सर्वे सेंटर ऑन अमेरिकन लाइफ में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक, महिलाएं नए दोस्त बनाने में माहिर होती हैं। इसके साथ ही वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करती हैं, जिससे उनके रिश्ते मजबूत होते हैं। वहीं, पुरुष अक्सर अपनी भावनाओं साझा नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें गहरे और मजबूत रिश्ते बनाने में कठिनाई होती है। जबकि हम सबको एक अच्छे दोस्त की जरूरत होती है, जो हमारे सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ा रहे। अच्छी दोस्ती से हमें अपनापन और खुशी मिलती है, जिससे तनाव कम होता है। महिलाएं आमतौर पर इस बात को बेहतर समझती हैं। वहीं, पुरुषों के लिए भावनाएं साझा करना और अपनी कमजोरियां जाहिर करना मुश्किल होता है। क्या आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं? ऐसे में आज रिलेशनशिप कॉलम में जानेंगे कि- पुरुषों को दोस्ती करने में क्यों कठिनाई होती है? दोस्ती के कई गुण जैसे दोस्त का ख्याल रखना, भावनाएं साझा करना और बातचीत करना महिलाओं से ही जुड़े माने जाते हैं। सर्वे सेंटर ऑन अमेरिकन लाइफ में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक, लगभग आधी महिलाएं अपनी भावनाएं दोस्तों से साझा करती हैं, जबकि पुरुषों में यह संख्या कम है। आइए इन कारणों को ग्राफिक के जरिए समझते हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव: समाज में पुरुषों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे आत्मनिर्भर, मजबूत और अपनी भावनाओं को छिपाने में माहिर हों। इस दबाव के कारण पुरुष रिश्तों के बारे में कम बोलते हैं। ऐसे में दोस्ती के गहरे स्तर तक नहीं पहुंच पाते हैं। उन्हें डर होता है कि अपनी भावनाओं या कमजोरियों को दिखाने से उनकी ‘पुरुषत्व’ पर सवाल उठ सकता है। भावनाओं को छिपाने की आदत: पुरुषों को अक्सर यह सिखाया जाता है कि भावनाओं को कंट्रोल करना चाहिए और उन्हें दूसरों से नहीं साझा करना चाहिए। इस आदत के कारण वे अपनी भावनाओं को दबाते हैं और अक्सर दोस्ती में खुलेपन और ईमानदारी से काम नहीं कर पाते हैं। प्लेटोनिक रिश्तों से बचने की कोशिश: पुरुषों के प्लेटोनिक रिश्तों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। समाज में यह धारणा है कि पुरुषों में दोस्ती के रिश्ते सिर्फ बाहरी गतिविधियों तक ही सीमित रहते हैं। जैसे घूमना-फिरना, गप्पे लड़ाना, ड्रिंक्स शेयर करना आदि। अगर किसी पुरुष का अपने दोस्त से इमोशनल कनेक्शन बढ़ने लगे तो उसे कमजोर समझा जाता है। इस कारण से पुरुष भावनात्मक दोस्ती के रिश्तों से बचते हैं। मदद मांगने से बचने की कोशिश: पुरुषों में यह मानसिकता होती है कि उन्हें अपनी समस्याओं का हल खुद ही ढूंढना है। उन्हें किसी से मदद नहीं लेनी चाहिए। इस कारण वे अपने दोस्तों से भी मदद मांगने से कतराते हैं, जिससे दोस्ती में सहयोग और समर्थन की कमी रह जाती है। दोस्ती के मामले में पुरुषों को महिलाओं से क्या सीखने की जरूरत है? महिलाओं में इमोशंस को समझने और उन्हें जाहिर करने के गुण पुरुषों की तुलना में बेहतर होते हैं। विली ऑनलाइन लाइब्रेरी में पब्लिश्ड स्टडी के मुताबिक, महिलाओं में ऑक्सीटोसिन हार्मोन ज्यादा होता है, जिससे वे दोस्ती को बेहतर समझती हैं और ज्यादा महत्व देती हैं। हालांकि, इन सबके बावजूद पुरुषों को महिलाओं से कई बातें सीखने की जरूरत है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। खुलापन और संवेदनशीलता: महिलाओं को समाज में यह सिखाया जाता है कि वे अपनी भावनाओं और विचारों को साझा करें। ऐसे में वे अपने दोस्तों के साथ मजबूत रिश्ते बनाती हैं। महिलाओं के रिश्ते अक्सर इस आधार पर