अभी महादेव का प्रिय माह सावन चल रहा है। शिव पूजा में शिवलिंग पर अलग-अलग चीजें चढ़ाई जाती है। इन चीजों में फूल-पत्तियां का विशेष महत्व है। शिवजी को बिल्व पत्र के साथ ही शमी के पत्ते भी अर्पित करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार आमतौर पर शमी के पत्ते शनिदेव को चढ़ाए जाते हैं, लेकिन ये पत्तियां शिवजी के साथ ही गणेशजी को भी चढ़ा सकते हैं।
मंत्र बोलकर चढ़ाएं शमी के पत्ते
सावन में रोज सुबह शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में गंगाजल या पवित्र जल में गंगाजल, चावल, सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र बोलते हुए अर्पित करें।
जल चढ़ाने के बाद शिवजी को चावल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ और मिठाई के साथ ही शमी के पत्ते भी चढ़ाएं।
शमी पत्ते चढ़ाते समय ये मंत्र बोलें- अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च। दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
शमी पत्र चढ़ाने के बाद शिवजी की धूप, दीप और कर्पूर से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें।
गणेशजी को भी चढ़ाएं शमी के पत्ते
गणेशजी की पूजा में भी चावल, फल-फूल, सिंदूर के साथ ही शमी के पत्ते भीचढ़ाना चाहिए।
श्रीराम ने किया था शमी वृक्ष का पूजन
शमी वृक्ष को पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद श्रीराम ने शमी वृक्ष का पूजन किया था। एक अन्य मान्यता ये है कि महाभारत के समय पांडवों ने अपने अज्ञातवास में शमी के वृक्ष के नीचे ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे।