रिलेशनशिप- बच्चों के सामने इन विषयों पर न करें बातचीत:मेंटल हेल्थ और व्यवहार होता प्रभावित, साइकोलॉजिस्ट ने दिए 7 सुझाव

पेरेंट्स की हर एक बात और व्यवहार का उनके बच्चे पर सीधा असर पड़ता है। अगर वे एक-दूसरे के साथ झगड़ते रहते हैं ताे बच्चे के व्यवहार पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं अगर पेरेंट्स हमेशा प्यार और सामंजस्य से रहते हैं तो बच्चा भी खुश रहता है। इसलिए पेरेंट्स को अपने बच्चे के सामने कोई भी बात या व्यवहार सोच-समझकर ही करना चाहिए। बच्चे के सामने कुछ विषयों के बारे में कभी भी चर्चा नहीं करनी चाहिए। इससे वे तनाव में आ सकते हैं। इसमें पर्सनल इनसिक्योरिटी से लेकर भूत-प्रेत और अंधविश्वास तक, कई बातें शामिल हैं। आज रिलेशनशिप कॉलम में हम बात करेंगे कि बच्चों के सामने कौन से मुद्दों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए। साथ ही जानेंगे कि बच्चों को कौन सी बातें सिखानी चाहिए। नकारात्मक बातचीत का बच्चों पर असर सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा सही रास्ते पर चले और उनका नाम रोशन करे। लेकिन कई बार पेरेंट्स जाने-अनजाने में बच्चे के सामने कुछ ऐसी बातें कह जाते हैं, जिनका सीधा असर बच्चे के दिल और दिमाग पर पड़ता है। पेरेंट्स अक्सर बच्चों के सामने ही अपने काम के प्रेशर और पर्सनल लाइफ को लेकर बहस करने लगते हैं। इससे घर में एक टॉक्सिक माहौल बन जाता है, जो बच्चे की मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर बुरा असर डालता है। बच्चों को इससे बचाने के लिए पेरेंट्स को अपनी आदतों में सुधार लाना चाहिए। बच्चों के सामने इन टॉपिक्स पर न करें चर्चा बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, वैसे-वैसे उनके भीतर हर विषय के बारे में जानने की जिज्ञासा भी बढ़ती है। हालांकि पेरेंट्स को अपने छोटे बच्चे के सामने कुछ टॉपिक्स पर बात करने से बचना चाहिए। उदाहरण के लिए कई बार पेरेंट्स गुस्से में बच्चे के सामने दूसरों की बुराई करने लगते हैं। खासतौर पर अपने पार्टनर या परिवार के किसी सदस्य की। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे के मन में उस व्यक्ति के प्रति नफरत की भावना भी पैदा हाे सकती है। इसके अलावा कुछ और टॉपिक्स भी हैं, जिनके बारे में बच्चों के सामने बात नहीं करनी चाहिए। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- आइए, अब ऊपर दिए पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। पार्टनर के साथ विवाद को लेकर अगर पेरेंट्स के बीच कोई विवाद हो तो बच्चे को इससे दूर रखना चाहिए। बच्चे के सामने झगड़ा करने से उन पर बुरा असर पड़ता है। उनमें पेरेंट्स के प्रति नकारात्मक भावना पैदा हो सकती है। दूसरों की आलोचना से जुड़ी बातें बच्चे के सामने किसी की आलोचना करने से उसमें उस व्यक्ति के प्रति नफरत की भावना पैदा हो सकती है। इसलिए उसके सामने हमेशा पॉजिटिव और प्रेरणादायक बातचीत करनी चाहिए। काम से जुड़े तनाव के बारे में बच्चे के सामने वर्क स्ट्रेस के बारे में बात करने से वे चिंतित और तनावग्रस्त हो सकते हैं। इसका उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए उनके सामने ऑफिस के कामों की चर्चा नहीं करनी चाहिए। पारिवारिक मतभेद के बारे में पारिवारिक मतभेद को बच्चों के सामने लाना उनकी मेंटल ग्रोथ के लिए सही नहीं होता है। इससे वे रिश्तों के प्रति कन्फ्यूज हो सकते हैं। उनके मन में अनावश्यक डर और तनाव पैदा हो सकता है। दूसरे बच्चों से जुड़ी तुलनात्मक बातें कभी भी अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से नहीं करनी चाहिए। इससे वे खुद को कमतर महसूस कर सकते हैं और उनमें अयोग्य होने की भावना पैदा हो सकती है। दूसरों के बारे में गॉसिप वाली बातें गॉसिप और झूठी अफवाहों के बारे में बच्चे को बताने से उसमें दूसरों को जज करने की आदत हो सकती है। साथ ही दूसरों के प्रति नकारात्मक भावना आ सकती है। अपने किसी पुराने ट्रॉमा के बारे में अपने अतीत के दर्दनाक अनुभवों को बच्चे के सामने लाने से उसकी मासूमियत प्रभावित हो सकती है। हालांकि अगर बच्चा बालिग हो तो जरूरत पड़ने पर उससे इस बारे में चर्चा कर सकते हैं। जाति और धर्म से जुड़े भेदभाव के बारे में बच्चे के सामने जाति-धर्म या हिंसा के बारे में बात करने से उसकी मानसिकता पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके बजाय उसे समानता और सौहार्द की शिक्षा देना जरूरी है। भूत-प्रेत या अंधविश्वास के बारे में बच्चे के सामने भूत-प्रेत या अंधविश्वास के बारे में बातें करने से उसमें डर पैदा हो सकता है। बच्चे को इस बारे में जागरूक करना चाहिए, ताकि वह भयमुक्त जीवन जी सके। बच्चों के सामने कभी न करें ‘अपशब्दों’ का इस्तेमाल आमतौर पर पेरेंट्स बच्चों के सामने कुछ भी बोलने से पहले विचार नहीं करते हैं। लेकिन उनकी हर एक लाइन बच्चों को प्रभावित करती है। जैसेकि ‘तुम ऐसा कभी नहीं कर पाओगे।’ ये लाइन बच्चों के उभरते आत्मविश्वास को खत्म कर सकती है। इसी तरह गाली-गलौज या कोई भी अपमानजनक शब्द बच्चों को प्रभावित करता है। छोटे बच्चे ऐसी भाषा को बहुत आसानी से सीख लेते हैं। हो सकता है कि उन्हें शब्दों का अर्थ या गंभीरता न पता हो, लेकिन उन्हें लगता है कि उन शब्दों का इस्तेमाल करना अच्छा है। इसलिए उनके सामने अपशब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसके अलावा कुछ ऐसे वाक्य भी हैं, जिन्हें बच्चों के सामने नहीं बोलना चाहिए। इसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- बच्चों को सिखाएं ये बातें अब सवाल आता है कि बच्चे की अच्छी परवरिश कैसे करें और उसे क्या सिखाएं। इस बारे में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कुछ सुझाव देते हैं। इसे नीचे पॅाइंटर्स से समझिए-