बिहार में 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। आचार संहिता लगते ही वोटरों को प्रभावित करने वाला कोई नया काम शुरू नहीं किया जा सकेगा। सिर्फ वही काम चलेंगे, जो ग्राउंड पर पहले ही आ चुके हैं। यानी, वो काम जिनके लिए आचार संहिता लागू होने के पहले की तारीख तक कम-से-कम वर्क ऑर्डर जारी हो चुका हो।
भास्कर पड़ताल में सामने आ रहा है कि बिहार की बड़ी जरूरत और आम आदमी से सीधे जुड़े कई अहम प्रोजेक्ट आचार संहिता लागू होने और वर्क ऑर्डर में काम शुरू करने के लिए मिली 90 दिनों की छूट के कारण अब नई सरकार में ही आगे बढ़ सकेंगे।
आचार संहिता से किन प्रोजेक्ट्स की फाइल रुक रही है और कैसे काम प्रभावित होंगे, एक-एक कर देखें यहां-
1. वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर समेत उत्तर बिहार को राजधानी से जोड़ने के लिए गांधी सेतु के समानांतर पुल का प्रोजेक्ट चुनाव के कारण फंस सकता है। 2926.42 करोड़ बजट के इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास 21 सितंबर को प्रधानमंत्री ने किया। अनलॉक के साथ गांधी सेतु जाम से लॉक हो जा रहा है। इसलिए, लोग समानांतर पुल के काम का वर्षों से इंतजार कर रहे थे।
2. भागलपुर में विक्रमशिला सेतु के समानांतर पुल का निर्माण कार्य भी प्रभावित होगा। पुल निर्माण की टेंडर प्रक्रिया चल रही है, लेकिन तकनीकी काम को छोड़ अभी कुछ नहीं हो पाया है। आचार संहिता लागू होने के साथ ही टेंडर की प्रक्रिया ठप पड़ जाएगी।
3. भागलपुर में मुंगेर-मिर्जा चौकी एनएच-80 को नए सिरे से बनाया जाना है। 700 करोड़ की इस परियोजना में मंत्रालय से पैसा भी रिलीज हो गया है, लेकिन चुनाव के कारण निर्माण का काम प्रभावित होगा। गड्ढ़ों के कारण यह एनएच वर्षों से लोगों को परेशान कर रही।
4. गया में विष्णुपद मंदिर स्थित जल संचय के बड़े प्रोजेक्ट का काम भी चुनाव में फंसेगा। 2.63 करोड़ की इस परियोजना के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होते ही यह रुक जाएगी। पितृपक्ष को लेकर इस मंदिर के लिए यह प्रोजेक्ट वर्षों से जरूरी माना जा रहा था। इससे गया आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी।
5. मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत प्रदेश में कुल 59 हजार किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण कराया जाना है। इसमें लगभग 39 हजार 781 हज़ार किलोमीटर सड़क व 447 पुल-पुलिये बन चुके हैं। शेष की प्रक्रिया चल रही है। कुछ सड़कों की प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है, कुछ की बाकी हैं। कुछ सड़कों का टेंडर फाइनल हुआ है, कुछ प्रक्रिया में है। ऐसे में शिलान्यास के बाद भी प्रोजेक्ट आचार संहिता में फंस सकते हैं।
6. प्रधानमंत्री ने मुंगेर जलापूर्ति योजना, जमालपुर जलापूर्ति योजना तथा मुजफ्फरपुर नदी तट विकास योजना का शिलान्यास किया है। इस परियोजना का काम अब चुनाव के बाद ही चालू हो पाएगा। बहुप्रतीक्षित इन योजनाओं से छोटे शहरों में लोगों को बड़ी राहत मिलनी है।
7. पटना कलेक्ट्रेट भवन का सीएम ने शिलान्यास कर दिया, लेकिन कागजी काम भी सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण आगे नहीं बढ़ सका है। सुप्रीम कोर्ट बीच में इसे हरी झंडी दे भी दे तो अब आचार संहिता हटने के बाद ही कुछ होगा। भवन के लिए 186 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति होने के बाद भी काम 2021 में ही शुरू होने के आसार हैं। यहां जिला प्रशासन और सरकार से जुड़े 39 कार्यालयों और शाखाओं के भवन का निर्माण होगा तो लोगों को राहत मिलेगी।
8. पिछले दो साल से चर्चा में रही मीठापुर-महुली हॉल्ट एलिवेटेड सड़क परियोजना भी चुनाव के दौरान प्रभावित होगी। 668.79 करोड़ की परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य दिसंबर 2023 है, लेकिन चुनाव के कारण यह काम 2024 से पहले नहीं पूरा होगा। इसमें अधिग्रहण की प्रक्रिया ही अटक जाएगी। इस सड़क से पटना-आसपास में नए आवासीय-व्यावसायिक इलाकों का विकास होना है। इसपर मेट्रो को ले जाने की भी योजना है।
9. बख्तियारपुर-रजौली रोड एनएच 31 का काम शुरू होने वाला है, लेकिन चुनाव के कारण कुछ कागजी पेच फंसने की बात कही जा रही है। इस सड़क से एनएच 31 का सफर पहले के मुकाबले आसान हो सकेगा।
10. आरा-मोहनिया एनएच- 30 का काम भी चुनाव के कारण देरी से शुरू होगा, जिससे निर्माण कार्य पूरा होने को लेकर निर्धारित किया गया लक्ष्य बढ़ाया जा सकता है।
11. नरेंद्रपुर-पूर्णिया एनएच- 131 का काम भी चुनाव के कारण प्रभावित हो सकता है।
12. रामनगर-कन्हौली पटना रिंग रोड का काम भी चुनाव के कारण प्रभावित हो सकता है। आचार संहिता हटने के बाद ही इस पर काम शुरू हो पाएगा।
13. कोसी नदी पर प्रस्तावित पुल का काम भी प्रभावित हो सकता है, चुनाव के दौरान इस पर काम शुरू नहीं हो पाएगा।
14. पूर्णिया हवाई अड्डा के काम में देरी होगी। भूमि अधिग्रहण के काम में पहले से देरी हो रही है और आचार संहिता लागू होने के बाद काम ठप पड़ सकता है।
निश्चिंत रहें …यह काम चलते रहेंगे, गति भी शायद तेज दिखे
1. आर ब्लॉक-दीघा फोर लेन का काम चल रहा है। निर्माण कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो गया है।
2. मीठापुर फ्लाईओवर का काम भी तेजी पर है। पटना में मतदान तक संभव है कि इसे पूरा भी करा दिया जाए।
3. मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी पर पुल तैयार है, एप्रोच का काम तेज कर मतदान के समय तक इसे पूरा भी कराया जा सकता है।
4. मुजफ्फरपुर में जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज से आगे बनने वाले पुल पर भी चुनाव का असर नहीं पड़ेगा।
5. गया-रजौली-नवादा एनएच 82 पर भी चुनाव का कोई असर नहीं पड़ेगा। इस प्रमुख परियोजना का काम भी लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो गया है।
6. मोकामा से गंगा जल लाने की उद्भव गंगा जल योजना पर दानापुर से गया के बीच काम तेजी से चल रहा है।
7. भागलपुर से खगड़िया को जोड़ने के लिए सुल्तानगंज उत्तरी छोर से गोगरी के बीच बन रहे पुल का काम चल रहा है।
8. पटना-गया-डोभी मार्ग का काम भी चालू है। आचार संहिता का इसपर कोई असर नहीं होगा।
9. मुंगेर रेल पुल का काम भी चुनाव के कारण प्रभावित नहीं होगा, इसपर तेजी से काम चल रहा है।
10. कच्ची दरगाह-विदुपुर पुल के निर्माण कार्य पर भी चुनाव का कोई असर नहीं पड़ेगा।
11. पूर्णिया में तीन अनुमंडलीय अस्पतालों के साथ सदर अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाने का काम हो या जीएनएम और एएनएम कॉलेज का निर्माण…कोई नहीं रुकेगा।
चुनाव आचार संहिता को जानिए-
चुनाव आचार संहिता क्या होती है?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आदर्श आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान उन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है।
कब से लागू होती है आचार संहिता?
आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। बिहार में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही यह लागू हो जाएगी।
कब तक लगी रहेगी आचार संहिता?
आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है। चुनाव तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू होती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है।
आचार संहिता के नियम क्या हैं?
- चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी स्वतः लागू हो जाते हैं। इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता।
- आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी भी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता, जिससे किसी दल विशेष को फायदा पहुंचता हो।
- आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं।
- सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता।
- किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस/प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
- किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।
आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई ?
चुनाव आचार संहिता के नियम सख्ती से लागू होते हैं, अगर इन नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो उसके लिए सजा का प्रावधान भी है। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
वित्तीय और प्रशासनिक मामलों पर प्रतिबंध लगते हैं?
- सरकार किसी भी तरह से, किसी भी रूप में वित्तीय अनुदान की घोषणा या वायदा नहीं कर सकती है।
- किसी भी तरह की परियोजना या योजना की आधारशिला नहीं रख सकते हैं।
- सड़कों के निर्माण, पेयजल की सुविधा आदि का वायदा नहीं कर सकते हैं।
कैसे लागू होते हैं प्रतिबंध?
- चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों के ऐलान से 72 घंटे पहले सरकार से ऐसे कामों की सूची मांग लेता है, जो पहले से चल रहे हैं या अभी तक शुरू नहीं हो पाए हैं।
- चुनाव आचार संहिता के प्रतिबंध नई योजनाओं के साथ पहले से चल रही योजनाओं और निर्माण कार्यों पर भी लागू होती है। लेकिन जन-उपयोगी योजनाएं, जो पूरी होने की अवस्था में हैं, उन्हें आचार संहिता का बहाना बनाकर बीच में छोड़ा नहीं जा सकता है।
- जन-उपयोगी योजनाएं बिना राजनीतिक लोगों को बुलाए अधिकारी ही शुरू कर सकते हैं।
- जहां काम पूरा हो चुका हो, उसके भुगतान के लिए जरूरी निधि बिना किसी आपत्ति के जारी की जा सकती है।
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