एक्टर विनीत कुमार सिंह इन दिनों फिल्म छावा की वजह से सुर्खियों में हैं। फिल्म में उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज के दोस्त कवि कलश का किरदार निभाया है। विनीत कुमार का जीवन बहुत संघर्षमय रहा है। वे तकरीबन 25 साल से इंडस्ट्री में हैं, लेकिन सही मायनों में पहचान अब मिलनी शुरू हुई है। छावा के पहले उन्होंने फिल्म मुक्काबाज से सुर्खियां जरूर बटोरी थीं, लेकिन बड़े लेवल पर कामयाब नहीं हो पाए। गैंग्स ऑफ वासेपुर में भी उनकी अहम भूमिका थी, लेकिन उसमें भी वे दूसरे कलाकारों की परछाई में छिप गए। अब सही मायनों में उन्हें छावा से पहचान मिली है, जिसके वे हमेशा से हकदार थे। विनीत ने दैनिक भास्कर से बातचीत की है। पढ़िए प्रमुख अंश सवाल- छावा के लिए जो फीडबैक मिल रहा है, उसके बारे में क्या कहेंगे? जवाब- मैं सबका हाथ जोड़कर धन्यवाद करता हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मेरी लाइफ में यह मौका आया है। मैं आज बहुत इमोशनल हूं साथ ही काफी ग्रेटफुल भी हूं। मैं सभी डायरेक्टर्स- प्रोड्यूसर्स और मीडिया वालों का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया और मेरे काम को सराहा। छावा के बाद मुझे वैसा ही प्यार मिला है, जैसा मुक्काबाज के टाइम पर मिला था। सवाल- फिल्म के क्लाईमैक्स में आपके सीन की काफी चर्चा है, उस सीन के बारे में कुछ बताइए? जवाब- फिल्म की शूटिंग के पहले मैं छत्रपति संभाजी महाराज और कवि कलश जी के समाधि स्थल (तुलापुर) गया था। मैं वहां कुछ देर बैठा। मैंने दोनों महान आत्माओं से आशीर्वाद लिया। मैं वहां से एक एहसास लेकर आया, जिसकी वजह से किरदार में ढल पाया। अगर कुछ फील नहीं होता, तो शायद एक्टिंग नेचुरल नहीं हो पाती। बाकी, पूरा क्रेडिट फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर सर को जाता है। सीन का आइडिया उन्हीं का था। मेरे लिए बहुत बड़ी बात है कि लक्ष्मण सर ने इस फिल्म के लिए मेरा ऑडिशन नहीं लिया था। उन्होंने मुझसे कहा कि कवि कलश के किरदार के लिए मैं सिर्फ आपको ही देख रहा हूं। सवाल- फिल्म में आपकी और विक्की कौशल की जुगलबंदी कैसी रही? जवाब- विक्की कौशल को मैं गैंग्स ऑफ वासेपुर के दिनों से ही जानता हूं। वे फिल्म में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर जुड़े थे। विक्की काफी ज्यादा टैलेंटेड हैं। फिल्म की शूटिंग के दौरान हम और ज्यादा करीब आए। हमने क्लाईमैक्स वाले सीन को एक रात में शूट किया था। सीन खत्म होने के बाद हम दोनों काफी इमोशनल हो गए थे। हम दोनों खून से सने थे, इसलिए दूर से एक दूसरे को गले लगा लिया। सवाल- मुक्काबाज की रिलीज के बाद आप शाहरुख खान के बुलावे पर उनके बंगले मन्नत भी गए थे. कुछ बताएंगे? जवाब- हां, मैं शाहरुख सर के बंगले मन्नत गया था। मन्नत के बारे में आपको क्या बताऊं। वह सिर्फ एक बंगला नहीं है, बल्कि लोगों के लिए एक उम्मीद है। एक जीता जागता उदाहरण है कि सपने कभी न कभी पूरे जरूर होते हैं। बस उम्मीद नहीं खोना चाहिए। शाहरुख सर ने भी कभी इस बिल्डिंग को देखा होगा, इसे खरीदने का मन बनाया होगा, मेहनत की होगी, तब जाकर इसे अपने सपनों का घर बना पाए होंगे। इसलिए मैं जब भी उस बंगले को देखता हूं तो मुझे आशा नजर आती है। शाहरुख सर ने मुझे दिल से वेलकम किया। वहां काफी लोग थे। बावजूद उन्होंने मुझसे पर्सनली आधे घंटे बातचीत की, जो कि मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था। सवाल- आपकी इस साल कई फिल्में आनी वाली हैं, उसमें एक सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव रिलीज भी हो गई है, कुछ बताइए? जवाब- मैं काफी ज्यादा शुक्रगुजार हूं कि मुझे इस साल कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला है। सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव में आपको मेरी असली कहानी देखने को मिलेगी। संघर्ष से सपने कैसे पूरे किए जा सकते हैं, फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। इसके अलावा एक और फिल्म ‘जाट’ भी आने वाली है। उस फिल्म को भी आप खूूब प्यार देंगे। विनीत कुमार सिंह से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें.. डॉक्टरी की ताकि फिल्मों में आ सकें:डेडबॉडी तक का रोल किया; कार बेचकर साइकिल पर आए; अब छावा के कवि कलश बन छाए विनीत विनीत कुमार सिंह एक ऐसा नाम जिसने सही मायनों में संघर्ष का मतलब बताया। आज-कल की दुनिया में हम एक-दो साल स्ट्रगल करके थक जाते हैं और खुद को दुखिया साबित कर देते हैं। विनीत कुमार 2000 के आस-पास मुंबई आए थे। 25 साल हो गए। इस दौरान काफी फिल्मों में भी दिखे, लेकिन असल पहचान अब जाकर मिली है। पूरी खबर पढ़ें..