रामेश्वरम में समुद्र के किनारे एक छोटा-सा मछुआरों का गांव था- धनुषकोडी। वहीं एक साधारण घर में अब्दुल कलाम का जन्म हुआ। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उन्हें पढ़ाई के साथ अखबार बांटने पड़ते, पिता की नाव की मरम्मत करते। कई बार स्कूल की किताबें खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे। इन मुश्किलों के बीच भी उन्होंने सपने देखे, पढ़ाई की और वैज्ञानिक बने। उन्होंने भारत की पहली मिसाइल पृथ्वी बनाई और देश के 11वें राष्ट्रपति बने। उन्हें देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न भी मिला। अब्दुल कलाम के पास न बहुत पैसे था, न सुविधाएं और न ही कोई ऐसी विरासत थी, जो उन्हें सीधे ऊंचाइयों तक पहुंचा दे। फिर भी उन्होंने भारत की पहली मिसाइल बनाई, देश के राष्ट्रपति बने और भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ हासिल किया। जरा सोचिए, अब्दुल कलाम आखिर ये सबकुछ कैसे हासिल कर पाए? इसका जवाब एक शब्द में है- आत्मविश्वास। वो आत्मविश्वास, जो हालात से हार मानने नहीं देता, जो सपनों को सच करने की हिम्मत देता है और जो हर नाकामी को सीढ़ी बना देता है। नए कॉलम सक्सेस मंत्रा में हर सोमवार हम सफलता के ऐसे ही किसी विषय पर बात करेंगे। आज का टॉपिक है- ‘सेल्फ कॉन्फिडेंस यानी आत्मविश्वास।’ आज हम जानने की कोशिश करेंगे कि आत्मविश्वास का सफलता से क्या रिश्ता है। आत्मविश्वास हो तो, हर चुनौती आसान हैं आत्मविश्वास यानी स्वयं पर भरोसा, ये विश्वास कि आप किसी परिस्थिति या चुनौती का सामना कर सकते हैं। जिसे खुद पर भरोसा है, वह किसी भी मंच, परीक्षा, नौकरी या परिस्थिति में डटकर खड़ा रहता है। ऐसे लोगों पर हर कोई भरोसा करता है- आपके दोस्त, कुलीग और बॉस सभी। सफलता की पहली सीढ़ी है आत्मविश्वास आत्मविश्वास का मतलब ये नहीं कि हर बार आपको सफलता ही मिलेगी। आत्मविश्वास का असली मतलब है- हर बार कोशिश करना, चाहे पिछली बार नाकामी ही क्यों न मिली हो। कई बार होता है कि आप पूरी मेहनत करते हैं, पूरे भरोसे के साथ कोई काम शुरू करते हैं, लेकिन नतीजा उम्मीद के मुताबिक नहीं आता है। ऐसे वक्त में कई लोग हार मान लेते हैं। लेकिन जिन्हें खुद पर आत्मविश्वास होता है, वो रुकते नहीं हैं, वे सोचते हैं कि कहां चूक हुई, क्या सीखा जा सकता है, और अगली बार कैसे बेहतर किया जाए। देखिए ये कैसे काम करता है- आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 आसान तरीके 1. छोटे-छोटे टारगेट पूरे करें जब आप कोई छोटा काम पूरा करते हैं तो भीतर से खुशी मिलती है। दिमाग ‘डोपामिन’ नाम का हैप्पी हार्मोन रिलीज करता है, जिससे अंदर पॉजिटिव एनर्जी आती है। जानिए इसके लिए क्या करें: हर हफ्ते सातों दिन के लिए टारगेट रखें पहला दिन: किसी से खुलकर बात करें। दोस्त, कलीग या फैमिली मेंबर से मन की बात शेयर करें। दूसरा दिन: कोई नया काम शुरू करें- जैसे ब्लॉग लिखना, वीडियो बनाना या कुछ क्रिएटिव करना। तीसरा दिन: पब्लिक स्पेस में एक अजनबी से बात करें। जैसे- दुकानदार या गार्ड से नाम पूछना, उसके बारे में जानना। चौथा दिन: आईने के सामने 5 मिनट बोलें। कोई मोटिवेशनल स्पीच दें या अपने गोल्स के बारे में बात करें। पांचवां दिन: किसी काम की जिम्मेदारी खुद लें। ऑफिस या घर में कोई छोटा प्रोजेक्ट खुद से उठाएं। छठा दिन: अपने किसी एक डर को फेस करें। जिन कामों से डर लगता है, जैसे स्टेज पर बोलना, डांस करना। सातवां दिन: पूरे हफ्ते का रिव्यू करें। डायरी में लिखें: 2. बॉडी लैंग्वेज बदलिए तो सोच बदलेगी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक, अगर आप सिर्फ 2 मिनट इस तरह खड़े होते हैं, जैसे आप बहुत कॉन्फिडेंट हों। इस दौरान सीना तना होना चाहिए, सिर ऊंचा होना चाहिए और कमर सीधी होनी चाहिए। इससे स्ट्रेस कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। जानिए इसके लिए क्या करें- 3. नकारात्मक सोच को बदलना सीखिए यह काम मुझसे नहीं होगा, मैं ये नहीं कर सकता हैं- ये सोच ही हमें कुछ करने से रोकती है। ध्यान से देखेंगे तो हर नकारात्मक वाक्य से सिर्फ ‘नहीं’ शब्द हटा दें तो वाक्य पॉजिटिव हो जाता है। अगर इन वाक्यों को ही बदल दें, तो कॉन्फिडेंस बढ़ने लगेगा। 4. हर काम के लिए पूरी तैयारी से कॉन्फिडेंस बढ़ता है अगर आपको कोई प्रेजेंटेशन देना है, इंटरव्यू है या कोई खास बात करनी है तो उसकी प्रैक्टिस करें। जब आप किसी काम के लिए तैयार होंगे, तो डर अपने आप दूर हो जाएगा। 5. हर ‘हार’ में छिपी होती है सीख जिंदगी में हर किसी को रिजेक्शन मिलता है, हार मिलती है। कोई हंसता है, कोई मना करता है, लेकिन यही रिजेक्शन आगे का रास्ता दिखाता है। सच ये है कि असफलता, सफलता की कोई उल्टी चीज नहीं है। ये उसका हिस्सा है। हर छोटे फैसले से आता है आत्मविश्वास आत्मविश्वास कोई किताब पढ़ने या मोटिवेशनल वीडियो देखने से नहीं आता है। ये हर उस छोटे फैसले से आता है , जब आप डर के बावजूद एक कदम आगे बढ़ाते हैं। अगली बार जब आप झिझकें तो याद रखिए कि हर ना के पीछे एक हां छिपी होती है। बस आपको दरवाजा खोलने की हिम्मत चाहिए। …………………….
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