जब हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रिलेशनशिप में होते हैं, जो पहले किसी और के साथ रिश्ते में रह चुका है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी वह व्यक्ति अपने पुराने पार्टनर से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है। अब भले ही हमारे साथ रिलेशन में हो। इसका असर हमारे रिश्ते पर पड़ सकता है। इससे हमारी मेंटल हल्थ को भी नुकसान हो सकता है। रिश्ते में ‘सेकेंड पोटैटो’ बनना एक ऐसा अनुभव है, जो किसी भी व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ सकता है। यह वह स्थिति है जब आपका साथी आपको प्राथमिकता न देकर आपको सिर्फ एक विकल्प के रूप में देखता है। आज रिलेशनशिप में जानते हैं कि- रिलेशनशिप में ‘सेकेंड पोटैटो’ क्या है?रिश्ते में ‘सेकेंड पोटैटो’ वह स्थिति है, जब आप अपने साथी के लिए प्राथमिकता नहीं, बल्कि एक विकल्प होते हैं। इसका मतलब है कि आपका साथी मानसिक या भावनात्मक रूप से अब भी अपने पुराने रिश्ते या किसी और से जुड़ा हुआ है। वह आपको पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पा रहा है। यह स्थिति रिश्ते में असंतोष, विश्वास की कमी और सेल्फ रिस्पेक्ट खोने की वजह बनती है। ‘सेकेंड पोटैटो’ बनने के क्या नुकसान हैं? ‘सेकेंड पोटैटो’ बनने का असर व्यक्ति की मानसिक शांति पर पड़ता है। ‘जर्नल ऑफ पर्सनल एंड सोशल रिलेशन्स’ में छपी स्टडी ‘मोटिवेशनल अंडरपिनिंग्स ऑफ रोमांटिक पार्टनर पर्सेप्शन्स: साइकोलॉजिकल एंड फिजियोलॉजिकल एविडेंस’ के अनुसार, ऐसे लोग जो पूर्व प्रेमी या प्रेमिका की तुलना अपने वर्तमान साथी से करते हैं, साथ ही अपने पूर्व पार्टनर को अधिक पॉजिटिव रूप से देखते हैं, उनके रिश्ते तनावपूर्ण होते हैं और वे एक दूसरे से संतुष्ट नहीं होते हैं। आइए ग्राफिक को विस्तार से समझते हैं। असुरक्षा की भावना ‘सेकंड पोटैटो’ महसूस करने पर रिश्ते में अपनी अहमियत को लेकर व्यक्ति में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। जब किसी को लगता है कि उनका साथी, अपने पूर्व साथी के प्रति अधिक आकर्षित है या वह उन्हें प्राथमिकता नहीं देता, तो इससे आत्म-सम्मान और विश्वास में कमी आ सकती है। तनाव और मानसिक दबाव यदि आपका साथी अभी भी अपने पूर्व प्रेमी या प्रेमिका के बारे में सोचता है तो इससे आपके रिश्ते में तनाव पैदा हो सकता है। यह तनाव आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है और आपके आत्मसम्मान को चोट पहुंचा सकता है। विश्वास की कमी किसी के लिए विकल्प बनने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि आप दोनों के बीच का भरोसा कमजोर हो जाता है। लगातार तनाव और खालीपन के चलते ऐसा रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाता है। शक की भावना ‘सेकेंड पोटैटो’ महसूस करने वाला व्यक्ति अपने साथी पर शक कर सकता है। खासकर तब, जब उसे लगता है कि उसका साथी किसी और को प्राथमिकता दे रहा है। जब साथी पूर्व संबंधों में भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखता है, तो इससे रिश्ते में अविश्वास, तनाव और दूरी पैदा हो सकती है। इससे दोनों के बीच कम्युनिकेशन की कमी हो सकती है। वफादारी जब एक व्यक्ति खुद को रिश्ते में कमतर महसूस करता है, तो उसकी वफादारी में कमी आ सकती है। वह बाहर किसी और से स्नेह या अटेंशन की तलाश कर सकता है, जिससे रिश्ते में दरार पैदा हो सकती है और विश्वास टूट सकता है। खुद की पहचान खोने का डर जब आप जानते हैं कि आप किसी के लिए ‘सेकेंड चॉइस’ हैं, तो आप अपनी व्यक्तिगत पहचान और खुद की नजर में अपना सम्मान खोने लगते हैं। यह स्थिति आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। ‘सेकेंड पोटैटो’ बनने से कैसे बचें? किसी के लिए ‘सेकेंड पोटैटो’ बनने से बचने के लिए, खुद को और अपने साथी को पूरी तरह से स्वीकार करें। साथी से खुलकर संवाद करें। अपने साथी के साथ भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करें। साथ ही खुद को प्राथमिकता दें और सेल्फ रिस्पेक्ट का विकास करें। आइए ग्राफिक के जरिए समझते हैं। खुद को प्राथमिकता दें सबसे पहले यह समझें कि आप किसी के लिए विकल्प नहीं हैं। अपने आत्मसम्मान और खुशी को सबसे ऊपर रखें। रिश्ते में स्पष्टता लाएं अपने साथी से खुलकर बात करें। यदि आपको लगता है कि वे अभी भी अपने पूर्व साथी से भावनात्मक रूप से जुड़ाव रखते हैं, तो इस बारे में बात करें। रिश्ते का मूल्यांकन करें यह समझने की कोशिश करें कि आपका रिश्ता किस दिशा में जा रहा है। यदि आप लंबे समय तक ‘सेकेंड पोटैटो’ बने रहेंगे, तो यह आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होगा। अपने साथी से बनाएं दूरी यदि आपको लगता है कि आपका साथी आपको प्राथमिकता नहीं दे रहा है, आपके लगातार प्रयासों के बाद भी चीजें नहीं बदल रही हैं, तो यह फैसला लेना बेहतर है कि आप खुद को इस रिश्ते से दूर कर लें। इससे आप अपने भविष्य के बारे में सोच-समझकर कोई फैसला कर सकते हैं।