सावन के हर मंगलवार को अखंड सौभाग्य और समृद्धि की कामना से की जाती है देवी पार्वती की पूजा

हिंदू कैलेंडर में सावन महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस बार यह मंगलवार 7 जुलाई से शुरू हो रहा है। काशी के ज्योतिषाचार्य और धर्म शास्त्रों के जानकार पं. गणेश मिश्र ने बताया कि अविवाहितों के अलावा यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए भी सौभाग्यशाली माना जाता है। इसलिए इस दिन माता मंगला गौरी यानी पार्वती की पूजा करके मंगला गौरी की कथा सुनना चाहिए।

व्रत का महत्व
पं. मिश्रा का कहना है कि अविवाहित महिलाओं के मंगला गौरी व्रत करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। इससे सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी होती है या शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है।

व्रत और पूजा विधि

  1. मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर नहाएं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
  2. इसके बाद सौभाग्य और समृद्धि के लिए मंगला गौरी व्रत करने का संकल्प लें।
  3. फिर मां मंगला गौरी यानी पार्वतीजी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को लाल कपड़े पर रखना चाहिए।
  4. एक बार यह व्रत शुरू करने के बाद इस व्रत को लगातार पांच सालों तक किया जाता है।
  5. मां गौरी की पूजा करने के बाद उनको 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां और मिठाई चढ़ाई जाती है।
  6. पूजा में चढ़ाई गई सभी चीजें सोलह की संख्या में होनी चाहिए।
  7. इसके अलावा 5 तरह के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए।
  8. पूजा में आटे से बना दीपक घी जलाएं। पूजा, आरती करें। पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुननी चाहिए।
  9. पांच साल तक मंगला गौरी पूजन करने के बाद पांचवें साल सावन के आखिरी मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।

व्रत कथा
लोक कथा के अनुसार धर्मपाल नाम के सेठ के पास बहुत सारी धन-संपत्ति थी। पत्नी भी अच्छी थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। इसलिए वह दुखी रहता था। लंबे समय बाद भगवान की कृपा से उसे एक पुत्र हुआ। पुत्र के लिए ज्योतिषियों की भविष्यवाणी थी कि बच्चे की उम्र कम रहेगी और उम्र के सोलहवें साल में सांप के डसने से मृत्यु होगी।
जब पुत्र थोड़ा बड़ा हुआ तो उसकी शादी ऐसी लड़की से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत करती थीं। इस व्रत को करने वाली महिला की बेटी को आजीवन पति का सुख मिलता है और वह हमेशा सुखी रहती है। इसलिए इस व्रत के शुभ प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र को भी लंबी उम्र मिली।

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Mangala Gauri Vrat is started every Tuesday of the month of Sawan with the wish of unbroken good fortune and prosperity Goddess Parvati is worshiped