पिछले 5 दिनों से बाजार पर दिख रहे दबाव ने गुरुवार को इसे और ज्यादा चपेट में ले लिया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सूचकांक 1,100 अंक गिरकर 36,553 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी में भी 300 अंकों से ज्यादा की गिरावट रही। एक ही दिन में मार्केट कैप में 3.91 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई है। विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में आगे और गिरावट आ सकती है। इसका कारण पूरी दुनिया के बाजारों पर दबाव और कोरोना के साथ-साथ आर्थिक स्थितियां हैं।
एफआईआई ने बेचे शेयर
उधर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजार में कुल 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के शेयरों की बिक्री की है। एक लाख करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदी की है जबकि एक लाख 10 हजार करोड़ के शेयरों की बिक्री की है। बुधवार तक यह आंकड़ा 5,248 करोड़ रुपए था लेकिन गुरुवार को प्रोविजिनल डाटा के मुताबिक 3 हजार करोड़ से ज्यादा के शेयर एफआईआई ने बेचे हैं।
आईटी और बैंकिंग शेयरों ने गिरावट में दिया योगदान
बाजार में गिरावट की अगुवाई आईटी और बैंकिंग स्टॉक्स ने की। इन दोनों ने गिरावट को भरपूर सपोर्ट किया। गुरुवार को ही सितंबर डेरिवेटिव कांट्रैक्ट की एक्सपायरी थी। आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने अपनी नोट में कहा है कि हम आगे भारतीय बाजार में और गिरावट देख सकते हैं। स्कॉटलैंड और यूके ने कहा है कि वे एक और लॉकडाउन के बारे में सोच रहे हैं। यह डर पैदा हो गया है कि कई और देशों में लॉक डाउन हो सकता है। इससे बाजार में ज्यादा निराशा फैल सकती है। यह पहले से उम्मीद थी कि बाजार ज्यादा बढ़ गया था और गिरावट हो सकती है।
बाजार आगे और गिरता है तो घबराहट बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि अगर बाजार आगे और ज्यादा गिरता है तो घबराहट बढ़ सकती है। हम निफ्टी को 10,800 पर मजबूत सपोर्ट पर तब देख सकते हैं जब यहां से बाजार और कमजोर होता है। बाजार को बचाने के लिए केवल एक ही कारण है और वह यह कि वैश्विक बाजारों में स्थिरता आए। उधर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने यह चेतावनी दी कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस समय बाजार के मूल्य से भी बदतर है।
केवल एचयूएल का शेयर बढ़त में रहा
गुरुवार को सेंसेक्स में केवल हिंदुस्तान यूनिलीवर का शेयर था जो बढ़त पर कारोबार कर रहा था। आईटी की दिग्गज कंपनियां इंफोसिस और टाटा कंसलटेंसी के शेयरों ने बाजार को गिराने में ज्यादा योगदान दिया। इंफोसिस में 4.58 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि टीसीएस में 6.41 प्रतिशत की गिरावट दिखी। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.46 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी तरह एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में भी 1 प्रतिशत और 3.30 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
दरअसल अचानक कोरोना के नए मरीजों की बढ़ रही संख्या ने भी बाजार को गिराने में योगदान दिया है। पिछले सात दिनों में वैश्विक स्तर पर जितने मरीज कोरोना के आए हैं, उसमें से अकेले 34 प्रतिशत भारत में आए हैं।
ऑटो सेक्टर में अशोक लेलैंड, टाटा मोटर्स ने गिरावट की अगुवाई की
ऑटो सेक्टर में अशोक लेलैंड का शेयर 8 प्रतिशत और टाटा मोटर्स 6.32 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ। बाजार के जानकार हालांकि यह भी कह रहे हैं कि आईपीओ के बाजार में चल रही धूम से भी सेकेंडरी बाजार को नुकसान हो रहा है। निवेशक अब आईपीओ पर फोकस कर रहे हैं। इसका उदाहरण केमकॉन स्पेशियालिटी केमिकल्स, कैम्स और एंजल ब्रोकिंग का आईपीओ रहा है। इसमें से दो कल बंद हुए हैं जबकि एंजल ब्रोकिंग आज बंद हो रहा है।
हालांकि 29 सितंबर से फिर से दो आईपीओ आ रहे हैं जिसमें यूटीआई और मझगांव डाक हैं यूटीआई बड़ा आईपीओ है।

4 महीनों में आज की गिरावट सबसे बड़ी
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के दीपक जसानी कहते हैं कि भारतीय शेयर बाजार लगातार छठें दिन गिरा है और किसी एक दिन में पिछले 4 महीनों में आज की गिरावट सबसे बड़ी है। जिन सेक्टर्स में ज्यादा गिरावट दिखी उसमें आईटी, मेटल्स, बैंक, ऑटो, मीडिया और फार्मा के साथ रियल्टी सेक्टर रहे हैं। वे कहते हैं कि बुधवार को अमेरिका में टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में गिरावट दिखी थी जिसका असर भारतीय बाजार में आईटी कंपनियों पर दिखा।
अमेरिका की आर्थिक स्थिति में गिरावट की आशंका
गोल्डमैन सैक्श ने अमेरिका के विकास के अनुमान में चौथी तिमाही में गिरावट की आशंका जताई है। इसमें तीन से 6 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। बढ़ते कोरोना और संभावित लॉकडाउन से निवेशकों में सतर्कता दिख रही है। गुरुवार को एक दिन में ही मार्केट कैपिटलाइजेशन में 3.91 लाख करोड़ रुपए की कमी आई। यह 148.76 लाख करोड़ रुपए रह गया।
इंफोसिस, टीसीएस और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर पिटे
इंफोसिस, आरआईएल, टीसीएस और आईसीआईसीआई बैंक ने सेंसेक्स की गिरावट में करीबन आधा का योगदान दिया। निफ्टी मिडकैप 50 डेज मूविंग एवरेज (डीएमए) के नीचे पहुंच गया। 22 मई के बाद यह हुआ है। गिरावट वाले प्रमुख शेयरों की बात करें तो इंडसइंड बैंक 7.45 प्रतिशत गिरकर 488.70 रुपए पर पहुंच गया। टाटा मोटर्स 6.58 प्रतिशत गिर कर 122.75 रुपए पर, बजाज फाइनेंस 6.57 प्रतिशत गिर कर 3,030.65, ग्रासिम 5.68 प्रतिशत गिर कर 677.60 और टीसीएस 5.45 प्रतिशत गिर कर 2,332 रुपए पर पहुंच गया।
मिड कैप में इंडिया बुल्स, आईआरबी, आईडीएफसी की पिटाई
मिड कैप स्टॉक में इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस, अशोक लेलैंड, राजेश एक्सपोर्ट, इंडिया बुल्स रियल इस्टेट, आईआरबी इंफ्रा और आईडीएफसी बैंक सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयर रहे। इनमें 6 से 9 प्रतिशत की गिरावट दिखी। दूसरी ओर अपोलो हास्पिटल, कोरोमंडल इंटरनेशनल, सीईएससी, एचईजी इंफ्रा, मेट्रोपोलिस, केईसी इंटरनेशनल सबसे ज्यादा बढ़त वाले शेयर रहे हैं।
बाजार में बिक्री कई कारणों से रही है
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के इक्विटी रिसर्च हेड नरेंद्र सोलंकी कहते हैं कि बाजार में यह बिक्री ढेर सारे कारणों से रही है। इसमें मैक्रो कारक, कोरिया के साथ बढ़ते तनाव, कोविड के बढ़ते मामलों और अमेरिका में रिकवरी में अनिश्चितता जैसे कारण रहे हैं। वे कहते हैं कि सेंटीमेंट इसलिए ज्यादा प्रभावित हुआ क्योंकि डीपीआईआईटी के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी में एफडीआई में 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 49,820 करोड़ रुपए रहा है।
6 दिनों में 3,000 अंक टूटा सेंसेक्स
पिछले 6 कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स करीब 3,000 अंक गिर चुका है। इन 6 दिनों में निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपए बह गए हैं। मासिक एक्सपायरी के दिन 9 साल की यह बड़ी गिरावट रही है। एक महीने की बात करें तो सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में वोडाफोन 13.45 से गिर कर 9.12 रुपए पर आ गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 2,368 से गिर कर 2,181 रुपए, टीसीएस का शेयर 2,534 से गिरकर 2,331 रुपए पर आ गया।
एक्सिस बैंक, बजाज फाइनेंस के शेयर भी गिरे
इसी तरह एक्सिस बैंक का शेयर 533 से गिर कर 402 रुपए, बजाज फाइनेंस का शेयर 3,750 से गिर कर 3,027, आईटीसी का 198 से गिर कर 166 रुपए पर आ गया है। इसी तरह से आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 422 से गिरकर 335 रुपए, एसबीआई का 232 से गिरकर 176 रुपए पर आ गया है। वैसे मार्केट कैप में 18 सितंबर के बाद जिन अन्य कंपनियों को घाटा हुआ है उसमें कोटक महिंद्रा बैंक को सात हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसका बाजार पूंजीकरण 2.53 लाख करोड़ से घटकर 2.46 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
एचयूएल का 4.93 से घटकर 4. 88 लाख करोड़, एचडीएफसी का 5.81 से घटकर 5.66 लाख करोड़ रुपए हो गया है।