श्रद्धा वालकर के पिता की हार्ट अटैक से मौत:बेटी का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए, क्योंकि केस के चलते अस्थियां नहीं मिली थीं

तीन साल पुराने श्रद्धा वालकर हत्याकांड का फैसला अभी तक नहीं आया, लेकिन श्रद्धा के पिता विकास वालकर का रविवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया। विकास अपनी बेटी का केस लड़ रहे थे। उन्हें बेटी की अस्थियों का इंतजार था ताकि उसका अंतिम संस्कार कर पाते। मगर श्रद्धा की हड्डियां केस प्रॉपर्टी (सबूत के तौर पर रखी गईं) बन चुकी थी। 18 मई, 2022 की रात श्रद्धा वालकर का लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने मर्डर कर दिया था। 2 दिन तक आफताब इंटरनेट पर डेडबॉडी ठिकाने लगाने के तरीके सर्च करता रहा। 19 मई को घर से निकला, 300 लीटर का बड़ा फ्रिज और आरी लेकर लौटा। श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े करके फ्रिज में रख दिए। फिर बैग में भरकर उन्हें छतरपुर के जंगलों में फेंक दिया था। तीन साल हो गए, श्रद्धा मर्डर केस में फैसला नहीं आया
तीन साल हो गए, श्रद्धा मर्डर केस में फैसला नहीं आया। केस की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट में हो रही है। अभी ट्रायल चल रहा है। डॉक्टर, श्रद्धा के दोस्त और डिलिवरी बॉय की गवाही हो चुकी है। विकास वालकर 27 नवंबर को सुनवाई के लिए मुंबई से दिल्ली आए थे। 9 दिसंबर को दैनिक भास्कर ने उनसे केस के स्टेटस और लॉरेंस गैंग के बारे में बात की थी। ‘बेटी के कातिल को कब सजा मिलेगी, नहीं पता’
तिहाड़ की जेल नंबर 4 में बंद श्रद्धा की हत्या का आरोपी आफताब अब डरा हुआ है। उसे जान जाने का डर है। मुंबई में बाबा सिद्दीकी के मर्डर में आरोपी शूटर शिवकुमार ने पुलिस को बताया है कि आफताब गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के निशाने पर है। उसके शूटर कोर्ट आने-जाने के दौरान रेकी भी कर चुके हैं। खबर सामने आई, तो आफताब के वकील ने उसकी ऑनलाइन पेशी की गुजारिश की, जिसे कोर्ट ने मान लिया। भास्कर से बातचीत में विकास ने कहा था- जब कोर्ट में आता हूं और आफताब को जिंदा देखता हूं, तो बहुत अजीब लगता था। गुस्सा भी आता है, लेकिन क्या कर सकता हूं। लॉरेंस बिश्नोई अगर आफताब के साथ कुछ करता है, तो मुझे बहुत शांति मिलेगी। मेरी बेटी को भी शांति मिलेगी।’ ‘उसे कब सजा मिलेगी, कितना समय लगेगा, अभी नहीं पता। हर बार कह देते हैं कि 2 से 3 महीने में सजा हो जाएगी। 4-5 महीने पहले भी यही कहा गया था।’ मुझे कभी नहीं लगा कि आफताब को कभी पछतावा हुआ हो, न ही वो कभी डरा हुआ लगा। वो ऐसे दिखाता है जैसे उसने कुछ किया ही नहीं है।’ ‘जब उसे अपने किए पर पछतावा नहीं है, तो ऐसे आदमी को जिंदा रखने का क्या फायदा। अगर उसे फांसी देना है, तो जल्दी देना चाहिए। ‘बेटी के शरीर का कोई हिस्सा मिल जाता, तो अंतिम संस्कार कर पाता
श्रद्धा के पिता उस वक्त बात करते हुए कई बार इमोशनल भी हुए थे। बेटी का अंतिम संस्कार न कर पाने का मलाल उनके मन में ही रह गया। उन्होंने कहा था, ‘मैं कोर्ट से पहले भी डिमांड कर चुका हूं कि बेटी के कुछ बॉडी पार्ट्स मिल जाएं, जिससे उसका अंतिम संस्कार कर सकूं।’ ‘कोर्ट ने कहा है कि केस का फैसला आने तक कोई बॉडी पार्ट नहीं दे सकते। इसी साइंटिफिक एविडेंस से केस का फैसला आएगा। फाइनल डिसीजन होगा, तभी हमें अंतिम संस्कार के लिए बॉडी पार्ट्स मिल पाएंगे। इसलिए मैं बस इंतजार कर रहा हूं। ये इंतजार कितना लंबा होगा, अभी नहीं पता। ‘आफताब की फैमिली क्यों फरार हुई, उनकी भी जांच हो’
श्रद्धा के पिता ने आफताब के परिवार पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, ‘आफताब के माता-पिता की भी जांच होनी चाहिए। मुंबई पुलिस ने शुरुआत में बड़ी लापरवाही बरती है। मेरी बेटी ने शुरुआत में आफताब की शिकायत की थी, उसे पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया।’ ‘इसके बाद केस ओपन हुआ, तब आफताब के परिवार वाले घर छोड़कर चले गए। मुझे लगता है कि पूरे मामले में उनकी भी भूमिका रही होगी। इसलिए जांच होनी चाहिए।’ ‘मुंबई पुलिस से मैं पहले ही शिकायत कर चुका हूं। श्रद्धा ने मुंबई पुलिस को शिकायत की थी, तभी कहा था कि आफताब उसे जान से मारने और टुकड़े करने की धमकी देता है। इसी से आफताब की साजिश का पता चलता है। फिर भी मुंबई पुलिस ने एक्शन नहीं लिया।’ ‘अगर पुलिस ने सही समय पर एक्शन लिया होता, तो मेरी बेटी जिंदा होती। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मुंबई से दिल्ली आकर कोर्ट के चक्कर लगाना बहुत मुश्किल है। वकील बोलीं थी- 2 से 3 महीने में खत्म हो जाएगा ट्रायल
