भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। वह चार प्रतिशत पर कायम रखा है। प्रमुख रेट्स भी जस के तस हैं। लेकिन, कोरोनावायरस की मार से बचाने के लिए मार्च में कर्ज पर किस्तें चुकाने की जो छूट दी थी, वह अगस्त में खत्म कर दी है। यानी सितंबर से आपको हर लोन पर किस्त चुकानी होगी, वरना आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है। हालांकि, बैंकों को लोन रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी है। जानिये, आरबीआई की नई घोषणा का आप पर क्या असर होगा?
आरबीआई का फैसला क्या है?
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— ReserveBankOfIndia (@RBI) August 6, 2020
- कोरोनावायरस की वजह से इकोनॉमी में मंदी छाई है। ऐसे में बैंकों ने जो लोन दिए हैं, उनमें रिकवरी मुश्किल हो रही है। इसे देखते हुए कई कर्जदार चाहकर भी समय पर लोन का रीपेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें राहत चाहिए थी।
- ऐसे में आरबीआई ने मार्च 2020 में एक मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक सभी टर्म लोन्स पर ईएमआई पर मॉरेटोरियम की घोषणा की थी। यानी यदि किस्त नहीं चुकाते तो आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित नहीं होगा।
- बाद में इस मॉरेटोरियम अवधि को तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 तक लागू कर दिया था। गुरुवार को मॉनिटरी पॉलिसी में इसे बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं की गई है। यानी मॉरेटोरियम अवधि खत्म हो गई है।
- इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि सितंबर से आपको अपने होम लोन, व्हीकल लोन और पर्सनल लोन पर मार्च से पहले की तरह किस्त चुकानी होगी। यदि नहीं चुकाते हैं तो क्रेडिट स्कोर प्रभावित होगा।
- बैंक भी चाह रहे थे कि लोन रिस्ट्रक्चर करने की अनुमति मिले। आरबीआई ने उन्हें अनुमति दे दी है। अब, बैंक अपने कर्जदारों के लोन का रीपेमेंट शैड्यूल बदल सकते हैं, पीरियड बढ़ा सकते हैं या पेमेंट हॉलीडे दे सकते हैं।
लोन रिस्ट्रक्चरिंग की घोषणा का ग्राहकों पर क्या असर होगा?
- रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को कर्जदारों के लोन को रिस्ट्रक्चर करने की अनुमति दी है। इसमें पर्सनल लोन का जिक्र तो है, होम लोन, व्हीकल लोन और अन्य लोन के लिए कोई अलग से प्रावधान नहीं किए हैं।
- यानी यदि आप मॉरेटोरियम खत्म होने के बाद भी होम लोन या व्हीकल लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो आपको अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करना होगा। वह केस-टू-केस आधार पर लोन रिस्ट्रक्चर कर सकते हैं।
- मायलोनकेयर की चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर शालिनी गुप्ता के मुताबिक, आरबीआई ने बैंकों को लोन रिस्ट्रक्चर करने की अनुमति दी है। लेकिन इसका लाभ किसे और कैसे मिलेगा, यह बैंक ही तय करेंगे।
- विशेषज्ञों का कहना है कि एमएसएमई और कॉर्पोरेट लोन के साथ-साथ पर्सनल लोन के लिए आरबीआई ने प्रावधान तय किए हैं। रिजर्व बैंक को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि होम लोन और व्हीकल लोन का क्या होगा?
- वैसे, आरबीआई ने सिर्फ उन्हीं कर्जदारों के लोन को रिस्ट्रक्चरिंग करने की अनुमति दी है, जिनका 1 मार्च, 2020 की स्थिति में 30 दिन से ज्यादा का डिफॉल्ट नहीं था। यानी जिन पर कोरोनावायरस-प्रेरित लॉकडाउन का सीधा असर हुआ है।
- इससे पुराने डिफॉल्टर इस स्कीम में एडजस्ट नहीं हो सकेंगे। बैंकों को रिस्ट्रक्चरिंग के बाद बचे कर्ज पर अतिरिक्त प्रावधान करने होंगे। इसका मतलब यह है कि रिजॉल्युशन प्लान नए डिफॉल्टरों पर ही होगा।
ईएमआई मॉरेटोरियम और लोन रिस्ट्रक्चरिंग में क्या अंतर है?
