रिलेशनशिप- मेलिंडा गेट्स भी कभी टॉक्सिक रिश्ते में थीं:पार्टनर के उनके लुक्स पर फोकस से घटा कॉन्फिडेंस, एक्सपर्ट की 6 सलाह

गेट्स फाउंडेशन की सह-संस्थापक और समाजसेविका मेलिंडा गेट्स ने हाल ही दिए एक इंटरव्यू में अपने अतीत के रिश्ते पर बात की। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की पूर्व पत्नी मेलिंडा ने अपने पुराने टॉक्सिक रिश्ते के बारे में बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कॉलेज के दिनों का उनका ब्वॉयफ्रेंड उनके लुक्स और बॉडी इमेज पर कमेंट करता था। वह मेरे लुक्स की जरूरत से ज्यादा परवाह करता था, जो मेरे बिल्कुल नाकाबिल-ए-बर्दाश्त था। मेलिंडा कहा कि इससे उनके आत्मविश्वास को गहरा नुकसान पहुंचा। इससे वे लंबे समय तक एंग्जाइटी और लो सेल्फ-कॉन्फिडेंस से जूझती रहीं, जिसका असर 30 की उम्र तक बना रहा। मिलिंडा कहती हैं कि थेरेपी लेने के बावजूद, अब भी उनके दिमाग में उस रिश्ते का असर है। अगर रिश्ता टॉक्सिक हो, तो यह हमारे सेल्फ-कॉन्फिडेंस, भरोसे के साथ-साथ मेंटल और इमोशनल हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप कॉलम में जानेंगे कि- अगर पार्टनर आपके लुक्स पर ज्यादा फोकस करता है, तो क्या करें? अगर आपका पार्टनर सिर्फ आपके लुक्स के बारे में बात करता है और आपकी आंतरिक खूबसूरती, आपके गुणों तथा आपकी भावनाओं की कद्र नहीं करता है, तो आपको कुछ कदम उठाने चाहिए। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। पार्टनर से इस बार में खुलकर बात करें: अपने पार्टनर से खुलकर और साफ-साफ कहिए कि “मुझे ऐसा लगता है कि आप हमेशा मेरे लुक्स के बारे में बात करते हो, लेकिन मेरी सोच और मेरी अच्छी आदतें भी मायने रखती हैं।” आत्मसम्मान पर ध्यान दें: अगर आप महसूस करती हैं कि इससे आपका आत्मसम्मान प्रभावित हो रहा है, तो अपने लिए समय निकालें और अपने अंदर के गुणों को पहचानें। हेल्दी बाउंड्री तय करें: अगर आपका पार्टनर हमेशा आपकी बाहरी सुंदरता पर ही बात करता है या आपकी आलोचना करता है और आपको यह बात बुरी लगती है, तो उन्हें बताइए कि आपको यह पसंद नहीं है। साफ-साफ कहें: “मैं चाहती हूं कि जब हम बात करें तो आप मेरी अंदर की अच्छाइयों को भी ध्यान में रखें, सिर्फ मेरे लुक्स को नहीं।” खुद पर ध्यान दें: इस बारे में भी सोचें कि क्या आप भी अपने लुक्स को लेकर परेशान रहती हैं। या सिर्फ आपके पार्टनर का व्यवहार ही ऐसा है। सोच-समझकर फैसला लें: अगर पार्टनर में पॉजिटिव बदलाव नहीं दिख रहा है और आपके आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचा है, तो बेहतर है कि आप इस रिश्ते से अलग हो जाएं। मदद लें: रिश्ता टूटने के बाद आत्मविश्वास हासिल करने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में किसी एक्सपर्ट की मदद लें। वे आपका खोया हुआ आत्मविश्वास हासिल करने में मदद कर सकते हैं। हमारे भीतर यह भाव कहां से आता है कि चेहरा सुंदर है? हमारी सोच में यह धारणा हमारे व्यक्तिगत अनुभव, समाज, परिवार और मीडिया की वजह से आ सकती है। सामाजिक मान्यताएं: हर दिन टीवी, फिल्में और सोशल मीडिया और ब्यूटी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन बताते हैं कि सुंदरता केवल बाहरी दिखावे में है। पारिवारिक प्रभाव: परिवार के लोग जब हमारी तारीफ करते हैं। ‘तुम्हारा चेहरा कितना प्यारा है’ जैसे वाक्यों का बोला जाना भी इस सोच की वजह है। दूसरों से तुलना: हम हमेशा दूसरों से खुद की तुलना करते रहते हैं। हम जिस परिवेश में रहते हैं अगर वहां केवल बाहरी सुंदरता को महत्व दिया जाता है, तो हम अपने अंदर के गुणों को दबा देते हैं। फिजिकल ब्यूटी को लेकर परेशान होने के बजाय अपने भीतर कौन-सी खूबियां विकसित करनी चाहिए? कई सारे लोगों को लगता है कि फिजिकल ब्यूटी बहुत मायने रखती है। जबकि यह अस्थाई है और समय के साथ समाप्त हो जाती है। ऐसे में हमें आंतरिक खूबियों विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आत्मविश्वास: खुद पर भरोसा करें जब आप अपनी क्षमताओं और योग्यताओं पर भरोसा करते हैं, तो आप न सिर्फ खुद को बेहतर समझते हैं, बल्कि दूसरों के सामने भी आत्मविश्वास से पेश आते हैं। