साड़ी में एक्सरसाइज करना, घर में बनी स्मूदी के साथ साड़ी को मैच करके पहनना, कोरोना इफेक्टेड मरीजों की दास्तां को अपनी साड़ी पर उकेरना जैसे कई सारे प्रयोग महिलाओं को खूब भाते हैं। साड़ी इन स्टाइल के नाम से जिस फेसबुक ग्रुप की शुरुआत हुई है, वो भी महिलाओं की साड़ी के प्रति दीवानगी को बयां करने के लिए परफेक्टहै।
जसीना बेकर ने 2016 में इस फेसबुक ग्रुप की शुरुआत की थी। लॉकडाउन के दौरान साड़ी के प्रति महिलाओं के प्रेम को दर्शाने वाले इस ग्रुप पर सदस्यों की संख्या बढ़कर 12,000 हो गई है। इस ग्रुप का हिस्सा दुनिया भर की महिलाएं बन रही हैं।
यहां कई महिलाएं साड़ी में एक्सरसाइज करते हुए अपने फोटो अपलोड कर रही हैं। पंजाब की रस्मि सरत पिल्लई ने इस ग्रुप पर लिखा – केरल के हैंडलूम की साड़ीमें मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करना कमाल है। वहीं दिप्ता कृश्म यूएस में रहती हैं। उन्होंने जॉर्जेट की साड़ी में रस्सी कूदते हुए अपने फोटो शेयर किए हैं।
लॉकडाउन के दौरान इस समुह से जुड़ी महिलाओं ने घर में बैठकर टाइम को क्रिएटिविटी के साथ बिताना तय किया। जसीना ने केरल के अपने गांव में रहते हुए दुबई की प्रीति मधुसूदन के साथ मिलकर अपने ग्रुप काे मॉडरेट किया। जसीना एक साइकोलॉजिस्ट हैं।
वे कहती हैं एक साइकोलॉजिस्ट होने के नाते मैं जानती हूं कि लॉकडाउन में महिलाओं के लिए घर की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने मूड को बूस्ट करना आसान नहीं है। इसलिए महिलाओं के मेंटल बैलेंस को बनाए रखने के लिए मैंने अपने फेसबुक पेज पर साड़ी से जुड़ी कई एक्टिविटीज प्लान कीं।
जसीना ने लॉकडाउन के पहले दिन ग्रुप मेंबर्स के लिए टी टाइम टाक का आयोजन किया। इसके अंतर्गत महिलाओं से ये पूछा गया कि यह दौर उनके जीवन में क्या बदलाव लेकर आया है। जसीना कहती हैं मैंने इस आयोजन को ठीक उसी तरह अरैंज किया जिस तरह एक कॉफी शॉप में महिलाओं का गेट टूगेदर होता है।
इस दौरान उन्हें ये अहसास दिलाया कि हम सब महिलाएं हर हाल में एक दूसरे के साथ हैं।
अप्रैल में प्रिया कामथ ने अपने वीडियो के माध्यम से तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की महिलाओं को इन दो स्टेट की हैंडलूम वर्क के प्रति जागरूक किया। प्रिया के इस प्रयास की वजह से लॉकडाउन के दौरान भी कई महिलाओं ने इन साड़ियों की ऑनलाइन खरीदारी की। इससे साड़ी बुनकरों को फायदा हुआ।
वर्ल्ड अर्थ डे पर इस समुह की एक महिला दिप्ता ने साड़ी वियरिंग कॉम्पिटिशन का आयोजन किया। इसके तहत महिलाओं ने कर्नाटक और कच्छ की साड़ी पहनी और अपने हाथ में कढ़ाईकिए हुए बैग लेकर फोटोशूट किया।
जसीना कहती हैं इस फोटोशूट के माध्यम से हमने कर्नाटक और कच्छ के बुनकरो के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है। जसीना के अनुसार हमने लोगों को यह बताया किधरती को बचाने के लिए माइक्रो बीड रिप्लेसिंग टेक्निक्स, कपड़े से बने बैग का इस्तेमाल किस तरह फायदेमंद हो सकता है।
कश्मीर की कारीगरी बताने के लिए इस ग्रुप ने एक क्विज/नॉलेज सेगमेंट की शुरुआत की। इस आयोजन को रश्मि, जसाीना और प्रीति ने ऑर्गेनाइज किया। इसका नाम ”कारीगरी फ्रॉम कश्मीर” रखा गया। रश्मि ने कश्मीर के आर्ट को दिखाने के लिए आरी, सोजनी और टीला वर्क की हुई खूबसूरत साड़ी पहनी।
जसीना अपने फेसबुक पेजसाड़ी इन स्टाइल के माध्यम से महिलाओं को साड़ी पहनकर अपनी भावनाएं व्यक्त करने का एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती हैं। इस ग्रुप पर हर दिन नई पोस्ट और नई साड़ी के माध्यम से दुनिया भर कीमहिलाएं अपने विचार व्यक्त करते हुए नजर आती हैं।