- ईएमआई मॉरेटोरियम के तहत किस्तें न चुकाने की छूट थी। इस दौरान जो भी ब्याज बनता, वह बैंक आपके मूल धन में जोड़ देते। जब ईएमआई शुरू होगी तो आपको पूरी बकाया राशि पर ब्याज चुकाना होता। यानी मॉरेटोरियम अवधि के ब्याज पर भी ब्याज लगता।
- लोन का रिस्ट्रक्चरिंग इससे पूरी तरह अलग है। यहां बैंकों को ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। वह यह तय कर सकेंगे कि ईएमआई को घटाना है, लोन का पीरियड बढ़ाना है, सिर्फ ब्याज वसूलना है, या ब्याज दर एडजस्ट करना है।
पर्सनल लोन में रिस्ट्रक्चरिंग कैसे होगी?
- आरबीआई ने पर्सनल लोन में भी वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी है। लेकिन, बैंक या वित्तीय संस्थान अपने ही स्टाफ को दिए गए रिटेल लोन को रिस्ट्रक्चर नहीं कर सकेंगे।
- 1 मार्च 2020 की स्थिति में यह अकाउंट स्टैंडर्ड होना चाहिए। उसमें 30 दिन से ज्यादा का डिफॉल्ट नहीं होना चाहिए।
- यदि आप पर्सनल लोन की किस्ते नहीं चुका पा रहे हैं तो 31 दिसंबर से पहले रिस्ट्रक्चरिंग का आवेदन दे सकते हैं। बैंकों को इन आवेदनों पर 90 दिन के भीतर फैसला लेना होगा।
- बैंक और वित्तीय संस्थान लोन के रीपेमेंट का पीरियड अधिकतम दो साल ही बढ़ा सकेंगे। इसका फैसला वे व्यक्ति की आय के आधार पर ले सकेंगे।
एसएमई लोन रिस्ट्रक्चरिंग
- आरबीआई ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम स्केल के उद्योगों को भी वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति दी है। यह स्कीम 25 करोड़ रुपए तक के बकाया कर्ज वाले एमएसएमई के लिए उपलब्ध होगी।
- रिजर्व बैंक ने कहा कि एमएसएमई के लोन का रिस्ट्रक्चर 31 मार्च 2021 से पहले करना होगा। इन गाइडलाइंस के तहत लोन रिस्ट्रक्चर करने पर अकाउंट्स के लिए पांच प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान रखना होगा।
- वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम की घोषणा जनवरी 2019 में हुई थी। इसे बाद फरवरी 2020 में बढ़ाया गया था। अब कोरोनावायरस की वजह से एमएसएमई को अतिरिक्त लाभ देने के लिए इसे बढ़ाया गया है।
बड़े कॉर्पोरेट लोन्स की रिस्ट्रक्चरिंग कैसे होगी?
FICCI congratulates steps announced towards resolution of loans in the monetary policy by announcing the restructuring of MSME loans & setting up a committee under Mr Kamath to work on resolution framework under June 7 circular: Dr Sangita Reddy, President, FICCI.#FICCISpeaks pic.twitter.com/njXfVX3eQX
— FICCI (@ficci_india) August 6, 2020
- बैंक 31 दिसंबर, 2020 रिजॉल्युशन प्लान लागू कर सकते हैं। कोई कर्जदार बैंक के पास आवेदन करता है तो बैंकों को उस पर 180 दिन में समाधान प्रस्तुत करना होगा।
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रिस्ट्रक्चरिंग से पहले कुल कर्ज के 10 प्रतिशत का अतिरिक्त प्रावधान करना होगा। यदि 30 दिन में इंटर-क्रेडिटर एग्रीमेंट (आईसीए) नहीं बनता तो 20 प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान करना होगा।
- एमवी काथम के नेतृत्व में समिति बनाई है। यह रिजॉल्युशन प्लान के लिए सेक्टर विशेष का बैंचमार्क तय करेगी। 1,500 करोड़ रुपए या उससे ज्यादा के कर्ज पर रिजॉल्युशन प्लान भी समिति तय करेगी।
- ऐसे मामले जहां कुल लोन 100 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुका है, बैंकों को मान्यता प्राप्त क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से रिजॉल्युशन प्लान का क्रेडिट इवैल्यूएशन करना होगा।
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