​​​​​​रूस-यूक्रेन में जंग रोकने पर पहली बातचीत खत्म:दोनों देशों के प्रतिनिधि शामिल थे, 2 घंटे से भी कम चली बैठक; तुर्किये ने मध्यस्थता की

तुर्किये में रूस और यूक्रेन के बीच जंग रोकने को लेकर चल रही पहली बातचीत खत्म हो गई है। इस्तांबुल में हो रही इस बातचीत में दोनों देशों का प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ, जिसकी मध्यस्थता तुर्किये के अधिकारियों ने की। यह बातचीत लगभग 2 घंटे तक चली। अभी इसके नतीजे सामने आना बाकी हैं। यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव और रूस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पुतिन के सहयोगी व्लादिमिर मेंडिस्की ने किया। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जंग जारी है। बीते 3 साल में ऐसा पहली बार है जब दोनों देशों के बीच शांति को लेकर सीधी बातचीत हुई। बातचीत से पहले यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेंलेस्की ने कहा कि यह फैसला उन्होंने इसलिए लिया, क्योंकि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का सम्मान करते हैं। जेलेंस्की ने कहा कि रूसी डेलीगेशन में कोई भी ऐसा शख्स शामिल नहीं है जो वास्तव में फैसले लेता हो। पुतिन ने वार्ता में शामिल होने से इनकार किया इससे पहले शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए पहले जेलेंस्की और पुतिन के शामिल होने की चर्चाएं थीं लेकिन गुरुवार को क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन इसमें शामिल नहीं होंगे। पुतिन ने शांति वार्ता में न पहुंचने के फैसले के बाद ट्रम्प ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि जब तक पुतिन और मैं एक साथ नहीं आते, तब तक कुछ भी होने वाला है, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं। लेकिन हमें इसे हल करना होगा क्योंकि बहुत से लोग मर रहे हैं।’’ हालांकि क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि पुतिन की आने वाले दिनों में ट्रम्प से मिलने की कोई योजना नहीं है। जेलेंस्की बोले- रूस को कभी अपनी जमीन नहीं देंगे जेलेंस्की ने इससे पहले साफ कहा है कि यूक्रेन कभी भी उन इलाकों को रूस का हिस्सा नहीं मानेगा, जो अभी रूस के कब्जे में हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शांति वार्ता आगे बढ़ेगी, लेकिन यूक्रेन अपनी जमीन से समझौता नहीं करेगा। जमीन यूक्रेन की है और यह हमेशा यूक्रेन की ही रहेगी। रूस बार-बार यह मांग करता रहा है कि यूक्रेन के चार इलाके और क्रीमिया को रूस का हिस्सा माना जाए। क्रीमिया पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने पहले इशारा दिया था कि शायद यूक्रेन अब अपने सभी पुराने इलाकों को वापस नहीं पा सकेगा। जेलेंस्की बोले- रूस नहीं माना तो और प्रतिबंध लगेंगे जेलेंस्की ने यह भी कहा कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो उस पर और भी कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिका के समर्थन वाले 30 दिन के बिना शर्त युद्धविराम प्रस्ताव पर दस्तखत नहीं करता, तो उसके खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए जाएंगे। कई यूरोपीय देशों ने यह भी कहा था कि अगर रूस ने सोमवार तक लड़ाई नहीं रोकी, तो वे उस पर ‘बड़े’ और सख्त प्रतिबंध लगाएंगे। हालांकि, यह समय सीमा इसलिए बदल दी गई क्योंकि उम्मीद बनी कि इस हफ्ते रूस और यूक्रेन के बीच बैठक हो सकती है। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन ऐसे कदमों की ओर बढ़ रहा है जिससे युद्ध खत्म करने का कोई रास्ता निकले, लेकिन सिर्फ यूक्रेन की ओर से कोशिशें काफी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दबाव दोनों तरफ से होना चाहिए। इसलिए वे चाहते हैं कि अमेरिका, यूरोप और बाकी देश रूस और राष्ट्रपति पुतिन पर ठोस दबाव बनाएं – कम से कम नए प्रतिबंधों के जरिए। यूक्रेन-रूस शांति वार्ता से जुड़ी ये भी खबर पढ़ें… पुतिन ने यूक्रेन को सीधी बातचीत का ऑफर दिया:जेलेंस्की बोले- यह सकारात्मक संकेत, 30 दिन के सीजफायर प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत का प्रस्ताव रखा है। पुतिन ने कहा कि 15 मई को इस्तांबुल में यूक्रेन के साथ बात कर सकते हैं। यह प्रस्ताव कीव और यूरोपीय नेताओं के 12 मई से बिना शर्त 30 दिन के सीजफायर के ऐलान करने के कुछ घंटों बाद आया है। हालांकि, पुतिन ने यूक्रेन के साथ सीजफायर पर सहमत होने के अल्टीमेटम को अस्वीकार कर दिया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…