पिछले कुछ सालों से देश और दुनिया में युवाओं की नई वर्कफोर्स तैयार हो रही है, जिसे Gen-Z के नाम से जाना जाता है। Gen-Z यानी ऐसे लोग, जो 1996 के बाद और 2012 से पहले पैदा हुए हैं। इस युवा वर्कफोर्स के बल पर दुनिया के कई देश कुलांचे मारने का ख्वाब देखते हैं। हालांकि, यहां कहानी वास्तविकता से अलग है और Gen-Z युवाओं के सामने नौकरियों का संकट है। एक ओर जहां Gen-Z युवा नौकरियों की तलाश में कंपनियों के दरवाजे खटखटा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ कंपनियां इन्हें नौकरी पर रखने से बच रही हैें। इंटेलिजेंट डॉट कॉम की एक रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका की 60% कंपनियों ने Gen-Z कर्मचारियों को नौकरी पर रखने के कुछ दिनों बाद ही निकाल दिया। साथ ही 75% कंपनियों का कहना है कि ज्यादातर Gen-Z कर्मचारी उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- Gen-Z युवाओं को कंपनियां नौकरी पर क्यों नहीं रखना चाहती हैं? दरअसल, किसी भी काम को करने के लिए सिर्फ काम आना जरूरी नहीं है। बेहतर काम करने के लिए, टीम के साथ मिलकर काम करना, मुश्किलों का हल निकालना और अन्य सॉफ्ट स्किल्स में पारंगत होना जरूरी है। कंपनियां मानती हैं कि Gen-Z में इन स्किल्स की कमी है, जिसकी वजह से काम प्रभावित होता है। साथ ही Gen-Z की देखरेख और उनको लीड करने में सीनियर्स को अधिक स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। इस वजह से कई सीनियर्स और प्रबंधक नौकरी छोड़ने का विचार कर रहे हैं। स्ट्रैडा इंस्टीट्यूट एंड बर्निंग ग्लास इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट ‘टैलेंट डिसरप्टेड’ के अनुसार, ग्रेजुएट होने के एक साल बाद भी आधे से अधिक लोग कम वेतन में काम कर रहे हैं। इसकी वजह सॉफ्ट स्किल्स की कमी है। Gen-Z युवाओं में किन स्किल्स की कमी? कंपनियां यह तो मानती हैं कि हम Gen-Z टेक सेवी हैं और टेक्नीकली अपने काम में बेहतर हैं। इसके बावजूद लगभग 25% कंपनियों के मालिक हम Gen-Z को नौकरी देने के बारे में नहीं सोचते हैं। इसकी वजह यह है कि हममें ‘सॉफ्ट स्किल्स’ की कमी है, जो एक अच्छी नौकरी के लिए जरूरी होती है। इन कमियों के पीछे की वजह क्या है? दरअसल, कोविड-19 महामारी के दौरान जब सब कुछ ऑनलाइन हो गया, तो हमें लोगों से मिलने-जुलने और ये स्किल्स सीखने का मौका नहीं मिला। ऑनलाइन एजुकेशन की वजह से पर्सनल एक्सपीरियंस और सामने से बातचीत करने की स्किल्स का विकास नहीं हो सका है। इसलिए, जब हम Gen-Z जॉब के लिए जाते हैं, तो कंपनियों को लगता है कि हम तैयार नहीं हैं। सॉफ्ट स्किल्स की कमी से क्या परेशानियां हो सकती हैं? मैनेजर्स पर दबाव: मैनेजर्स मानते हैं कि Gen-Z युवाओं को संभालने में उन्हें अधिक मेहनत करनी पड़ती है। वर्कप्लेस की चुनौतियों के लिए तैयार नहीं: कुछ कंपनियां मानती हैं कि Gen-Z युवा वर्कप्लेस पर चुनौतियों से बचते हैं और उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। प्रेरणा या पहल की कमी: कई कंपनियों का कहना है कि Gen-Z युवाओं में काम करने की इच्छा कम होती है, जिससे काम की गति धीमी हो जाती है। फीडबैक पर जवाब देने में कठिनाई: लगभग 45% कंपनियों का मानना है कि Gen-Z युवाओं को फीडबैक को गलत समझने में परेशानी होती है। कई