझाव के मुताबिक-