रिलेशनशिप- बच्चों को सिखाएं ये 10 जरूरी सोशल स्किल:डेवलपमेंट के लिए जरूरी, पेरेंट्स के लिए साइकोलॉजिस्ट के 8 जरूरी सुझाव

हर पेरेंट्स की ये इच्छा होती है कि उनका बच्चा जीवन में सफल हो, खुश रहे और समाज में सिर ऊंचा करके जिए। इसके लिए वह उसे अच्छे स्कूलों में पढ़ाते हैं, ट्यूशन लगवाते हैं और यहां तक कि एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज भी कराते हैं। लेकिन क्या कभी हमने ये सोचा है कि जिंदगी की असली परीक्षा तो क्लासरूम से बाहर होती है, जहां नंबर नहीं, बल्कि सोशल स्किल्स काम आती हैं। सोशल स्किल्स यानी लोगों से जुड़ने, अपनी बात सही ढंग से कहने, दूसरों की भावनाओं को समझने, समस्याओं को हल करने और टीमवर्क जैसे जरूरी गुण। ये वो चीजें हैं, जो किसी किताबों में नहीं बताई जातीं। लेकिन अगर बचपन में ही ये बच्चों को सिखा दी जाएं तो वे न सिर्फ बेहतर स्टूडेंट, बल्कि जिम्मेदार और समझदार इंसान भी बनते हैं। इस डिजिटल दुनिया में जहां बच्चे स्क्रीन के ज्यादा करीब और लोगों से थोड़ा दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में सोशल स्किल्स की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। कुछ ऐसी जरूरी सोशल स्किल्स हैं, जिन्हें हर पेरेंट्स को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए, ताकि वह एक खुशहाल जीवन की ओर बढ़ सकें। आज रिलेशनशिप कॉलम में हम बच्चों के लिए सोशल स्किल के महत्व के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- बच्चों की लाइफ में सोशल स्किल का महत्व सोशल स्किल बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उन्हें समाज में घुलने-मिलने में मदद करते हैं। इससे वे दूसरों की भावनाओं को समझना और टीमवर्क में काम करना समेत कई चीजें सीखते हैं। इसलिए हर पेरेंट्स को अपने बच्चों को कुछ सोशल स्किल्स जरूर सिखाना चाहिए। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- आइए, अब ऊपर दिए पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। दूसरों के साथ घुलना-मिलना यह स्किल बच्चे को नए लोगों से मिलने और उनसे दोस्ती करना सिखाती है। इसमें आत्मविश्वास से आगे बढ़कर बातचीत शुरू करना, दोस्ताना व्यवहार करना और सोशल एक्टिविटीज में सहज महसूस करना शामिल है। जो बच्चे आसानी से घुलते-मिलते हैं, वे अधिक दोस्त बनाते हैं और उन्हें अकेलापन नहीं महसूस होता है। बड़ों का आदर-सम्मान करना सम्मान देना सिर्फ शिष्टाचार नहीं, एक जीवन मूल्य है। इसमें अपने से बड़ों के प्रति सम्मान दिखाना, उनकी बात ध्यान से सुनना, उनकी राय को महत्व देना और उनके साथ विनम्रता से पेश आना शामिल है। इससे बच्चे अच्छे संस्कार और अनुशासन सीखते हैं। अपनी चीजें दूसरों के साथ शेयर करना शेयरिंग एक महत्वपूर्ण सोशल स्किल है, जो बच्चों में त्याग और उदारता की भावना विकसित करता है। अपने खिलौने, किताबें या अन्य चीजें दूसरों के साथ बांटने से वे दोस्ती और सहयोग की भावना सीखते हैं। यह उन्हें यह समझने में मदद करता है कि दूसरों की खुशी में अपनी खुशी भी है। दूसरों की बातें ध्यान से सुनना अच्छा श्रोता होना एक बड़ी कला है। बच्चों को सिखाएं कि बातचीत में केवल बोलना ही नहीं, बल्कि सामने वाले की बात को ध्यान से सुनना भी जरूरी है। यह इफेक्टिव कम्युनिकेशन का एक जरूरी पार्ट है। दूसरों की बातों को ध्यान से सुनने का मतलब है उनकी बात में रुचि दिखाना, बीच में न टोकना और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करना। यह बच्चों को दूसरों के साथ मजबूत संबंध बनाने में मदद करता है। टीमवर्क और सहयोग की भावना टीमवर्क का मतलब है, एक ग्रुप में मिलकर काम करना। यह स्किल जिम्मेदारी, समझौता और सामूहिक सफलता का महत्व सिखाती है। जब बच्चे मिलकर काम करना सीखते हैं, तो उनमें एकता, संयम और कर्तव्यबोध जैसे गुण विकसित होते हैं। धैर्यवान बने रहना बच्चों को सिखाएं कि धैर्य रखना सफलता की कुंजी है। इससे वे छोटी-छोटी बातों में हताश नहीं होते। धैर्य एक महत्वपूर्ण गुण है, जो बच्चों को चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करता है। एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति दिखाना सहानुभूति का अर्थ है, दूसरों की भावनाओं को समझना। यह स्किल बच्चों को दूसरों के दृष्टिकोण को समझने और मुश्किलों में उनका साथ देने की क्षमता विकसित करता है। यह उन्हें अधिक संवेदनशील और केयरिंग बनाता है। जिम्मेदारी से अपना काम करना जिम्मेदारी का मतलब है, अपने कर्तव्यों को समझना और उन्हें ईमानदारी से पूरा करना। बच्चों को उनके छोटे-छोटे काम खुद करने दें। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और जिम्मेदारी की भावना आती है। गलती पर माफी मांगना अपनी गलती स्वीकार करना और उसके लिए माफी मांगना एक जरूरी सोशल स्किल है। सच्ची माफी का मतलब, अपनी गलती स्वीकार करना और भविष्य में उसे फिर से न दोहराने का संकल्प लेना है। बच्चे जब अपनी गलती को स्वीकारना सीखते हैं तो वे और अधिक ईमानदार और मैच्योर बनते हैं। पॉजिटिव एटीट्यूड रखना हर परिस्थिति में सकारात्मक सोच बनाए रखना बच्चों को मजबूती से जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाता है। सकारात्मक सोच वाले बच्चे अधिक खुश रहते हैं। पेरेंट्स बच्चों को ऐसे सिखाएं सोशल स्किल बच्चों को सोशल स्किल्स सिखाने में पेरेंट्स अहम भूमिका है। इसके लिए उन्हें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सोशल स्किल से बच्चों में डेवलप होते ये गुण जब बच्चे सोशल स्किल्स सीखते हैं तो उनके अंदर कई सकारात्मक गुण अपने आप विकसित होने लगते हैं। जैसेकि-