बार वे इसे गलत तरीके से लेते हैं। वर्कप्लेस के लिए तैयार नहीं होते हैं: कंपनियों के मालिक और मैनेजर्स मानते हैं कि Gen-Z युवा वर्कप्लेस के माहौल, वर्क कल्चर को नहीं समझते है। साथ ही जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। Gen-Z युवा इन समस्याओं से कैसे निपट सकते हैं? अगर कोई समस्या है, तो समाधान भी है। इंसान की इच्छाशक्ति के सामने हर समस्या छोटी है। Gen-Z युवा छोटे-छोटे प्रयासों के जरिए इन समस्याओं के जरिए छुटकारा पा सकते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक्स को विस्तार से समझते हैं। अपने स्किल्स पर फोकस करें: अपनी स्किल को सुधारना और उस पर लगातार काम करना ही सफलता की ओर बढ़ने का रास्ता है। सबसे पहले, अपनी बातचीत करने की स्किल को सुधारें। लोगों के साथ खुलकर बात करें, ग्रुप में चर्चा करें और अपनी बात को स्पष्टता रखें। साथ ही प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल पर काम करें। मुश्किल परिस्थितियों में समाधान निकालने की क्षमता, टीम में काम करने का अनुभव और नए-नए तरीकों को सोचने की आदत आपके करियर को आगे बढ़ाएगी। नई चीजों के बारे में जानें और पढ़ें, भले ही वे विषय से हटकर हों। इससे क्रिएटिविटी का विकास होगा। दूसरों के साथ मिलकर काम करें और समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजें। ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों जगह सीखें: ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम स्किल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इंटरनेट के माध्यम से अपने क्षेत्र के लोगों से जुड़ें। ऑनलाइन और ऑफलाइन वर्कशॉप और सेमिनार में भाग लें। ऑफलाइन मिलने पर नए लोगों से बातचीत करें। अनुभवी लोगों से सलाह लें। साथ ही एक्सपीरियंस के लिए इंटर्नशिप करें, छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स पर काम करें और टीम के साथ काम करने की आदत डालें। खुद को बेहतर बनाए: समय का सही इस्तेमाल करना सीखें। काम को समय पर काम पूरा करें और जरूरी काम को प्राथमिकता दें। जब कोई आपको सलाह दे, तो उसे ध्यान से सुनें और समझें। यह आपको गलतियों को सुधारने और बेहतर बनने में मदद करेगा। लगातार नई स्किल्स सीखते रहें। काम के लिए तैयार रहें: अपने करियर के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें। इसे हासिल करने के लिए मेहनत करें। अपनी सफलताओं को याद रखें और उनसे प्रेरणा लें। नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें और उन्हें सीखने का अवसर मानें। सलाह पर ध्यान दें: अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उन्हें सुधारने के लिए तैयार रहें। जब कोई आपको सलाह दे, तो उसे ध्यान से सुनें और उसे सुधार का अवसर मानें। खुद का नियमित रूप से मूल्यांकन करें और खुद में जरूरी बदलाव करें। ऑफिस के माहौल के लिए तैयार रहें: ऑफिस के माहौल को समझें, नियमों का पालन करें और अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध रखें। अपने क्षेत्र से संबंधित किताबें और लेख पढ़ें। पॉजिटिव एटीट्यूड रखें और असफलताओं से सीखें: पॉजिटिव एटीट्यूड कठिन समय में भी धैर्य बनाए रखने में मदद करता है। वहीं, असफलता यानी अपनी गलतियों से सीखते हुए हम सफलता की ओर बढ़ते हैं।