हम सब के बीच बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपनी नकारात्मक भावनाओं को सीधे तौर पर नहीं दिखाते हैं। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने किसी से गुस्से में बात की हो और इसके बाद सामने वाले ने अपनी चुप्पी साधकर किसी अलग तरीके से जवाब दिया हो। यही पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर (Passive-Aggressive Behavior) है। यह एक ऐसा व्यवहार है, जिसमें व्यक्ति अपनी असहमति, गुस्सा या नाखुशी छिपाकर, बिना किसी सीधे संघर्ष के परोक्ष रूप से गुस्सा निकालता है। आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर क्या है? साथ ही जानेंगे कि- पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर क्या है? पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपनी नकारात्मक भावनाओं और गुस्से को सीधे तौर पर व्यक्त करने के बजाय परोक्ष रूप से व्यक्त करता है। जब हम गुस्से में होते हैं तो उसे सीधे नहीं कहते, बल्कि किसी और तरीके से जाहिर करते हैं। उदाहरण के लिए, काम में कोई गलती हो, तो सामने वाले को सीधा न बताकर कोई हल्की-फुल्की टिप्पणी करते हैं या फिर चुप हो जाते हैं। पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर के लक्षण इस तरह के व्यवहार को पहचानना आसान नहीं होता है। यह चुपके-चुपके होता है, लेकिन कुछ लक्षणों से आप इसे पहचान सकते हैं। आइए इसके लक्षणों का ग्राफिक के जरिए समझते हैं। पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर के प्रकार पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर के कुछ सामान्य प्रकार होते हैं। जैसे, साइलेंट ट्रीटमेंट, बातों को टालना, या फिर किसी को जानबूझकर समय पर जवाब न देना। कभी-कभी व्यक्ति अपनी भावनाओं को दबाकर दूसरों को गुस्से से पीड़ा पहुंचाने की कोशिश करता है। ऐसे लोग दूसरों के सामने सीधे गुस्से को नहीं दिखाते, लेकिन उनकी प्रतिक्रियाओं से यह साफ हो जाता है। यह व्यवहार रिश्तों में तनाव और अविश्वास पैदा कर सकता है। इससे सामने वाला व्यक्ति असमंजस में पड़ सकता है। 1. साइलेंट ट्रीटमेंट: यह सबसे सामान्य तरीका है। जब व्यक्ति किसी से गुस्सा होता है, तो वह उसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर देता है। यह तरीका सामने वाले को मानसिक रूप से परेशान करता है। 2. टालमटोल करना: किसी काम को बार-बार टालना और उसे सही तरीके से न करना। 3. लुक्स और इशारे: जब हम अपनी नाखुशी को शब्दों से नहीं, बल्कि चेहरे के हाव-भाव या इशारों से व्यक्त करते हैं। 4. बहाने बनाना: हर बार किसी कार्य को न करने के लिए नए बहाने बनाना। जैसे ‘मेरे पास समय नहीं था’ या ‘मैं भूल गया।’; 5. उलझाना: समस्या को अनावश्यक रूप से जटिल बनाना, ताकि सामने वाला व्यक्ति परेशान हो। पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर के कुछ उदाहरण क्यों होता है पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर ? यह सवाल कई बार उठता है कि क्यों कुछ लोग पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर अपनाते हैं? इसके कई कारण हो सकते हैं। आइए इन कारणों का समझते हैं। डर: बहुत से लोग सीधे तौर पर अपनी नकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करने से डरते हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि सामने वाला व्यक्ति उनसे नाराज हो। भावनात्मक असुरक्षा: कुछ लोग अपने असली विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में असुरक्षित महसूस करते हैं। संघर्ष से बचाव: कई बार लोग किसी समस्या या स्थिति से सीधे संघर्ष करने की बजाय उसे चुपके से टालने की कोशिश करते हैं। परिवारिक या सामाजिक माहौल: अगर किसी व्यक्ति ने बचपन में कभी अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त नहीं किया, तो वह बड़ा होकर पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर अपनाता है। पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर के नुकसान यह व्यवहार न केवल हमें, बल्कि हमारे रिश्तों को भी नुकसान पहुंचाता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं कि इसके नुकसान क्या हो सकते हैं। पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर से बचाव के तरीके पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर से बचने के लिए खुलकर और ईमानदारी से अपनी भावनाएं व्यक्त करनी चाहिए। जब हम किसी से नाराज होते हैं, तो सीधे तौर पर बात करना चाहिए। साथ ही अपनी समस्याएं खुद साझा करनी चाहिए। आइए वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. मनीष बोरासी से पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर से बचाव के 5 तरीके जानते हैं- 1. स्ट्रेटफॉरवर्ड कम्युनिकेशन: अपनी भावनाओं को खुलकर और स्पष्ट तरीके से व्यक्त करें। अगर कुछ आपको अच्छा नहीं लग रहा है, तो उसे कहें। 2. इमोशनल इंटेलिजेंस पर काम करें: अपनी भावनाओं को समझें और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें। इससे संवाद में आसानी होगी। 3. संवेदनशीलता बढ़ाएं: अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझें, ताकि विवादों से बच सकें। 4. सकारात्मक आलोचना: आलोचना करते वक्त सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं, ताकि सामने वाला आहत न हो। 5. मनोवैज्ञानिक सहायता: अगर यह व्यवहार गंभीर हो, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लें। हम सभी को अपने व्यवहार पर ध्यान देने की जरूरत है। पैसिव-एग्रेसिव बिहेवियर से न केवल हमारी व्यक्तिगत शांति का नुकसान होता है, बल्कि रिश्तों पर भी गहरा असर पड़ता है। इस तरह का व्यवहार समस्याओं को अनदेखा करता है। धीरे-धीरे तनाव और अविश्वास को बढ़ाता है। यदि हम अपनी भावनाओं और विचारों को सही तरीके से, ईमानदारी से व्यक्त करें, तो हम न केवल खुद को बेहतर महसूस करेंगे, बल्कि हमारे रिश्ते भी मजबूत और स्थिर होंगे। इसलिए, खुलकर और सकारात्मक तरीके से संवाद करना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि हम मानसिक शांति और अच्छे रिश्ते दोनों हासिल कर सकें।