अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाले वेदांता लिमिटेड को शेयर बाजारों से डी-लिस्टिंग के लिए मंजूरी मिल गई है। वेदांता ने रेगुलेटरी फाइलिंग के जरिए यह जानकारी दी है। वेदांता ने कहा है कि बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने बाजार से डी-लिस्टिंग के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
डी-लिस्टिंग ऑफर की सार्वजनिक घोषणा
वेदांता लिमिटेड की पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (वीआरएल) और इसकी सहायक कंपनियों ने डी-लिस्टिंग ऑफर की सार्वजनिक घोषणा की है। ऑफर के मुताबिक, बीएसई और एनएसई ने 28 सितंबर को डी-लिस्टिंग को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। वेदांता रिसोर्सेज और उसकी व्होली ओन्ड इनडायरेक्ट सब्सिडियरी वेदांता होल्डिंग्स मॉरिसस और वेदांता होल्डिंग्स मॉरिसस-2 ने भी डी-लिस्टिंग ऑफर की सार्वजनिक घोषणा की है।
शेयरधारकों ने जून में दी थी डी-लिस्टिंग को मंजूरी
इस साल जून में वेदांता के शेयरधारकों ने कंपनी को शेयर बाजारों से डी-लिस्ट करने के लिए मंजूरी दी थी। कंपनी ने यह मंजूरी पोस्टल बैलेट के जरिए ली थी। शेयरधारकों की मंजूरी उस ऑफर के बाद ली गई थी जिसमें वीआरएल ने 49.9 फीसदी पब्लिक शेयर-होल्डिंग को 87.5 रुपए प्रति शेयर पर खरीदने की बात कही थी।
वेदांता में वीआरएल की 50.1 फीसदी हिस्सेदारी
वेदांता लिमिटेड में वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की 50.1 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी ने शेष 49.9 फीसदी सार्वजनिक हिस्सेदारी को खरीदने और कंपनी को डी-लिस्ट करने का ऑफर पेश किया है। 18 मई को अनिल अग्रवाल की अध्यक्षता में बोर्ड ने वीआरएल ने डी-लिस्टिंग ऑफर को पेश किया था। मंगलवार 29 सितंबर को वेदांता लिमिटेड के शेयर (2.36 बजे) 0.40 फीसदी की तेजी के साथ 139.60 रुपए प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे हैं।