कोई भी रिश्ता दोनों पक्षों के प्रयास और समझदारी से चलता है। जब दो लोग एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ते हैं, तभी किसी रिश्ते की गाड़ी ठीक से चलती है। इसमें दोनों व्यक्तियों की बराबर की भूमिका होनी चाहिए। अगर रिश्ते में किसी एक पर डिपेंडेंसी होती है तो ये भारी लगने लगता है। ये रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता है। इसे ही को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप कहते हैं। ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ थियोलॉजी फिलॉसफी एंड साइंस’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, को-डिपेंडेंसी रिश्ते को खराब कर देती है। इसमें व्यक्ति को ओवरथिंकिंग, उदासी, गुस्सा, डर व शर्म जैसी नकारात्मक भावनाओं का अनुभव होता है। आज रिलेशनशिप कॉलम में हम रिश्ते में को-डिपेंडेंसी के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप क्या है? को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप में व्यक्ति पार्टनर की जरूरतों और खुशियों के लिए अपनी इच्छाओं, जरूरतों और पहचान को खत्म कर देता है। इस तरह का रिश्ता अनहेल्दी होता है क्योंकि इसमें व्यक्ति पूरी तरह से पार्टनर पर निर्भर रहता है। वह उसके बिना अधूरा महसूस करता है। रिश्ते में लोग इसलिए हो जाते हैं को-डिपेंडेंट रिश्ते में लोग कई कारणों से को-डिपेंडेंट होते हैं। इसमें बचपन के खराब अनुभव, कम आत्मसम्मान, अकेलेपन का डर और इमोशनल इन-सिक्योरिटी समेत कई चीजें शामिल हैं। अगर किसी व्यक्ति ने बचपन में उपेक्षा, दुर्व्यवहार या खराब वातावरण का अनुभव किया है तो वह रिश्ते में को-डिपेंडेंट हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों में आत्मसम्मान की कमी होती है या जो लोग अकेलेपन से डरते हैं, वे भी रिश्ते में को-डिपेंडेंट हो सकते हैं। इमोशनल इन-सिक्योरिटी और रिजेक्ट होने का डर भी लोगों को रिश्ते में को-डिपेंडेंट बना सकता है। इसके अलावा ये जेनेटिक भी हो सकता है। कहीं आप भी तो नहीं, रिश्ते में को-डिपेंडेंट को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप में व्यक्ति हमेशा पार्टनर की जरूरतों को ज्यादा महत्व देता है। वह उसके व्यवहार को कंट्रोल करने की कोशिश करता है। उसे पार्टनर की हर समस्या अपनी लगती है। वह हर समय खुद को सही साबित करने में लगा रहता है। अगर आपमें या आपके पार्टनर में ये संकेत हैं तो आप को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप में हो सकते हैं। इसके अलावा रिश्ते में को-डिपेंडेंसी के और भी कुछ संकेत हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- को-डिपेंडेंसी का रिश्ते पर प्रभाव को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप का व्यक्ति और रिश्ते दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रिश्ते में को-डिपेंडेंट होने से आत्मसम्मान में कमी आती है। रिश्ते के बारे में ज्यादा सोचने से स्ट्रेस, डिप्रेशन या एंग्जाइटी हो सकती है। व्यक्ति अपनी पहचान खो देता है। वह अपनी जरूरतों और इच्छाओं को इग्नोर करने लगता है। दबी हुई भावनाएं समय के साथ रिश्ते में नाराजगी पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप में व्यक्ति पार्टनर काे कंट्रोल में रखना चाहता है। इससे रिश्ते में असंतुलन पैदा होता है। रिश्ते में लगातार संघर्ष और तनाव रहता है। इसके कई और नकारात्मक प्रभाव हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप को बैलेंस करना जरूरी को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप को बैलेंस करना मुश्किल जरूर है, लेकिन यह असंभव नहीं है। इसे बैलेंस करने के लिए किसी एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं। साथ ही कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखें। इसे नीचे दिए पॉइंटर्स से समझिए-