हम जब अपने पार्टनर को लेकर सोचते हैं तो हमारे मन में कुछ छवियां उभरती हैं। जैसे वह दिखने में कैसा होगा, बातें कैसी करता होगा और उसके सोचने-समझने का तरीका कैसा होगा। इसे हम अक्सर अपना ‘टाइप’ कहते हैं। यह ‘टाइप’ शारीरिक विशेषताओं से लेकर व्यक्तित्व और जीवनशैली तक हो सकता है। हालांकि, जरूरी बात यह है कि क्या यह ‘टाइप’ हमें सही व्यक्ति खोजने में मदद करता है या इससे हम एक ही तरह के रिश्तों के पैटर्न में फंस जाते हैं। जब कोई हमारी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है तो हम ऐसे लोगों को अनदेखा कर देते हैं। भले ही उनके साथ हमारा रिश्ता समझदारी भरा और सार्थक हो सकता था। हालांकि, कई बार हमारे दायरे लोगों को फिल्टर करने के काम आते हैं। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप कॉलम में जानेंगे कि- टाइप का क्या अर्थ है? हमारा ‘टाइप’ सिर्फ ये नहीं है कि हमें कौन अच्छा लगता है, बल्कि ये भी है कि हम पार्टनर को कैसे ढूंढते हैं। हमें कौन पसंद आएगा, ये कई चीजों पर डिपेंड करता है। जैसे, हमारा समाज कैसा है, हमारे कैसे पले-बढ़े हैं, हमारा परिवार कैसा है, हमारे सपने क्या हैं और हम सोचते कैसे हैं। इसके साथ ही हम यह भी देखते हैं हमारी जिंदगी के लिए कौन बेहतर होगा। इसमें सामने वाले का लुक, उसका नेचर और उसका परिवार भी मायने रखता है। वक्त के साथ, हम लोगों को एक तरह से जज करने लगते हैं। जैसे ये अच्छा है, ये बुरा है। हम देखते हैं कि क्या सामने वाला हमारी उम्मीदों पर फिट बैठता है। अपना ‘टाइप’ जानने से पता चलता है कि किसके साथ खुश रहेंगे। हालांकि, प्यार हमारे ‘टाइप’ से बाहर भी मिल सकता है। हमें कौन पसंद आएगा? यह कैसे तय होता है? आमतौर पर हम पार्टनर चुनते समय अपने मन में बनाए हुए सांचे में जिसे ही फिट पाते हैं उसे ही बेहतर समझते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। बचपन की पसंद: हमारी पसंद अक्सर बचपन में बनी होती है। जो प्यार और अटेंशन हमें बचपन में मिला, वह हमारी रिश्तों की पसंद को प्रभावित करता है। जैसे, अगर हमें बचपन में किसी से ज्यादा प्यार मिला, तो हम बड़े होकर ऐसे लोगों को पसंद करने लगते हैं। घर का माहौल: हमारे घर का माहौल भी हमारी प्राथमिकताओं तय करने में भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, अगर हम आत्मनिर्भर व्यक्ति के आस-पास बड़े होते हैं, तो हम उसी तरह के व्यक्ति की ओर आकर्षित हो सकते हैं। हमारा पहला अनुभव: हमारे पहले के रिश्ते हमें बताते हैं कि हमें कैसा पार्टनर चाहिए। इसलिए, अक्सर हमें वही लोग पसंद आते हैं जिनकी सोच हमारी जैसी होती है। लगाव का तरीका: हम किस तरह से लोगों से जुड़ते हैं, यह भी हमारी पसंद को प्रभावित करता है। जैसे, अगर हमें डर लगता है कि कोई हमें छोड़ देगा, तो हम ऐसे लोगों को पसंद करेंगे जो आसानी से करीब नहीं आते हैं। गार्जियन जैसे पार्टनर की इच्छा: हमारी लाइफ में कोई ऐसा इंसान जरूर होता है जो हमें सही रास्ता दिखाता है। जब हमें वैसा ही पार्टनर मिलता है, तो हम उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं। हमारे पसंदीदा साथी के चयन का मार्गदर्शन: हमारी जिंदगी के बीते हुए पल हमें बताते हैं कि हमें कैसा साथी चाहिए। हमें वो लोग अच्छे लगते हैं जिनकी आदतें और पसंद हमारी तरह होती हैं, क्योंकि उनके साथ हमें अच्छा महसूस होता है। साथ ही वे हमारी अंदर की जरूरतों को समझ पाते हैं। हम एक ही तरह के रिश्तों में क्यों फंस जाते हैं अक्सर लोग डेटिंग एप्स पर भी अपने ‘टाइप’ का ही पार्टनर ढूंढते