दैनिक भास्कर ने श्रद्धा का केस लड़ रहीं एडवोकेट सीमा कुशवाहा से भी बात की थी। उन्होंने कहा था, ‘श्रद्धा के मुंबई के कई दोस्त हैं। उनके भी कोर्ट में बयान दर्ज हुए हैं। कॉलेज के दोस्तों के बयान हो चुके हैं। श्रद्धा और आफताब साथ में रहते थे, कई बार ऑनलाइन खाना मंगाते थे। उन डिलीवरी बॉय के भी बयान हुए हैं। अभी डॉक्टर के बयान दर्ज हो चुके हैं। कई साइंटिफिक टेस्ट और रिपोर्ट कोर्ट में आ चुकी हैं।’ ‘अभी केस जिस स्टेज पर है, उम्मीद है कि ट्रायल जल्द पूरा होगा। मुझे लगता है कि इसमें 2 से 3 महीने लगेंगे। केस ट्रायल में है, इसलिए उसके बारे में कुछ नहीं बता सकते।’ हालांकि इस बात को दो महीने पूरे होने वाले हैं लेकिन केस खत्म नहीं हुआ। क्या आफताब को फांसी की सजा मिल पाएगी? इस सवाल पर एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने कहा था, ‘इस केस को मैं तीन तरह से लेती हूं। एक वकील, एक सिटिजन और एक महिला के रूप में। तीनों के नाते मैं चाहूंगी कि आरोपी को किसी भी कीमत पर फांसी से कम सजा न मिले। उसने क्राइम किया है, वो रेयर ऑफ रेयरेस्ट है। उसे डेथ पेनल्टी ही मिलनी चाहिए। हमारी कोर्ट से यही मांग होगी।’ श्रद्धा की हडि्डयां केस प्रॉपर्टी, इसलिए अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिल पाईं
श्रद्धा के पिता बेटी का अंतिम संस्कार क्यों नहीं कर पाए थे। इस बारे में पूछने पर एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने उस वक्त कहा था कि आफताब ने श्रद्धा की बॉडी के हिस्से महरौली के जंगल में फेंके थे। उनके सैंपल लिए गए थे। फोरेंसिक लैब की जांच में हड्डियों से श्रद्धा के पिता का DNA मैच हुआ है। इसलिए अब वो केस प्रॉपर्टी है। ट्रायल पूरा तक उन हड्डियों को नष्ट नहीं कर सकते। 18 मई, 2022 को हुई थी श्रद्धा की हत्या
पुलिस जांच के मुताबिक, श्रद्धा वालकर की हत्या 18 मई, 2022 को हुई थी। इसके बाद आफताब उसकी लाश के टुकड़े कर ठिकाने लगाता रहा। श्रद्धा का फोन मई 2022 से ही बंद जा रहा था। इस केस में मुंबई पुलिस में भी शिकायत की गई थी। बाद में दिल्ली पुलिस से संपर्क किया गया। 12 नवंबर 2022 को दिल्ली पुलिस ने छतरपुर इलाके से एक आम से दिखने वाले लड़के आफताब को गिरफ्तार किया था। तभी से वो तिहाड़ की जेल नंबर-4 में बंद है। मर्डर का खुलासा होने के बाद श्रद्धा के साथ हुई हैवानियत सामने आई। पूछताछ में पता चला कि मर्डर के बाद आफताब ने श्रद्धा का चेहरा जलाया, ताकि उसकी पहचान न हो सके। लाश को काटने के दौरान वो बीयर पीता रहा, जोमैटो से खाना मंगाकर खाता रहा। अगले 18 दिनों तक रोज रात को 12 बजे निकलता और लाश के टुकड़े छतरपुर के जंगल में फेंक आता। कुछ हड्डियां बड़ी थीं, तो उन्हें ग्राइंड करके फेंका। श्रद्धा का फोन नहीं फेंका, वो जिंदा है ये दिखाने के लिए उसके दोस्तों के मैसेज रिप्लाई किए, कॉल उठाए और उसके परिवार को लगातार गुमराह करता रहा। आफताब ने पुलिस को भी बेवकूफ बनाया
श्रद्धा के परिवार का उससे संपर्क नहीं हुआ और उसका फोन भी बंद आने लगा तो अक्टूबर में परिवार ने मुंबई के मानिकपुर पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने आफताब को पूछताछ के लिए बुलाया था। आफताब बेहद नॉर्मल दिख रहा था, उसने ऐसे बर्ताव किया कि पुलिस को उस पर शक नहीं हुआ। उसने ये कहानी सुनाकर पुलिस को चकमा दे दिया कि श्रद्धा अपनी मर्जी से चली गई थी। पुलिस के संपर्क करने के बाद भी आफताब अंडरग्राउंड नहीं हुआ था। उसे भरोसा था कि वो पुलिस को चकमा दे देगा। पुलिस पूछताछ में वो बिल्कुल नॉर्मल रहा। मानिकपुर पुलिस ने एक बार फिर आफताब को पूछताछ के लिए बुलाया। इस बार भी आफताब बिल्कुल बेफिक्र और शांत था। पुलिस ने उसका दो पेज का लिखित बयान लिया और उसने वही कहानी दोहराई कि श्रद्धा झगड़े के बाद उसे छोड़कर चली गई है। …………………………… लॉरेंस से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…
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