प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक संस्थानों में 75 फीसदी लोकल कर्मचारियों को रखने का आरक्षण लागू करने का विरोध बढ़ता जा रहा है। तमाम औद्योगिक संगठन सरकार की इस नीति का विरोध कर रहे हैं। इनका का कहना है कि यह कानून लागू होने से इंडस्ट्री बर्बाद हो जाएगी। क्योंकि उन्हें स्किल्ड वर्कर नहीं मिलेंगे। इससे जहां उत्पादन प्रभावित होगा वहीं राजस्व का भी नुकसान होगा। ऐसे में इंडस्ट्री को बंद करना पड़ सकता है।
इन तमाम समस्याओं से परेशान जिले के आधा दर्जन औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधिय शनिवार को सेक्टर-28 में जाकर केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर से मिले और सरकार के इस कानून का विरोध किया। इन्होंने इस कानून को वापस लेने की राज्य सरकार से मांग की। उद्यमियों का कहना है अकेले फरीदाबाद में करीब 25000 छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां काम कर रही हैं। इनमें डायरेक्ट व इन डायरेक्ट रूप से करीब 6 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इन इकाइयों पर सरकार ने जबर्दस्ती कानून का बोझ लाद दिया। ऐसा कानून लागू करने से वर्करों में मतभेद पैदा होगा।
इससे कानून व्यवस्था प्रभावित होने का भी खतरा बना रहेगा। रविवार को कंफेडरेशन आफ फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन, फरीदाबाद चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री, लघु उद्योग भारती, डीएलएफ इंडस्ट्री एसोसिएशन, फरीदाबाद आईएमटी इंडस्ट्री एसोसिएशन व फरीदाबाद स्माल इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्ण्पाल गुर्जर से मिलकर 75 फीसदी आरक्षण लागू करने का विरोध किया। उद्यमी एचके बतरा, रविभूषण खत्री, जेपी मल्होत्रा, वीरभान शर्मा, विराट सरीन, एमपी रूंगटा, अरुण बजाज, आरके गुप्ता, एनके अरोड़ा आदि ने मंत्री को इस कानून के विरोध में ज्ञापन सौंपा। उद्यमी रविभूषण खत्री, वीरभान शर्मा, रमणीक प्रभाकर आदि का कहना है कि हरियाणा में संपन्नता होने के कारण यहां के लोकल लोग छोटे-छोटे काम नहीं करना चाहते।