सरकार ने चीनी मिलों को अपने कोटे का अनिवार्य निर्यात करने के लिए समय सीमा 3 महीने बढाकर दिसंबर तक कर दी। यह बात खाद्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कही। सरप्लस चीनी की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने सितंबर में समाप्त हो रहे मार्केटिंग वर्ष 2019-20 के लिए कोटे के तहत 60 लाख टन का निर्यात करने की अनुमति दी है।
खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि ने कहा कि 60 लाख टन में से 57 लाख टन का ऑर्डर लिया जा चुका है। करीब 56 लाख टन मिलों से निकल चुकी है। कोरोनावायरस महामारी के बीच कुछ मिलों को निर्यात करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, क्योंकि कुछ जगहों पर पाबंदियों के कारण वे स्टॉक की ढुलाई नहीं कर सके।
इरान, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश व अन्य देशों को हो रहा चीनी का निर्यात
सिंह ने कहा कि कई मिलों को महामारी के दौरान लॉजिस्टिक की समस्या हुई। इसलिए हमने उन्हें अपने कोटे का निर्यात करने देने के लिए दिसंबर तक का अतिरिक्त समय देने का फैसला किया है। मिलों ने इरान, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश व अन्य देशों को चीनी का निर्यात किया है। इंडोनेशिया को निर्यात करने में गुणवत्ता का मुद्दा उठा था, हालांकि अब उसमें ढील मिल चुकी है, जो कि भारत से होने वाले निर्यात के लिए सकारात्मक है।
60 लाख टन का निर्यात करने के लिए 6,268 करोड़ रुपए की सब्सिडी
सरप्लस स्टॉक निकालने और किसानों को गन्ना बकाए के भुगतान में मिलों को मदद करने के लिए सरकार 2019-20 मार्केटिंग वर्ष में 60 लाख टन का निर्यात करने के लिए 6,268 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रही है। 2019-20 मार्केटिंग वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में देश में 2.73 करोड़ टन चीन का उत्पादन होने का अनुमान है। यह पिछले मार्केटिंग वर्ष के मुकाबले कम है।
ब्राजील के बाद भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक
ब्राजील के बाद भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखा पड़ने के कारण 2019-20 मार्केटिंग वर्ष में चीनी का उत्पादन घट गया है। हालांकि घरेलू उत्पादन 2.5-2.6 करोड़ टन की सालाना अनुमानित खपत के मुकाबले ज्यादा है।
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