शेयर ट्रेडर्स को आईटीआर फाइल करते समय अलग-अलग शेयरों में हुए लाभ के अलग-अलग विवरण देने की जरूरत नहीं : वित्त मंत्रालय

शेयर ट्रेडर्स को अपने टैक्स रिटर्न फाइल करते समय हर शेयर से हुए लाभ के अलग-अलग विवरण देने की जरूरत नहीं। वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जारी एक स्पष्टीकरण में यह बात कही। एक साल से कम अवधि में शेयरों से हुआ लाभ (शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन) बिजनेस लाभ के तहत आता है और इसके लिए हर शेयर के विवरण देने की जरूरत नहीं है।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अगर शेयर को एक साल से ज्यादा समय तक नहीं रखा जाता है और अगर यह लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) के दायरे में नहीं आता है, तो शेयर ट्रेडिंग से हुआ लाभ साधारण कारोबारी इनकम की श्रेणी में आता है। फाइनेंस एक्ट 2018 में एक प्रावधान जोड़ कर कुछ लाभ को ग्रैंडफादर किया गया है। लेकिन वह असेसमेंट वर्ष 2020-21 में हुए किसी भी लाभ पर लागू नहीं होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि आईटीआर में हर एक शेयर के नाम, खरीद और बिक्री के प्राइस भी देने होंगे

भ्रम इस बात से पैदा हुआ कि 31 जनवरी 2018 से पहले से रखे हुए शेयर कानून के मुताबाक एलटीसीजी के तहत लाभ के योग्य होंगे और टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ऐसे मामले में हर शेयर के विवरण देना जरूरी होगा। सिर्फ ग्रैंडफादर क्लाउज के तहत आने वाले या 2018 के पहले से रखे हुए शेयर के मामले में ही हर एक शेयर के विवरण देना जरूरी होगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि असेसमेंट वर्ष 2020-21 के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करते समय शेयर सेल से जुड़े सभी विवरण देने होंगे। इन विवरणों में शेयर के नाम, खरीद और बिक्री के प्राइस भी शामिल होंगे।

सिर्फ एलटीसीजी टैक्सेशन की गणना के लिए ही सभी विवरण देने की जरूरत होगी

मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सिर्फ एलटीसीजी कराधान की गणना करने के लिए ही हर एक शेयर के विवरण देने की जरूरत होगी। यह प्रावधान फाइनेंस एक्ट 2018 में जोड़ा गया था। गौरतलब है कि शेयरों में एक लाख रुपए से ज्यादा के एलटीसीजी पर अब 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है।

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सिर्फ ग्रैंडफादर क्लाउज के तहत आने वाले या 2018 के पहले से रखे हुए शेयर के मामले में ही हर एक शेयर के विवरण देना जरूरी होगा