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और उन्हें पूरा करें। जैसे, रोज 10 मिनट किताब पढ़ना। हर दिन एक ऐसी बात लिखें, जो आपको अपने बारे में अच्छी लगती हो। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। सहानुभूति: दूसरों की भावनाओं को समझें यह गुण आपको दूसरों के करीब लाता है है। जब कोई अपनी बात कहे तो ध्यान से सुनें, उसकी भावनाओं को समझें। अगर कोई दुखी है, तो सोचें कि आप उस स्थिति में क्या महसूस करते। ईमानदारी: सच का साथ दें छोटी-छोटी बातों में सच बोलें। जैसे, अगर आपने कोई काम नहीं किया, तो बहाने न बनाएं, गलती स्वीकार करें। माफी मांगने में हिचके नहीं। दूसरों के साथ वादे सोच-समझकर करें और उन्हें निभाएं। धैर्य: संयम बनाए रखें जब गुस्सा या बेचैनी लगे तो गहरी सांस लें। 10 तक गिनती करें। छोटी-छोटी चीजों में धैर्य दिखाएं, जैसे ट्रैफिक में इंतजार करना। बड़े लक्ष्यों पर ध्यान दें। जैसे, अगर आप जॉब में प्रमोशन चाहते हैं, तो मेहनत के साथ इंतजार भी करें। सकारात्मकता: हमेशा उम्मीद रखें हर दिन तीन ऐसी चीजें लिखें, जिनके लिए आप शुक्रगुजार हैं। नकारात्मक सोच को चुनौती दें। जैसे, अगर आप सोचते हैं कि आप असफल हैं, तो अपनी उपलब्धियों को याद करें। आत्म-अनुशासन: नियमित और मेहनती बनें हर रोज की दिनचर्या बनाएं। जैसे, सुबह जल्दी उठना या रोज व्यायाम करना। छोटे-छोटे नियम बनाएं और उनका पालन करें। समझदारी: सोच-समझकर निर्णय लें कोई फैसला लेने से पहले उसके फायदे और नुकसान सोचें। दूसरों की सलाह लें, लेकिन अंत में अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें। दयालुता: दूसरों के लिए अच्छा करें रोज एक छोटा अच्छा काम करें, जैसे किसी को धन्यवाद कहना या मदद करना। दूसरों की तारीफ करें। उनकी अच्छाइयों को देखें। रचनात्मकता: नई सोच अपनाएं नई चीजों में हाथ आजमाएं, जैसे पेंटिंग, लेखन या खाना बनाना। किताबें पढ़ें या नए लोगों से मिलें ताकि आपके विचार बढ़ें। सीखते रहें: लगातार सीखें और बढ़ें अपने स्किल्स और शौक पर लगातार काम करें। हमेशा कुछ नया सीखते रहें। जैसे कोई नई भाषा या सॉफ्टवेयर। ये सारी आदतें आपको किसी और की तुलना में ज्यादा खूबसूरत बनाएंगी। साथ ही आत्मविश्वास हासिल करने में मदद करेंगी। टॉक्सिक रिश्ते के संकेत क्या हैं? टॉक्सिक रिश्ते ऐसी स्थितियां होती हैं जहां आपके आत्मसम्मान, स्वाभिमान और मानसिक शांति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे रिश्तों में कुछ ऐसे संकेत दिखाई दे सकते हैं। निरंतर आलोचना: बिना वजह लगातार आपकी आलोचना होना। अधिक नियंत्रण: आपका हर काम नियंत्रित करने की कोशिश करना। अपमान: बार-बार आपको नीचा दिखाना या अपमानित करना। अविश्वास: आपकी हर बात पर संदेह करना, जिससे आपका आत्मसम्मान गिरता है। पार्टनर चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? किसी भी रिश्ते की शुरुआत बहुत मायने रखती है। ऐसे में साथी का चुनते इन बातों का ध्यान रखें। समान सोच: आपके लाइफ वैल्यूज एक-दूसरे से मेल खाते हों। लक्ष्य और सपने: दोनों के सपने और उद्देश्यों में समानता जरूरी है। इमोशनली कनेक्टेड: आपके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा हो। खुलकर बातचीत करे: पारदर्शिता और ईमानदारी से बात करे। हेल्दी बाउंड्री: आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करता हो। आत्मसम्मान: जो आपकी पहचान की कद्र करता हो, वही सही साथी है। सकारात्मक सोच: हर परिस्थिति में सकारात्मक नजरिया रखता हो। समस्याओं का समाधान: मुश्किल समय में आपा खोने के बजाय समाधान खोजने में विश्वास रखता हो। सेल्फ-इम्प्रूवमेंट: जो आपकी प्रगति में सहयोग करे और खुद भी खुद को बेहतर बनाए। रचनात्मकता: दोनों साथी एक-दूसरे के सपनों और जुनून को समझें और बढ़ावा दें।