गुरुवार, 17 सितंबर को पितृ पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या है। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं है। साथ ही, इस बार अगर किसी मृत सदस्य का श्राद्ध करना भूल गए हैं तो उनके लिए अमावस्या पर श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के पिंडदान आदि शुभ कर्म करना चाहिए। मान्यता है कि पितृ पक्ष में सभी पितर देवता धरती पर अपने-अपने कुल के घरों में आते हैं और धूप-ध्यान, तर्पण आदि ग्रहण करते हैं। अमावस्या पर सभी पितर अपने पितृलोक लौट जाते हैं।
गया तीर्थ क्षेत्र के पुरोहित गोकुल दुबे के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपने परिवार से अलग रहता है, सभी भाइयों के घर अलग-अलग हैं तो सभी को अपने-अपने घरों में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
अमावस्या तिथि पर ये शुभ कर्म भी जरूर करें
> पितृ पक्ष की अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए। आप चाहें तो वस्त्रों का दान भी कर सकते हैं। किसी मंदिर में, किसी गौशाला में भी दान करना चाहिए।
> अमावस्या की शाम सूर्यास्त के बाद घर में मंदिर में और तुलसी के पास दीपक जलाएं। मुख्य द्वार पर और घर की छत पर भी दीपक जलाना चाहिए। अमावस्या तिथि पर चंद्र दिखाई नहीं देता है। इस वजह से रात में अंधकार और नकारात्मकता बढ़ जाती है। दीपों की रोशनी से घर के आसपास सकारात्मक वातावरण बनता है। इसीलिए अमावस्या की रात दीपक जलाने की परंपरा है।
18 सितंबर से शुरू होगा अधिकमास
इस साल पितृ पक्ष की अमावस्या के बाद यानी 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो रहा है। इस वजह से नवरात्रि पूरे एक माह देरी से आएगी। अगले महीने 17 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू होगी।