1 से 3 साल तक के बच्चे को अंग्रेजी में ‘टॉडलर’ कहा जाता है। इसका मतलब है- ‘एक छोटा बच्चा, जो चलना सीख रहा है।’ इस उम्र के बच्चे जिज्ञासा और ऊर्जा से भरे होते हैं। वे किसी भी बात या व्यवहार को तेजी से सीखते-समझते हैं। इस उम्र में बच्चों की फिजिकल, मेंटल और सोशल ग्रोथ तेजी से होती है। टॉडलर्स मजेदार व आकर्षक एक्टिविटीज के जरिए किसी भी चीज को आसानी से समझते हैं। इसलिए पेरेंट्स को उन्हें इसी तरीके से सिखाना चाहिए। आज रिलेशनशिप कॉलम में हम टॉडलर पेरेंटिंग के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- टॉडलर्स के लिए जरूरी फिजिकल और मेंटल एक्टिविटीज छोटे बच्चों में सीखने की क्षमता काफी तेज होती है। वे जो कुछ भी देखते-सुनते हैं, उसे तुरंत सीख जाते हैं। उन्हें बस सही गाइडलाइन की जरूरत होती है। ऐसे में छोटे बच्चों को मजेदार एक्टिविटीज के जरिए सिखाना आसान होता है। नीचे ग्राफिक में ऐसी 10 एक्टिविटीज दी गई हैं, जो बच्चों की ग्रोथ में मददगार हैं। आइए, अब ऊपर दी गई एक्टिविटीज के बारे में विस्तार से बताते हैं। कहानियां सुनना कहानियां सुनने से बच्चे पात्रों व घटनाओं के बारे में सोचते हैं। इससे उनकी भाषा की समझ और कल्पना शक्ति बढ़ती है। उनके शब्दकोश का भी विस्तार होता है। ड्रॉइंग और पेंटिंग इससे बच्चों में क्रिएटिविटी डेवलप होती है। वे रंगों के नाम और शेप के बारे में जानते-समझते हैं। ड्रॉइंग और पेंटिंग से वे एकाग्रता भी सीखते हैं। म्यूजिक और डांस बच्चों के विकास में म्यूजिक और डांस की अहम भूमिका है। यह उन्हें सकारात्मक रूप से संवेदनशील बनाता है। पजल गेम्स पजल गेम्स बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे उनकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल भी डेवलप होती है। ब्लॉक प्ले गेम इसमें टॉडलर ब्लॉक्स को एड करके मनचाही शेप बनाते हैं। इससे उनमें इमेजिनेशन पॉवर डेवलप होती है। रोल-प्ले गेम बच्चे को अलग-अलग भूमिकाएं निभाने दें और काल्पनिक पात्रों के साथ बातचीत करने दें। टॉडलर्स को रोल-प्ले एक्टिविटीज में शामिल करें। जैसे डॉक्टर-डॉक्टर खेलना, किचन सेट से खाना बनाना खेलना या घर-घर खेलना। इस तरह के खेल से उनकी सोशल स्किल डेवलप होती है। खिलौनों से खेलना बच्चे जब किसी डॉल या खिलौनों के साथ खेलते हैं तो उनमें सोशल स्किल डेवलप होती है। इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना डेवलप होती है। क्ले से खेलना क्ले खेलने से बच्चों की मसल्स मजबूत होती है। इससे बच्चे शेप के साथ-साथ अपनी कल्पनाओं को मूर्त रूप देते हैं। उनमें कल्पना शक्ति भी बढ़ती है। गार्डनिंग अगर आपके पास गार्डन है तो बच्चे को पौधे लगाने या पानी देने के लिए प्रोत्साहित करें। यह न केवल उनमें जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें प्रकृति से जुड़ने का अच्छा मौका भी देता है। दौड़ना-भागना बच्चों को खेलने-कूदने दौड़ने-भागने पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए बल्कि खुद उनके साथ ऐसी एक्टिविटीज करनी चाहिए। इससे वे फिजिकली और मेंटली फिट रहते हैं। ढाई से 3 साल के बच्चे में होते ये विकास आमतौर पर ढाई साल का बच्चा आपकी मदद से अपने दांतों को ब्रश कर पाता है। हालांकि हर बच्चे का दिमाग अलग-अलग होता है और उनकी बॉडी डेवलेपमेंट भी एक-दूसरे से अलग होती है। इस उम्र में बच्चा खेलना शुरू कर देता है और उसके दोस्त भी बनने लगते हैं। वह मदद के बिना अन्य बच्चों के साथ बैठकर खिलौनों से खेल सकता है। वह पॉटी या टॉयलेट आने पर बता सकता है। वह अपना नाम सुनकर प्रतिक्रिया देने लगता है। उसे दूसरों की बातें समझ आने लगती हैं। वह आपसे तमाम तरह के सवाल भी पूछ सकता है। टॉडलर्स की परवरिश में इन बातों का रखें ख्याल टॉडलर्स को सही मार्गदर्शन, सपोर्ट और प्यार की जरूरत होती है। इससे उनकी ग्रोथ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में टॉडलर्स अपनी भावनाओं और व्यवहार को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। इससे वे चिड़चिड़े हो सकते हैं। ऐसे में टॉडलर्स की पेरेंटिंग में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि टॉडलर्स की पेरेंटिंग में कुछ और बातों का ख्याल रखना जरूरी है। जैसेकि- अंत में यही कहेंगे कि पेरेंट्स का समय और अटेंशन बच्चों के लिए बेहद कीमती होता है। इसलिए जितना संभव हो, उनके साथ समय बिताने की कोशिश करें।