इस साल अमरनाथ यात्रा नहीं होगी। मंगलवार को श्राइन बोर्ड, लोकल एडमिनिस्ट्रेशन, सीआरपीएफ-पुलिस और लेफ्टिनेंट गवर्नर के बीच हुई अहम बैठक में यात्रा रद्द कराने का फैसला लिया गया। 5 जुलाई को जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गर्वनर जीसी मुरमू ने पवित्र गुफा में प्रथम दर्शन किए थे। उनका कहना था कि कोरोना के चलते जो हालात हैं, उनमें यात्रा करवाना मुश्किल है।
यात्रा नहीं होगी, इसे लेकर उन्होंने तीन महीने पहले अप्रैल में एक प्रेस रिलीज भी जारी की थी, जिसे बाद में वापस ले लिया था।
पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के ठीक पहले सरकार ने सुरक्षा का हवाला देकर अमरनाथ यात्रा को रोक दिया था। 3 अगस्त 2019 को सरकार ने कश्मीर से टूरिस्ट को वापस लौटने का फरमान जारी किया था, जिसमें अमरनाथ यात्री भी शामिल थे। तब तक 3 लाख से ज्यादा यात्री अमरनाथ के दर्शन कर चुके थे।
यात्री नहीं पहुंचे, बर्फबारी भी खूब हुई, लेकिन आधे से ज्यादा पिघलाशिवलिंग
इसी बीच, बाबा बर्फानी का हिम शिवलिंग आधे से ज्यादा पिघल चुका हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 जुलाई को अमरनाथ दर्शन के लिए गए थे। उस दिन जो तस्वीरें सामने आई थीं, उनमें बाबा बर्फानी के शिवलिंग का ज्यादातर हिस्सा पिघला नजर आया था।
यदि यात्रा होती तो वह रक्षाबंधन यानी 3 अगस्त तक चलती। और ये पहली बार नहीं है जब रक्षाबंधन से पहले ही शिवलिंग पिघल गया है। पिछले कई सालों में जुलाई के 15 दिन बीतते-बीतते शिवलिंग पिघल जाता रहा है। हालांकि, इसका कारण यात्रियों की भीड़ को बताया जाता था। इस बार अमरनाथ में यात्रियों की भीड़ नहीं है और सर्दियों में बर्फबारी भी ज्यादा हुई है। बावजूद इसके अमरनाथ बाबा का शिवलिंग जल्दी पिघल गया है।
बर्फ़ानी बाबा के दरबार में आरती करते हुए रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh. वे कल श्री अमरनाथजी के दर्शन करने पवित्र गुफा पहुँचे थे। pic.twitter.com/jP7HdQvyhl
— Rajnathsingh_in (@RajnathSingh_in) July 19, 2020
Feeling extremely blessed after praying at Shri Amarnathji Holy Cave in Jammu and Kashmir.
बर्फ़ानी बाबा की जय! pic.twitter.com/Ib5jgLUpkt
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 18, 2020
स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों चुनौती: यात्रा पर आतंकी हमले का खतरा, यात्रियों को कोरोना का
हर साल लाखों यात्री पहलगाम और बालटाल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद पवित्र गुफा में बाबा अमरनाथ के दर्शन करते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल ही इस यात्रा को पूरी करते हैं जो पहलगाम रूट से तीन दिन और बालटाल रूट से एक दिन में गुफा तक पूरी हो पाती है।
प्रशासन के लिए इस यात्रा को पूरा करवाना हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। फिर चाहे वह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें हों या सुरक्षा का मुद्दा हो। यात्रा के लिए पैरामिलिट्री के हजारों जवान तैनात किए जाते हैं। इस साल भी सेना ने यात्रा पर आतंकी हमले की आशंका जताई थी। सेना के पास इनपुट थेकि आतंकवादी अमरनाथ यात्रियों को निशाना बना सकते हैं। पिछले शुक्रवार को ही राष्ट्रीय राइफल्स के सेक्टर कमांडर ब्रिगेडियर वीएस ठाकुर का ये बयान आया था कि आतंकी नेशनल हाईवे पर यात्रा को निशाना बनाने की साजिश रचरहे हैं।
पढ़ें: अमरनाथ यात्रा पर आतंक का साया: अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की फिराक में आतंकी
एक दिन में 500 यात्रियों को भेजने की तैयारी थी
कोरोना के चलते प्रशासन ने यूं भी जम्मू कश्मीर के सभी धार्मिक स्थानों को बंद करने का निर्णय लिया है। इसी बीच एडमिनिस्ट्रेशन ने श्रीनगर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक बार फिर लॉकडाउन लगा दिया है। पिछली रिपोर्ट्स के मुताबिक एक दिन में 500 यात्रियों को सिर्फ बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा के लिए जाने देने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन, फिर मगंलवार को इसे नहीं करवाने का फैसला लिया गया।
कठिन चढ़ाई और कम ऑक्सीजनके बीच सांस की दिक्कतें
डॉक्टरों का मानना है कि अमरनाथ जाने के लिए जो रास्ता है, वहां मुश्किल चढ़ाई है जो स्वस्थलोगों के लिए भी सांस फूलने जैसी समस्याएं पैदा कर देती है। यदि ऐसे में कोरोना का संक्रमण उस इलाके में पहुंचता है तो खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा।
डॉ खावर अचकजई के मुताबिक, यदि एक भी यात्री को संक्रमण होता है तो फिर उस इलाके में ये बेकाबू होकर फैल सकता है। हाई एल्टीट्यूड में ऑक्सीजन कम होती है, इस पर यदि वहां कोई कोरोना पेशेंट होता है तो वह मेडिकल क्राइसेस खड़ी कर सकता है। यहां तक की एसिमप्टोमेटिक पेशेंट भी सिमप्टोमेटिक में बदल सकता है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट मे अमरनाथ यात्रा से जुड़ी एक याचिका लगाई गई थी। जिस पर कोर्ट ने इस मसले को लोकल एडमिनिस्ट्रेशन पर छोड़ने का फैसला दिया था। इसी बीच, दूरदर्शन के जरिए सुबह और शाम को अमरनाथ गुफा में होनेवाली आरती का लाइव प्रसारण किया जा रहा है।
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