भारत में पहली बार काेराेना के सक्रिय मरीज बढ़ने की दर गिरकर 0.64% रह गई है। 19 सितंबर काे यह 1.0% थी। एक दिन में इसमें 0.36% की गिरावट हुई है। अब यदि यह दर नहीं बढ़ती है या स्थिर रहती है ताे सक्रिय मरीज 474 दिन में दाेगुने हाेंगे। यानी एक साल से भी अधिक समय में। लाॅकडाउन 1 के दाैरान अप्रैल में यह 22% थी। लाॅकडाउन 2 में यह गिरकर 5% तक आ गई थी। अनलाॅक 1 के दाैरान जून में यह 2.5% तक गिर गई थी। गिरावट का मुख्य कारण देश के रिकवरी रेट में सुधार हाेना है।
पूरे भारत में एक साथ पीक नहीं आएगा, मुंबई-दिल्ली के बड़े इलाके में पीक आ चुका
- पूरे भारत में एक साथ पीक नहीं आएगा। अलग-अलग राज्य यहां तक कि शहर का भी पीक अलग हो सकता है। सीरो सर्वे के नतीजों से अंदाज लगा सकते हैं।
- माना जा सकता है कि मुंबई और दिल्ली के एक बड़े इलाके में पीक आ गया है। बाकी शहरों में अभी ऐसी स्थिति नहीं है।
- मरीजों की संख्या के आधार पर पीक तय नहीं किया जा सकता, क्योंकि अभी तो देश में महज 55 लाख मरीज सामने आए हैं।
- रिकवरी रेट बढ़ने से पीक का लेना-देना नहीं है, क्योंकि लॉकडाउन या अन्य रोक से संक्रमण राेक सकते हैं। इससे रिकवरी दर बढ़ जाएगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पीक का अंदाजा लग जाएगा।
- संभव है अगले वर्ष के मध्य तक देश में हर्ड इम्यूनिटी जैसी स्थिति बने क्योंकि बड़े स्तर पर समुदाय में संक्रमण हो चुका है।
- 50 से 60 फीसदी लोगों को जब संक्रमण हो जाएगा, तब यह कहा जा सकता है कि अब केस ज्यादा नहीं बढ़ेंगे क्योंकि हर्ड इम्यूनिटी (प्रोटेक्शन) आ गई है।
– डॉ. प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के प्रमुख और डॉ. प्रो. संजय राय, कम्यूनिटी मेडिसिन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स, दिल्ली