आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस, एंग्जाइटी और मेंटल इनस्टेबिलिटी आम समस्या है। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक, हम सब किसी–न–किसी स्ट्रेस में उलझे रहते हैं। चाहे वह ऑफिस का प्रेशर हो, रिश्तों की उलझन हो या हेल्थ की परेशानी। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के एक सर्वे के मुताबिक भारत के जनरेशन-Z और मिलेनियल्स स्ट्रेस और एंग्जाइटी से प्रभावित हैं। स्टडी के अनुसार, करीब 77% भारतीयों में कम से कम स्ट्रेस का एक लक्षण देखा गया। साथ ही हर तीसरे भारतीय को स्ट्रेस और एंग्जाइटी से जूझते हुए पाया गया है। क्या आप भी ऐसी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं? यहां हम एक ऐसी थेरेपी के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो आपकी मेंटल और इमोशनल हेल्थ को बेहतर बना सकती है। यह टेकनीक स्ट्रेस, एंग्जाइटी और नेगेटिव इमोशन्स को कम करने में मदद करती है। खास बात यह है कि इसे घर बैठे बिना किसी गैजेट की मदद से किया जा सकता है। इसे इमोशनल फ्रीडम टेकनीक (EFT) या ‘टैपिंग थेरेपी’ के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- EFT क्या है? ईएफटी को टैपिंग थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। यह टेक्निक मेंटल और इमोशनल समस्याओं को दूर करने में मददगार होती है। इसमें शरीर के खास प्रेशर पॉइंट्स पर उंगलियों से हल्के-हल्के टैप किया जाता है। यह तकनीक एक्यूप्रेशर और आधुनिक मनोवैज्ञानिक तरीकों का कॉम्बिनेशन है। इसका उद्देश्य आपके नर्वस सिस्टम को शांत करना और नकारात्मक भावनाओं को कम करना है। हमारी बॉडी और ब्रेन में एक एनर्जी सिस्टम होता है, जिसे ‘माइंड-बॉडी कनेक्शन’ कहते हैं। इसमें बदलाव की वजह से कई सारी मेंटल और फिजिकल प्रॉब्लम्स पैदा होती हैं। ईएफटी की मदद से इस प्रॉब्लम को दूर कर मेंटल हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं। EFT कैसे काम करता है? इमोशनल फ्रीडम टेकनीक (EFT) के अनुसार, हमारी भावनाओं और शरीर के बीच गहरा संबंध है। जब हम नेगेटिविटी या स्ट्रेस फील करते हैं, तो ये भावनाएं शरीर पर असर डाल सकती हैं। इससे मांसपेशियों में कसाव, सिरदर्द, तनाव और अन्य किसी दर्द की समस्या पैदा हो सकती है। इमोशन हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है? जब हम नेगेटिव इमोशन फील करते हैं, तो एनर्जी सिस्टम में ब्लॉक्स पैदा हो जाते हैं। इससे एनर्जी फ्लो में रुकावट आती है, जो फिजिकल और मेंटल समस्याओं का कारण बनती हैं। जब हम EFT तकनीक का प्रयोग करते हुए इन प्रेशर पॉइंट्स को टैप करते हैं, तो शरीर के एनर्जी सिस्टम में सुधार होता है। इससे इमोशनल सिचुएशन के साथ फिजिकल स्ट्रेस कम होने लगता है। ईएफटी टेकनीक स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल को कम करती है। साथ ही दिमाग में पॉजिटिव बदलाव लाने में मदद करती है। आइए ग्राफिक के पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं। अपनी समस्या पहचानें: सबसे पहले उस समस्या या भावनात्मक स्थिति की पहचान करें, जो आपको परेशान कर रही है। इमोशनल इंटेंसिटी को मापें: अपनी समस्या की तीव्रता को 0 से 10 के स्केल पर रेट करें। एक पॉजिटिव स्टेटमेंट बनाएं: जैसे, ‘भले ही मुझे स्ट्रेस है, लेकिन मैं बिना भागे इसे खत्म करूंगा।’ प्रेशर पॉइंट्स पर टैप करें: अपने पॉजिटिव स्टेटमेंट को दोहराते हुए शरीर के प्रेशर पॉइंट्स, जैसे माथा, आंखों के पास, नाक के नीचे, ठुड्डी, कॉलरबोन और सिर पर टैप करें। इमोशंस को रेट करें: टैपिंग के बाद देखें कि आपकी भावनाओं की तीव्रता कितनी कम हुई है। कब करें EFT? ईएफटी (EFT) करने का कोई खास समय नहीं है। जब भी आपको लगे कि आप तनाव में हैं या किसी नेगेटिव इमोशन से आपको परेशानी हो रही है, तो EFT ट्राई कर सकते हैं। हालांकि, इसे रोज सुबह या रात सोने से पहले करने से अच्छे रिजल्ट मिलने की संभावना ज्यादा होती है। EFT के लाभ ईएफटी के कई सारे लाभ हैं, जो हमें मेंटल और फिजिकल रूप से स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। आइए इन्हें ग्राफिक के जरिए समझते हैं। तनाव कम करता है ईएफटी के जरिए दिमाग में चल रही उथल-पुथल को शांत करने में मदद मिलती है। EFT से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का लेवल कम होता है। इमोशनल स्टेबिलिटी बढ़ाता है टैपिंग थेरेपी से डर, चिंता और नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं। यह आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। एकाग्रता और परफॉर्मेंस में सुधार ईएफटी से मेंटल क्लैरिटी बढ़ती है। यह आपकी एकाग्रता और परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने में मदद करती है। फिजिकल हेल्थ में सुधार ईएफटी केवल मेंटल प्रॉब्लम्स के लिए ही नहीं, बल्कि फिजिकल हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे ब्लड प्रेशर, सिरदर्द और अनिद्रा के लिए भी फायदेमंद है। पुरानी यादों से छुटकारा ईएफटी तकनीक की मदद से आप उन पुरानी भावनात्मक यादों को भी कम कर सकते हैं, जो आपके दिमाग पर बोझ बन चुकी हैं, जिन्हें आप भूलने की कोशिश करते हैं। क्या इसे एक्सपर्ट के बिना कर सकते हैं? अगर आपकी समस्या सामान्य है, तो आप ईएफटी खुद कर सकते हैं। हालांकि, यदि आप गंभीर मानसिक समस्याओं जैसे डिप्रेशन, PTSD या किसी पुराने ट्रॉमा से जूझ रहे हैं, तो इसे किसी प्रशिक्षित थेरेपिस्ट की मदद से करें। क्या EFT सभी के लिए सुरक्षित है? ईएफटी एक सुरक्षित तकनीक है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। हालांकि, अगर किसी खास पॉइंट पर टैपिंग से असुविधा महसूस होती है, तो उसे छोड़ देना चाहिए। किन बातों का रखें ख्याल EFT को अपनाते समय इस बात को समझना जरूरी है कि यह हर किसी के लिए कारगर नहीं हो सकता है। अगर आपने EFT को आजमाया है और इसका कोई लाभ नहीं दिख रहा है तो दूसरा तरीका आजमा सकते हैं। हर व्यक्ति की जिंदगी और अनुभव अलग होते हैं। हो सकता है कि आपके लिए कोई और तरीका ज्यादा असरदार हो। खुद से EFT ट्राई करने के बाद भी कोई सुधार महसूस नहीं हो रहा, तो परेशानी की कोई बात नहीं है। हालांकि, आपके विचार और इमोशन से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है, तो मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करें। स्ट्रेस और एंग्जाइटी से निपटने के लिए कई सारे तरीके मौजूद हैं। एक्सपर्ट आपको सबसे उपयुक्त तरीका चुनने में मदद कर सकता है।