महाभारत, पद्म पुराण, विष्णु पुराण और चरक संहिता सहित अन्य स्मृति ग्रंथों में भोजन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। इन धर्म ग्रंथों में सात्विक भोजन बनाने और खाने पर जोर दिया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार भोजन संबंधी नियमों को ध्यान में रखा जाए तो जीवनभर निरोगी रहा जा सकता है। इसके साथ ही लंबी उम्र भी मिल सकती है। हिन्दू मान्यताओं में भोजन करते समय भोजन की सात्विकता का ख्याल रखना जरूरी है। इसके अलावा अच्छी भावना, अच्छे वातावरण और आसन को भी बहुत खास माना गया है। अगर भोजन के सभी नियमों को ध्यान में रखा जाए तो जीवन में किसी भी तरह का रोग और शोक नहीं होता।
ये हैं शास्त्रों में बताए गए नियम
- वशिष्ठ और लघुहारित स्मृति ग्रंथ के अनुसार खाना खाते वक्त पूर्व दिशा की ओर मुंह हो तो उम्र बढ़ती है।
- वामन पुराण का कहना है कि खाना खाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह होता है तो गुस्सा और बुरे विचार बढ़ते हैं। वहीं पश्चिम दिशा की ओर मुंह हो तो रोग बढ़ते हैं।
- वाधुलस्मृति के अनुसार बिना नहाए खाना खाने से बीमारियां बढ़ती है और ऐसा व्यक्ति धीरे-धीरे आलसी होने लगता है।
- भविष्य पुराण और वाधुलस्मृति के अनुसार पूर्व दिशा में ही भोजन पकाना चाहिए।
- महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि भोजन बनाते समय गुस्सा और तनाव नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही ये भी बताया गया है कि टूटे-फूटे बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- महाभारत के ही अनुसार पूरे परिवार को एकसाथ बैठकर ही भोजन करना चाहिए।
- लघुव्यास संहिता और कूर्म पुराण का कहना है कि लेटकर, खड़े होकर, गीले कपड़ों में और संध्या के समय खाना नहीं खाना चाहिए।
- कूर्म पुराण के ही अनुसार जूते-चप्पल पहने हुए, बिस्तर पर बैठकर या किसी मंदिर और देव स्थान पर भोजन नहीं करना चाहिए।
- कूर्म पुराण में ये भी कहा गया है कि न तो रोते हुए या दुखी होकर खाना खाना चाहिए। इसके साथ ही खाना खाते समय हंसना मना है और बातें भी नहीं करना चाहिए।