रिलेशनशिप- ‘डे ड्रीमिंग’ मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक:हो सकती हैं 6 समस्याएं, छुटकारा पाने के लिए करें ये काम, एक्सपर्ट की सलाह

हम सभी कभी-न-कभी सपनों की दुनिया में खो जाते हैं। क्या आपने कभी नोटिस किया है कि मीटिंग के बीच, पढ़ाई के दौरान या जब हम डिनर टेबल पर बैठे होते हैं तो मन कल्पनाओं में खो जाता है। दरअसल, इसे ही ‘डे ड्रीमिंग’ कहते हैं। हम अक्सर यह सुनते हैं कि दिन में सपने देखना विचारशील व्यक्तित्व की पहचान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके नकारात्मक असर भी हो सकते हैं। डे ड्रीमिंग अगर आदत बन जाए तो जिंदगी पर गहरा असर डाल सकती है। डे ड्रीमिंग भले ही मजेदार लगती है और हमें अच्छा महसूस कराती है, लेकिन इसकी वजह से कई सारी मेंटल समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- डे ड्रीमिंग के क्या नुकसान हैं? बेल्जियम के घेंट (Ghent) विश्वविद्यालय की एक स्टडी के अनुसार, नेगेटिव इमोशंस और स्ट्रेस से जूझ रहे लोगों के लिए डे ड्रीमिंग करना अधिक नुकसानदेह हो सकता है। जब तनाव से जूझ रहे लोगों का दिमाग भटकता है तो नकारात्मक विचारों की ओर अधिक भागता है। ऐसे लोगों के मन में निगेटिव विचार पनप सकते हैं। जैसे ‘मैं कभी भी सफलता नहीं हासिल सकता हूं’ या ‘मैं गलती कर बैठूंगा।’ ये विचार डिप्रेशन और स्ट्रेस को बढ़ा सकते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक को विस्तार से समझते हैं। काम से ध्यान भटकना अगर आपका मन बार-बार इधर-उधर भटकता है, तो आप अपने काम पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाएंगे। इससे काम में गलतियां हो सकती हैं। साथ ही काम को समय पर पूरा करने में मुश्किल हो सकती है। अगर यह आदत लंबे समय तक बनी रहती है, तो आप अपने लक्ष्य को भूल सकते हैं। भूलने की समस्या अगर आप लगातार दिन में सपने देखते रहते हैं, तो आप यह भी भूल सकते हैं कि आपको क्या करना था या कहां जाना था। इससे आप छोटे-छोटे काम को भूलने लगते हैं। यह समस्या लगातार बनी रहने से बड़ी परेशानी भी खड़ी हो सकती है। चोट लगने का खतरा क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप एक्सरसाइज कर रहे हों, भारी सामान उठा रहे हों या कोई मशीन चला रहे हों और दिमाग कहीं और भटक जाता है? अगर ऐसा होता है, तो आपको सावधान होने की जरूरत है। ऐसी स्थिति में आपको गंभीर चोट लग सकती है और आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। नकारात्मक विचारों का असर कुछ लोग दिन में सपने तो देखते हैं, लेकिन वे हमेशा ही नकारात्मक विचारों में उलझे रहते हैं। ऐसा करने से आपको नेगेटिव विचारों में खोए रहने की आदत लग सकती है। जिसमें व्यक्ति खुद को और भी ज्यादा नकारात्मक विचारों में घेरता चला जाता है। डिप्रेशन का खतरा जब कोई व्यक्ति खुद के बारे में नकारात्मक विचार रखता है, उसमें डूबा रहता है, तो उसकी मानसिक स्थिति और भी खराब हो सकती है। उसे अवसाद के लक्षण महसूस हो सकते हैं या वह डिप्रेशन में जा सकता है। एंग्जाइटी का खतरा नकारात्मक विचारों से खुद के भविष्य को लेकर मन में डर पैदा हो सकता है। इससे एंग्जाइटी का समस्या हो सकती है। आप हमेशा मानसिक रूप से थकान महसूस कर सकते हैं। ज्यादा डे ड्रीमिंग की वजह क्या है? ज्यादा डे ड्रीमिंग की कई सारे वजहें हो सकती हैं। इसमें मानसिक दबाव, तनाव, अकेलापन या नकारात्मक विचार कारण हो सकते हैं। जब व्यक्ति जीवन में किसी उद्देश्य को लेकर संघर्ष कर रहा होता है या उसे अपने हालात पसंद नहीं होते हैं, तो वह डे ड्रीमिंग के जरिए मानसिक शांति पाने की कोशिश करता है। यह एक तरह से अपने मन से परेशानियों को दूर भगाने का तरीका है। इसे ‘मनोवैज्ञानिक पलायन’ कह सकते हैं, जहां इंसान बाहर की परेशानियों से बचने के लिए कल्पनाओं की दुनिया में खो जाता है। जब हम ज्यादा डे ड्रीमिंग करते हैं तो दिमाग का डिफॉल्ट मोड नेटवर्क एक्टिव रहने लगता है। दिमाग का यह हिस्सा कल्पना करने और सोचने का काम करता है। जब हम ख्यालों में ज्यादा खोए रहते हैं तो असलियत से हमारा नाता टूटने लगता है। यह हमारे दिमाग के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। इससे निपटने के लिए क्या करें? डे ड्रीमिंग छोड़ने के लिए हम डायरी लिख सकते हैं। इसके साथ ही किसी उद्देश्य को ख्वाबों में जीने के बजाय, उस पर काम करना शुरू करना चाहिए। लक्ष्य तय करें- अपने जीवन के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने से नकारात्मक विचारों से बच सकते हैं। स्पष्ट उद्देश्य तय करने और उस पर काम करने से डे ड्रीमिंग कम होती है। रिलेशनशिप- जब हम किसी को पसंद करने लगते हैं, तो हम अक्सर उसके बारे में काल्पनिक बातें सोचने लगते हैं। हमें ऐसा लगता है कि ये बातें सच हैं और हमारे शरीर में खुशी के हॉर्मोन निकलते हैं। हालांकि, जब हम यह तय कर लेते हैं कि हमें क्या करना है, तो ये काल्पनिक बातें अपने आप कम होने लगती हैं। जर्नलिंग- अपने सपने के बारे में लिखें। इससे आप अपनी कल्पनाओं को असलियत में बदल सकते हैं, जिससे मन को शांति मिलती है। यह अपनी सोच पर काबू पाने का एक अच्छा तरीका है। नए शौक अपनाएं- अपने पसंदीदा कामों को समय दें। जैसे संगीत सुनना, खेलना, ट्रैवल करना। इनसे आपकी रचनात्मकता को दिशा मिलती है और आप अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। दिनचर्या बदलें- रोज एक ही काम करने से दिमाग भटकता है। दिनचर्या में बदलाव करने से फोकस बढ़ता है। इससे रोमांच मिलता है और दिमाग एक्टिव होता है। सच्चाई को स्वीकार करें- समस्याओं को स्वीकारना और उन्हें सही तरीके से समझकर उन पर काम करने से डे ड्रीमिंग की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। थेरेपी- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) से मानसिक समस्याओं को समझकर उन्हें ठीक किया जा सकता है, जो डे ड्रीमिंग की आदत को भी कम कर सकती हैं।