भारत की संसदीय समिति ने META को मानहानि का समन भेजेगी। समन META के CEO मार्क जुकरबर्ग के उस बयान को लेकर भेजा जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड में धीमे रेस्पॉन्स के चलते कोविड के बाद मौजूद मोदी सरकार हार गई। भाजपा सांसद और कम्युनिकेशन-इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने मंगलवार को कहा कि META को गलत जानकारी फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए। CEO मार्क जुकरबर्ग ने 10 जनवरी को एक पॉडकास्ट में कहा था, ‘2024 का साल दुनिया के लिए उथल-पुथल भरा रहा और कोविड के बाद हुए चुनाव में भारत सहित विश्व में कई देशों की सरकार गिर गई। ये सरकारों के प्रति जनता का अविश्वास दिखाता है।’ रेल और IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर कहा था, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत में 2024 के चुनाव में 64 करोड़ लोग शामिल हुए। देश के लोगों ने PM मोदी के नेतृत्व वाले NDA पर भरोसा किया। जुकरबर्ग का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। उन्हें तथ्यों और विश्वसनीयता को कायम रखना चाहिए।’ भारतीय संसद से माफी मांगे META- दुबे लोकसभा में गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, “हमारी संसदीय समिति गलत जानकारी फैलाने के लिए META को बुलाएगी। किसी भी लोकतांत्रिक देश में गलत जानकारी उस देश की इमेज को खराब करती है। इस संस्था को भारतीय संसद और यहां के लोगों से इस गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए।” जो रोगन के पॉडकास्ट इंटरव्यू में पहुंचे थे जुकरबर्ग मार्क जुकरबर्ग जो रोगन के साथ एक पॉडकास्ट में कोविड-19 महामारी के बाद सरकारों में विश्वास की कमी पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2024 एक बड़ा चुनावी साल था। भारत समेत इन सभी देशों में चुनाव थे। लगभग सभी सत्ताधारी चुनाव हार गए। पूरे साल में किसी न किसी तरह की वैश्विक घटना हुई। चाहे वो मुद्रास्फीति के कारण हो। कोविड से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों के कारण या सरकारों द्वारा कोविड से निपटने के तरीके के कारण। ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव वैश्विक था। लोगों की नाराजगी और गुस्से ने दुनिया भर में चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। सभी सत्तासीन लोग हार गए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी हार गई।