बुधवार, 26 फरवरी को शिव पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि है। इस पर्व पर शिवलिंग का विशेष अभिषेक करने की परंपरा है। अगर भक्त शिवरात्रि पर विधिवत पूजा नहीं कर पा रहा है तो वह जल और बिल्वपत्र चढ़ाकर भी शिव जी की सामान्य पूजा कर सकता है। ऐसा करने से शिव जी की कृपा प्राप्त की जा सकती है। ऐसी मान्यता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने का महत्व बहुत अधिक है। माना जाता है कि अगर कोई भक्त शिवलिंग पर सिर्फ बिल्व पत्र ही चढ़ा देता है तो भी उसे शिव कृपा मिल सकती है। बिल्व पत्र ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए चढ़ानी चाहिए। अब जानिए शिव पूजा में बिल्व पत्र क्यों चढ़ाते हैं? इस परंपरा की वजह समुद्र मंथन से जुड़ी है। पौराणिक कथा है कि जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो सबसे पहले हलाहल विष निकला था। इस विष की वजह से पूरी सृष्टि के प्राणियों के प्राण संकट में आ गए थे। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने हलाहल विष को अपने गले में धारण कर लिया था। विष के प्रभाव से शिव जी के शरीर में गर्मी बढ़ने लगी थी। उस समय सभी देवी-देवताओं ने शिव जी पर शीतल जल चढ़ाया और बिल्व पत्र खिलाए थे। बिल्व पत्र से विष का प्रभाव कम हो गया और शिव जी के शरीर की गर्मी भी शांत हो गई। तभी से शिव जी बिल्व पत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है। बिल्व वृक्ष से जुड़ी खास बातें