होते हैं कि वे एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां, दुख, मुश्किलें और कमजोरियां साझा करती हैं। पुरुषों को महिलाओं से यह सीखने की जरूरत है। भावनाओं का खुलकर आदान-प्रदान: महिलाएं दोस्तों के साथ अपनी परेशानियों पर खुलकर बातचीत करती हैं। इससे वे एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से जुड़ पाती हैं। पुरुषों को भी इस आदत को अपनाना चाहिए, ताकि वे भी अपने दोस्तों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ सकें। सहानुभूति और समझ: महिलाएं एक-दूसरे की भावनाओं और कठिनाइयों को समझती हैं और साथ ही सहानुभूति दिखाती हैं। वे अपने दोस्तों के साथ समय बिताकर उनकी परेशानियों का समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करती हैं। पुरुषों को भी अपनी भावनाओं को साझा करने और दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की आवश्यकता है, जिससे वे अपने रिश्तों में सहानुभूति ला सकें। कमजोरियों को स्वीकार करना: महिलाएं अपनी कमजोरियों को स्वीकार करती हैं और दूसरों से मदद लेने में संकोच नहीं करतीं। इससे उनके रिश्तों में भरोसा और आत्मीयता बढ़ती है। ऐसे में पुरुषों को भी अपनी कमजोरियों को स्वीकारने की जरूरत है। सामाजिक दबाव से मुक्त होना: महिलाओं के रिश्तों में अधिक खुलापन और सहजता होती है। समाज में उन पर अपनी भावनाओं को छिपाने दबाव नहीं होता है। पुरुषों को इस सामाजिक दबाव को तोड़ने की आवश्यकता है और यह समझने की जरूरत है कि भावनाओं को व्यक्त करना उनकी मर्दानगी को नहीं घटाता, बल्कि इससे वे मजबूत बनाते हैं। पुरुष कैसे अपनी दोस्ती को मजबूत बना सकते हैं? खुलकर बातचीत करना शुरू करें: पुरुषों को अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को खुले दिल से अपने दोस्तों के साथ साझा करना चाहिए। इससे उनके बीच एक मजबूत भावनात्मक कनेक्शन बनेगा। इसकी शुरुआत छोटे कदमों से करें, जैसे किसी समस्या या व्यक्तिगत अनुभव पर बात करना, जिससे एक दूसरे के बीच विश्वास पैदा हो। समान रुचियों पर आधारित गतिविधियां: दोस्ती को मजबूत बनाने के लिए कॉमन पसंद की फिल्में देखें, घूमने जाएं। साथ ही साझा रुचियों जैसे खेल, फिटनेस, यात्रा या अन्य गतिविधियों का सहारा लेना चाहिए। एक-दूसरे का भावनात्मक सहारा बनना: दोस्ती में भावनात्मक समर्थन बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब आप अपने दोस्त की भावनाओं को समझते हैं और उसे सहारा देते हैं, तो यह रिश्ते को मजबूत बनाता है। सहानुभूति का अभ्यास करें: सहानुभूति दिखाना किसी भी रिश्ते में जरूरी है। जब पुरुष अपने दोस्तों की समस्याओं और भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं, तो यह रिश्ते को गहरा बनाता है। इस तरह, पुरुष एक-दूसरे के संघर्षों को समझने के साथ उन्हें हल करने की कोशिश करें। सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव: दोस्ती मजबूत बनाने के लिए पुरुषों को सिर्फ बाहरी गतिविधियों या कामकाजी जीवन के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। बल्कि अपने पर्सनल, इमोशनल पहलुओं पर भी बात करने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही, भावनात्मक रूप से जुड़े रहने के लिए दोस्तों को नियमित रूप से कॉल या संदेश भेजकर उनका हालचाल पूछना चाहिए। सामूहिक कार्यों में समय बिताना: दोस्तों के साथ एक्टिविटीज जैसे, सेमिनार में शामिल होना, किसी एक टीम में शामिल होकर मैच खेलना रिश्ते में सामंजस्य बढ़ाने के लिए मददगार साबित हो सकता है। कमजोरी को स्वीकार करना: खुद की कमजोरी को स्वीकार करना कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्वास और परिपक्वता को दर्शाता है।