एक समय था, जब लोन लेने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते थे। लंबी प्रक्रिया, डॉक्यूमेंट्स का अंबार और हफ्तों का इंतजार आम बात थी। लेकिन अब डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स ने फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर को पूरी तरह बदल दिया है। अब कुछ ही क्लिक में घर बैठे मोबाइल एप्स के जरिए, लाखों रुपए का लोन मिल सकता है। ऑनलाइन लोन एप्स के बढ़ते चलन के साथ साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। हाल ही में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने अपने ट्विटर प्लेटफॉर्म ‘साइबर दोस्त’ पर ऐसे फेक लोन एप्स को लेकर अलर्ट जारी किया है। तो चलिए, आज साइबर लिटरेसी कॉलम में जानते हैं कि फेक लोन एप्स क्या होते हैं? साथ ही बात करेंगे कि- एक्सपर्ट: राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर सवाल- फेक लोन एप्स क्या होते हैं? जवाब- ये एप्स खुद को किसी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन या बैंक का ऑफिशियल एप की तरह दिखाते हैं, लेकिन असल में इनका मकसद लोगों को धोखा देना होता है। ये एप्स लोन देने के नाम पर यूजर से जरूरी डॉक्यूमेंट्स, फोटो, बैंक डिटेल्स और मोबाइल परमिशन लेते हैं। बाद में भारी ब्याज वसूलने की धमकी देते हैं या फिर यूजर का डेटा ब्लैकमेलिंग और फ्रॉड के लिए इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर ये फेक लोन एप्स एंड्रॉइड पैकेज किट (APK) या थर्ड पार्टी वेबसाइट्स के जरिए इंस्टॉल होते हैं। सवाल- ये फेक एप्स कैसे काम करते हैं? जवाब- फेक लोन एप्स एक जाल की तरह यूजर्स को फंसाते हैं। ये तुरंत लोन देने का झांसा देकर लोगों की पर्सनल जानकारी चुराते हैं और बाद में ब्लैकमेलिंग करते हैं। इसका पूरा प्रोसेस कुछ इस तरह काम करता है। लुभावने विज्ञापन का लालच देना साइबर अपराधी फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम या गूगल जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ‘तुरंत लोन’, ‘बिना डॉक्यूमेंट के ₹5 लाख तक का लोन’ जैसे आकर्षक विज्ञापन प्रमोट करते हैं। किसी थर्ड पार्टी लिंक से एप डाउनलोड कराना साइबर क्रिमिनल्स यूजर को थर्ड पार्टी लिंक या किसी वेबसाइट से एप डाउनलोड कराते हैं। एप इंस्टॉल करते ही कई तरह की परमिशन (जैसे कैमरा, कॉन्टैक्ट्स, फाइल्स, SMS) का एक्सेस मांगते हैं। KYC के नाम पर डेटा कलेक्शन इसके बाद एप आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, बैंक डिटेल्स जैसी बैंकिंग डिटेल मांगता है, जो असली लगने वाले फॉर्मेट में होते हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जाता है। नाम मात्र का लोन या प्रोसेसिंग फीस कुछ फेक एप्स 1,000-2,000 रुपए का लोन देकर पहले यूजर का भरोसा जीतते हैं। वहीं कुछ सिर्फ प्रोसेसिंग फीस लेकर गायब हो जाते हैं। कई बार कोई लोन दिया ही नहीं जाता है। डेटा के जरिए ब्लैकमेलिंग एप यूजर के फोन में मौजूद फोटो, कॉन्टैक्ट्स और फाइल्स को एक्सेस कर लेता है। जब यूजर पैसे नहीं लौटाता या विरोध करता है तो उसे बदनाम करने की धमकी मिलती है। जैसे ‘आपके फोटो मॉर्फ करके वायरल कर देंगे’ या ‘आपके रिश्तेदारों को गलत मैसेज भेजेंगे।’ मानसिक दबाव बनाकर ठगी डर के कारण कई लोग पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। यह साइबर फ्रॉड सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक उत्पीड़न का भी कारण बनता है। सवाल- कोई लोन एप असली है या नकली, इसकी कैसे पहचान कैसे कर सकते हैं? जवाब- भारत में लोन एप्स को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ रजिस्टर कराना अनिवार्य है। अगर कोई एप RBI की वेबसाइट पर नहीं है तो उसे बिल्कुल इंस्ट्रॉल न करें। नीचे दिए ग्राफिक में फेक लोन एप्स की पहचान के कुछ आसान तरीके देख सकते हैं। सवाल- कोई भी लोन एप डाउनलोड करने से पहले किन बातों की ध्यान रखना चाहिए? जवाब- आजकल कई डिजिटल लोन एप्स चंद मिनटों में लोन देने का दावा करते हैं, लेकिन इनमें से कई एप्स फर्जी और धोखाधड़ी वाले भी होते हैं। ऐसे में लोन एप डाउनलोड करने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि आप साइबर फ्रॉड और डेटा लीक जैसे खतरों से बच सकें। सवाल- लोन के लिए सुरक्षित विकल्प क्या हैं? जवाब- हमेशा लोन लेने के लिए RBI से रजिस्टर्ड बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFCs) पर ही भरोसा करें। ये एप्स सुरक्षित होते हैं और आपकी पर्सनल जानकारी को गुप्त रखते हैं। इन एप्स की पहचान आप उनकी आधिकारिक वेबसाइट्स, प्ले स्टोर प्रोफाइल और RBI पोर्टल से क्रॉस-वेरिफाई कर सकते हैं। सवाल- RBI द्वारा जारी डिजिटल लेंडिंग एप्स की लिस्ट कहां देख सकते हैं? जवाब- RBI ने डिजिटल लोन देने वाले अधिकृत एप्स और प्लेटफॉर्म्स की एक लिस्ट तैयार की है, जो यह बताती है कि कौन-से एप्स RBI से रजिस्टर्ड बैंक या NBFCs से जुड़े हैं। इस लिस्ट को देखने के लिए आप RBI की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। इसमें What’s New या Press Releases सेक्शन में या सीधे RBI के द्वारा लॉन्च किए गए CIMS पोर्टल (Centralised Information Management System) से डिजिटल लेंडिंग एप्स की जानकारी हासिल की जा सकती है। सवाल- अगर किसी ने गलती से फेक लोन एप डाउनलोड कर लिया हो तो क्या करें? जवाब- ऐसी स्थिति में तुरंत इन पॉइंट्स को फॉलो करें। ………………… ये खबर भी पढ़ें… वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी, जानिए क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’:फोन पर धमकी मिले तो क्या करें केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, भारत में 2024 के पहले 10 महीनों के भीतर ही डिजिटल अरेस्ट स्कैम के जरिए 2,140 करोड़ रुपए की ठगी हुई। यानी कि डिजिटल स्कैम से औसतन हर महीने 214 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी हो रही है। इसलिए इससे बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है। पूरी खबर पढ़िए…