भारतीय परंपरा में माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागते हैं। इसके बाद से देश भर में शुभ मुहूर्त शुरू हो जाता है और लोग मांगलिक कार्यों की शुरुआत करते हैं। इस दौरान हिन्दू परंपराओं का पालन करने वाले लोग वैवाहिक बंधन में बंधते हैं। अखिल भारतीय व्यापार महासंघ (CIAT) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल वेडिंग सीजन में देश भर में करीब 48 लाख जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधेंगे। अगर आप भी आने वाले दिनों में वैवाहिक बंधन में बंधने जा रहे हैं और शादी को लेकर तनाव में हैं तो हो सकता है कि आप मैरिज एंग्जाइटी से पीड़ित हों। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में मैरिज एंग्जाइटी और उसके लक्षणों के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि– मैरिज एंग्जाइटी क्या है? शादी से पहले हममें से कई लोग तनाव और घबराहट महसूस करते हैं। शादी के बाद लाइफ में होने वाले बदलाव के बारे में सोचते हुए कई सारी शंकाओं से घिरे रहते हैं। यह डर सताता रहता है कि शादी का फैसला सही है या नहीं। इसे ही मैरिज एंग्जाइटी कहते हैं। इसका कारण शादी की तैयारियों से लेकर भविष्य के बारे में सोचकर महसूस हो रही अनिश्चितताओं तक कुछ भी हो सकता है। लोग अक्सर यह सोचकर परेशान होते हैं कि शादी के बाद उनकी जिंदगी कैसे बदलेगी, उनका रिश्ता कैसा रहेगा और वे इन बदलावों को कितनी अच्छी तरह संभाल पाएंगे। मैरिज एंग्जाइटी के लक्षण क्या हैं? मैरिज एंग्जाइटी के कई सारे लक्षण हो सकते हैं। शादी की तारीख के नजदीक आते ही इसके लक्षण और अधिक उभर सकते हैं। डिटेल नीचे ग्राफिक में देखें– किन कारणों से हो सकती है मैरिज एंग्जाइटी? मैरिज एंग्जाइटी के कारणों में पुराने अनुभव, पर्सनल इंसिक्योरिटी समेत कई वजहें शामिल हो सकती हैं। माता-पिता का अतीत में हुआ तलाक भी मैरिज एंग्जाइटी को बढ़ा सकता है। इस बात से तनाव में आ सकते हैं कि माता-पिता की गलतियां कहीं फिर से न दोहराई जाएं। अगर अपने पार्टनर से असंतुष्ट हैं या मन में डर है कि पार्टनर शायद प्यार न करे तो इस स्थिति में भी एंग्जाइटी हो सकती है। शादी के बाद नई जगह पर जाना, नई नौकरी के बारे में सोचना तनाव पैदा कर सकता है। पार्टनर के साथ भविष्य की प्लानिंग को लेकर दोनों के अलग-अलग विचार भी तनाव पैदा कर सकते हैं। मैरिज एंग्जाइटी से कैसे निपटें? शादी से पहले एंग्जाइटी होना सामान्य है। इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवार और दोस्तों के साथ अपनी फीलिंग को शेयर करना चाहिए। अपने पार्टनर से खुलकर बात करें अगर आप मैरिज एंग्जाइटी से पीड़ित हैं तो यह बात अपने पार्टनर से शेयर करें। उन्हें बताएं कि आप किस वजह से चिंतित हैं, जिससे वे आपको बेहतर तरीके से समझ सकें और सपोर्ट कर सकें। हो सकता है कि आपके पार्टनर भी वही महसूस करते हों। इससे आपका रिश्ता और मजबूत होगा। किसी दोस्त या परिवार से बात करें किसी करीबी दोस्त, परिवार के सदस्य या थेरेपिस्ट से अपनी चिंता साझा करें। उन्हें बताएं कि आपको कैसा सपोर्ट चाहिए और आप किस वजह से परेशान हैं। यदि आपका कोई दोस्त या करीबी इस स्थिति से गुजर रहा है तो उसकी