रिलेशनशिप- रिश्तों में समस्या हो तो किसके पास जाएं:साइकोलॉजिस्ट या थेरेपिस्ट, दोनों में क्या है अंतर, बता रहे हैं एक्सपर्ट

हम सभी कभी-न-कभी मेंटल या इमोशनल प्रॉब्लम्स का सामना करते हैं। इसकी वजह स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन और रिलेशनशिप प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। यह समस्या बढ़ने पर हमें एक्सपर्ट की आवश्यकता पड़ती है, जो हमें इससे बाहर निकलने में मदद करते हैं। हालांकि, जब बात मेंटल और इमोशनल हेल्थ की आती है, तो हमारे सामने समस्या होती है कि साइकोलॉजिस्ट की मदद लें या थेरेपिस्ट की। यह सवाल कई बार हमें उलझन में डाल देता है। आमतौर पर हमें यह जानकारी नहीं होती कि किस स्थिति में हमें किसकी मदद चाहिए। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट के बीच अंतर जब हम मेंटल प्रॉब्लम्स के इलाज के बारे में बात करते हैं, तो अक्सर साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट के बीच कंफ्यूजन होता है। दरअसल, इन दोनों के बीच का मुख्य अंतर उनकी एजुकेशन और ट्रेनिंग में होता है। साथ ही उनके इलाज करने के तरीके और नजरिए में भी फर्क होता है। यदि आप मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से मिलने की सोच रहे हैं, तो यह समझना जरूरी है कि लाइसेंस प्राप्त थेरेपिस्ट के पास आमतौर पर मास्टर डिग्री होती है। जबकि साइकोलॉजिस्ट्स डॉक्टरेट की डिग्री हासिल कर चुके होते हैं। हालांकि, इसके बावजूद कुछ साइकोलॉजिस्ट खुद को थेरेपिस्ट, साइकेट्रिस्ट या साइकोथेरेपिस्ट कहते हैं। वहीं कुछ खुद को काउंसलर बताते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि हमारे मेंटल हेल्थ के लिए किसका चुनाव बेहतर है। इलाज का तरीका अलग साइकोलॉजिस्ट रिसर्च के माध्यम से समस्या की गहराई में जाकर इलाज करते हैं। वहीं, थेरेपिस्ट और काउंसलर इलाज में व्यावहारिक नजरिए को प्राथमिकता देते हैं। काउंसलर खासतौर से परिवार, स्कूल रिश्ते से जुड़ी समस्याओं में मदद करते हैं। क्या हैं समानताएं? साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। हालांकि, दोनों के बीच कई समानताएं भी होती हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। साइकोलॉजिस्ट, क्लिनिकल साइकेट्रिस्ट और थेरेपिस्ट में अंतर साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट की विशेषताएं साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट हाईली एजुकेटेड होते हैं और लंबी ट्रेनिंग करते हैं। उनका फोकस गहरे मेंटल प्रॉब्लम्स, जैसे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) और मेंटल प्रॉब्लम्स पर होता है। वे पेशेंट के कई साइकोलॉजिकल टेस्ट करते हैं। इसके बाद CBT (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी), DBT (डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी) और अन्य थेरेपी के जरिए इलाज करते हैं। वहीं थेरेपिस्ट रिश्ते में तनाव, शोक, सेल्फ-रिस्पेक्ट में कमी और सामान्य जीवन की अन्य समस्याओं का इलाज करते हैं। थेरेपिस्ट के पास मास्टर डिग्री होती है और वे काउंसलिंग और अन्य तरीके से ट्रीटमेंट करते हैं। थेरेपिस्ट इमोशनल सपोर्ट के जरिए प्रॉब्लम सॉल्व करते हैं। कैसे करें सही एक्सपर्ट का चुनाव साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट, दोनों हमारे मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, हमारे लिए अपनी जरूरत को ध्यान में रखकर सही विकल्प का चुनाव करना महत्वपूर्ण है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक को विस्तार से समझते हैं। अगर आप रिश्ते में तनाव या शोक जैसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो दोनों एक्सपर्ट आपकी मदद कर सकते हैं। दोनों ही एंग्जाइटी और डिप्रेशन के इलाज के लिए बेहतर विकल्प हैं। इसके अलावा, ग्रुप थेरेपी में भी दोनों को एक्सपर्टीज हासिल है। अगर आपको अपने विचार और व्यवहार में बदलाव लाने की आवश्यकता महसूस हो, तो साइकोलॉजिस्ट बेहतर विकल्प हो सकते हैं। साइकोलॉजिस्ट गहरे मेंटल डिसऑर्डर का इलाज करते हैं। वहीं अगर आपकी मानसिक स्थिति रोजमर्रा के जीवन में गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है, तो एक क्लिनिकल साइकेट्रिस्ट आपकी बेहतर मदद कर सकता है। साइकोलॉजिस्ट और क्लिनिकल साइकेट्रिस्ट लांग टर्म ट्रीटमेंट, डायग्नोसिस और रिसर्च बेस्ड ट्रीटमेंट दे सकते हैं। जबकि थेरेपिस्ट इमोशनल प्रॉब्लम्स और सामान्य मेंटल स्ट्रेस से निपटने में मदद करते हैं। किसकी कितनी फीस
अगर आप किसी निजी क्लिनिक में जा रहे हैं, तो फीस ज्यादा हो सकती है। खासकर अगर डॉक्टर के पास ज्यादा अनुभव हो और उनकी क्लाइंट लिस्ट लंबी हो। ऐसे में आप ग्रुप थेरेपी या काउंसलिंग ऐप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जहां कम कीमत पर इलाज संभव है। अगर आपके पास बीमा है, तो यह देख लें कि आपके चुने हुए डॉक्टर या थेरेपिस्ट का नाम बीमा नेटवर्क में है या नहीं, जिससे आपको अतिरिक्त खर्च न उठाना पड़े। कुल मिलाकर, साइकोलॉजिस्ट, क्लिनिकल साइकेट्रिस्ट और थेरेपिस्ट सभी आपकी मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। इस बारे में फैसला लेने से पहले अपनी समस्या की गंभीरता, इलाज की जरूरत और खर्च तीनों पर ध्यान दें।