सफलता के तीन सूत्र हैं परिश्रम, प्रार्थना और प्रतीक्षा, इन तीनों को संतुलन रहा तो कोई लक्ष्य दूर नहीं रहेगा

जीवन की सफलता के तीन सूत्र हैं अगर इन्हें ध्यान में रखा जाए तो कुछ भी पाना असंभव नहीं। जीवन में परिश्रम, प्रार्थना और प्रतीक्षा का बड़ा महत्व है। परिश्रम में सक्रियता, प्रार्थना में समर्पण और प्रतीक्षा में धैर्य छिपा है। इन तीनों के मेल से आदमी पूर्ण कर्मयोगी बनता है। माना जाता है हनुमानजी भक्त तो हैं ही, लेकिन उनका कर्मयोगी स्वरूप भी अद्भुत है। श्रीराम से मिलने के पहले हनुमानजी केवल किष्किंधा के राजा सुग्रीव के सचिव मात्र थे।

उनकी प्रतिभा लगभग सोई हुई थी। एक दिन श्रीराम उनके जीवन में आ गए। राम ने उन्हें स्पर्श किया और हनुमानजी के भीतर की सोई हुई शक्ति जाग गई। यह घटना बड़ी प्रतिकात्मक है। सभी के जीवन में ऐसा होता रहता है। हम अपनी ही ऊर्जा को पहचान नहीं पाते लेकिन एक काम करते रहें।

हनुमानजी की तरह प्रार्थना और प्रतीक्षा न छोड़ें। हनुमानजी की मां अंजनि ने उन्हें बचपन से ही आश्वस्त कर रखा था कि तुम्हारे जीवन में एक दिन श्रीराम अवश्य आएंगे और तुम्हारा जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा। मां के इन शब्दों को बालक हनुमान ने अपने कलेजे पर लिख लिया था। परिश्रम वे करना चाहते थे किंतु ऊर्जा सोई हुई थी लेकिन प्रार्थना और प्रतीक्षा उनके स्वभाव में उतर गई थी।

वे परमात्मा से प्रार्थना करते थे एक न एक दिन मेरे जीवन में जरूर आएं और उसके बाद पूरे धर्य से उन्होंने प्रतीक्षा की। एक दिन श्रीराम उनके जीवन में आ ही गए। यहां दो बातें हैं जिसके संग आप रहते हैं उसके जैसे हो जाते हैं। सुग्रीव भयभीत व्यक्तित्व का व्यक्ति था तो हनुमानजी भी भीतर से थके-थके से हो गए थे। फिर मिला श्रीराम का संग और उनकी ऊर्जा जाग गई। एक ऐसी ऊर्जा जिससे आज तक संसार चार्ज हो रहा है।

यह था राम के संग का प्रभाव। इसलिए संग अच्छा रखें, परिश्रम की सदैव तैयारी हो, प्रार्थना सुबह-शाम करें और प्रतीक्षा करें तो बस परमात्मा की।

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Lord Hanuman The three sources of success are hard work, prayer and waiting, if all three remain in balance then no goal will be far away