मदद करें। अपना ध्यान रखें शादी की तैयारियों के बीच खुद की देखभाल को प्राथमिकता दें। रोजमर्रा की दिनचर्या में योग, ध्यान या किताबें पढ़ने जैसी गतिविधियां शामिल करें। मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने से चिंता कम होगी। वर्तमान में जीना सीखें भविष्य की योजनाओं और शादी की तैयारियों में इतना व्यस्त न हो जाएं कि वर्तमान का आनंद लेना भूल जाएं। माइंडफुलनेस के तरीके आजमाएं। अपने आसपास की चीजों पर ध्यान केंद्रित करें, किसी फेवरेट काम में खुद को बिजी रखें। वैवाहिक जीवन को लेकर यथार्थवादी बनें हर चीज परफेक्ट नहीं होती है और यह बिल्कुल सामान्य है। शादी और रिश्ते दोनों में उतार-चढ़ाव आएंगे। इसे स्वीकार करें और अगर आपका पार्टनर इसे लेकर परेशान है, तो आप उनको प्यार से समझाएं। साथ मिलकर प्लानिंग करें अपने पार्टनर के साथ बैठकर शादी की प्लानिंग करें। सप्ताह में एक बार शादी से जुड़ी बातें डिस्कस करें और विवाह के लिए कुछ अनूठी प्लानिंग करें। इससे योजना बनाना अधिक सुखद और कम तनावपूर्ण होगा। शादी और रिश्ते के बारे में जानें–समझें शादी से पहले वर्कशॉप्स या किताबों के माध्यम से शादी और रिश्तों के बारे में जानें। यह समझना आपकी चिंता को कम करने में मदद करेगा। याद करें कि आपने शादी का फैसला क्यों किया पार्टनर के साथ बिताए गए खूबसूरत पलों को याद करें। इससे आपकी चिंता उत्साह में बदल सकती है। जब दोनों की केमिस्ट्री के बारे में समझेंगे तो तनाव कम होगा और समझ पाएंगे कि आपने शादी का फैसला क्यों किया था। मैरिज एंग्जाइटी और गामोफोबिया क्या में फर्क गामोफोबिया एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को शादी या कमिटमेंट से डर महसूस होता है। इस स्थिति में व्यक्ति में शादी का ख्याल आते ही घबराहट, हार्ट बीट बढ़ना, पसीना आना, सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिख सकते हैं और पैनिक अटैक हो सकता है। ऐसे लोगों के मन में शादी को लेकर डर बैठा होता है। गामोफोबिया के पीछे कारण अतीत के बुरे अनुभव और शादी के बाद स्वतंत्रता खत्म हो जाने का भय हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को थेरेपिस्ट या काउंसलर की मदद लेनी चाहिए। मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि गामोफोबिया और मैरिज एंग्जाइटी में बहुत फर्क है। शादी को लेकर थोड़ा तनाव और चिंता स्वाभाविक है। लेकिन इससे ये नतीजा बिल्कुल नहीं निकालना चाहिए कि आप गामोफोबिया से पीड़ित हैं। हालांकि दोनों ही स्थितियों में काउंसलर से बातचीत करना मददगार हो सकता है। …………………………….
रिलेशनशिप की ये खबर भी पढ़िए
रिलेशनशिप- पहली डेट पर कभी न पूछें ये 12 सवाल: रिलेशनशिप एक्सपर्ट से जानें बातचीत का सही तरीका किसी भी रिश्ते का भविष्य बहुत हद तक पहली डेट पर ही निर्भर होता है। इसलिए पहली डेट हर किसी के लिए बेहद खास होती है। पूरी खबर पढ़िए…
रिलेशनशिप की ये खबर भी पढ़िए
रिलेशनशिप- पहली डेट पर कभी न पूछें ये 12 सवाल: रिलेशनशिप एक्सपर्ट से जानें बातचीत का सही तरीका किसी भी रिश्ते का भविष्य बहुत हद तक पहली डेट पर ही निर्भर होता है। इसलिए पहली डेट हर किसी के लिए बेहद खास होती है। पूरी खबर पढ़िए…