हैं। हालांकि, ऐसा करने से कई बार सही इंसान मिल ही नहीं पाता है। डेटिंग ऐप्स में भी हम उन्हीं प्रोफाइल पर ध्यान देते हैं, जो हमारे ‘टाइप’ के होते हैं। इससे हम कई सारे बेहतर लोगों से दूर हो जाते हैं। जब सारे मैच खत्म हो जाते हैं, तो हमें लगता है कोई सही नहीं है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की 2020 के मुताबिक, जो लोग डेटिंग ऐप्स पर ज्यादा वक्त बिताते हैं, उन्हें मानसिक परेशानियां, चिंता और डिप्रेशन जैसी परेशानियां ज्यादा होती हैं। अगर हम अपने ‘टाइप’ के छोटे से घेरे में बंधे रहेंगे, तो हम उन लोगों से मिलने का मौका खो सकते हैं, जो हमारे लिए बेहतर हो सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं कि हमारा ‘टाइप’ जरूरी नहीं है, पर सच ये है कि आमतौर पर हमारा पार्टनर उस ‘टाइप’ का नहीं होता जैसा हम सोचते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने अपने ‘टाइप’ से हटकर रिश्ते बनाए और उन्हें वो मिला जो सच में उनके रिश्ते के लिए जरूरी था। अपनी ‘सच्ची पसंद’ को पहचानें के तरीके क्या हैं? अपनी असली पसंद को खोजने के लिए बिना किसी दबाव के नए लोगों से मिलना चाहिए। यह देखना चाहिए कि हमें क्या सही लगता है, न कि क्या अच्छा लगता है। हमें असल में किसमें दिलचस्पी हो सकती है, यह जानने के लिए हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हमें क्या आकर्षित करता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। नए लोगों के साथ डेट पर जाएं अपने ‘टाइप’ से बाहर के लोगों के साथ डेट पर जाने से कई सारी नई चीजें मिल सकती हैं। अपनी आदत और कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर हम कुछ नया सीख सकते हैं। साथ ही नए लोगों के अलग विचारों से भी वाकिफ होते हैं। भरोसेमंद लोगों से राय लें दोस्त हमारी डेटिंग में छिपे पैटर्न देख सकते हैं, जो हम नोटिस नहीं करते हैं। ऐसे में उनसे इस बारे में पूछना कि हमरा पिछला रिश्ता कैसा था? उन्होंने क्या देखा और आगे आपको किन क्वालिटीज पर ध्यान देना चाहिए। अपनी ‘टाइप’ की एक नई लिस्ट बनाएं एक नोट्स बनाएं और लिखें कि आप साथी के साथ कैसा महसूस करना चाहते हैं, वे आपको कैसे देखें। आप अपने हेल्दी रिलेशनशिप में क्या चाहते हैं? इसके बाद इसी लिस्ट के आधार पर डेट करें। डेट को इंजॉय करें, इंटरव्यू न बनाएं डेट को इंटरव्यू न बनाएं, जहां आप सिर्फ बॉक्स चेक कर रहे हों या किसी को इसलिए नकार दें क्योंकि उन्हें आपकी रुचियां पसंद नहीं। ‘डील-ब्रेकर्स’ पर दोबारा विचार करें कुछ जरूरी ‘डील-ब्रेकर्स’ रखें, लेकिन हाईट, उम्र, एजुकेशन या जॉब जैसे सख्त नियमों को ढीला करें। दायरा बढ़ाने से आप किसी शानदार व्यक्ति से मिल सकते हैं। जब आप डेटिंग करें, तो समझें कि आप किसकी ओर आकर्षित हैं और क्यों। देखें कि आप किन्हें अपने आप नकार देते हैं और क्या आपकी शर्तें बहुत सख्त हैं। अपने लगाव के तरीके पर काम करें खुद पर काम करें और थेरेपी लें। यह आपके पैटर्न समझने और स्वस्थ आदतें विकसित करने में मदद करेगा। किसी के प्रति सुरक्षित लगाव से आपका डेटिंग अनुभव बेहतर होगा। हमें क्या नहीं चाहिए, इसका ध्यान रखें रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले, यह जानना जरूरी है कि आपके लिए कौन सी बातें गैर-समझौतावादी हैं। ऐसे मूल्य जो आपके लिए इतने महत्वपूर्ण हैं कि आप उनके साथ समझौता नहीं कर सकते हैं। ऐसे में रिश्ते में जाने से पहले यह तय करें कि हमें पार्टनर में क्या नहीं चाहिए। जैसे आपको स्मोक या ड्रिंक करने वाला पार्टनर न पसंद आए।