सरकार द्वारा विदेशों में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए चलाए जा रहे वंदेभारत मिशन में लोग सरकारी एयर लाइंस के बजाए चार्टर्ड प्लेन का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक 70 देशों से लौटे साढ़े 6 लाख से अधिक पैसेंजरों में से 3.30 लाख चार्टर्ड प्लेन किराए पर लेकर भारत लौटे हैं और किराया भी अधिक दे रहे हैं। एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस से 2 लाख से अधिक पैसेंजर वापस लौटे हैं। सरकार ने लॉकडाउन के दौरान इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने के बाद लोगों को वापस लाने के लिए 7 मई से वंदेभारत मिशन चलाया है।
इस दौरान एअर इंडिया के 11 सौ से अधिक विमानों से दो लाख से अधिक पैसेंजरों को वापस लाया गया जबकि करीब 15 सौ से अधिक चार्टर्ड फ्लाइट से 3.30 पैसेंजर पिछले सप्ताह तक आ चुके हैं। मिशन का चौथा चरण अभी चल रहा है। ज्यादातर चार्टर्ड फ्लाइट विदेशी एयर लाइंस कंपनियों के हैं। मिशन के तहत सबसे अधिक मिडल ईस्ट देशों से लोग वापस आए हैं। सबसे अधिक लोग केरल लौटे हैं।
इन कारणों से चार्टर्ड प्लेन को तरजीह
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन वीपी अग्रवाल चार्टर्ड प्लेन के अधिक इस्तेमाल के कई कारण बताते हैं। पहला कारण यह है कि लोग अलग-अलग आने के बजाए ग्रुप में आने के लिए चार्टर्ड बुक करते हैं। वे अपनों के साथ आने में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं। दूसरा, जहां से वे आ रहे हैं और जहां जाना है, दोनों जगह के लिए कई बार सीधी कनेक्टिविटी नहीं होती है।
वहीं, कई ऐसे भी हैं जो जल्द वापस लौटना चाहते हैं लेकिन सरकारी एयर लाइंस के विमानों के पहुंचने का इंतजार नहीं कर सकते हैं। बिजनेस एयरक्राफ्ट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके बाली बताते हैं कि चार्टर्ड प्लेन का अधिक इस्तेमाल मिडिल ईस्ट देशों से आने वाले लोग कर रहे हैं। वे चार्टर्ड प्लेन में तीन से चार गुना तक अधिक किराया दे रहे हैं।