शिवजी के प्रिय सावन माह के कुछ ही दिन शेष हैं। इस माह में पारद शिवलिंग की विशेष पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार लिंगपुराण और शिवपुराण में पारद शिवलिंग का महत्व बताया गया है। वास्तु में भी पारद शिवलिंग को घर के दोष दूर करने वाला माना गया है।
शिवमहापुराण के अनुसार –
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।।
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।
इस श्लोक में बताया गया है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है।
घर में रखें छोटा सा पारद शिवलिंग
घर में हाथ के अंगूठे के पहले भाग से बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। जहां शिवलिंग रखा हो, वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। रोज सुबह-शाम शिवलिंग के पास दीपक जलाएं। भोग लगाएं। घर में क्लेश न करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें।
तरल धातु पारे से कैसे बनता है शिवलिंग
पारा तरल धातु है। इससे शिवलिंग बनाने का काम बहुत मुश्किल है। सबसे पहले पारे को साफ किया जाता है। इसके लिए अष्ट-संस्कार किए जाते हैं। इसके बाद कई औषधियां मिलाकर तरल पारे का बंधन किया जाता है यानी ठोस किया जाता है। अष्ट संस्कार में करीब 6 महीने लगते हैं। इसके बाद शेष क्रियाओं में 2-3 माह का समय और लग जाता है, तब पारे से शिवलिंग बनकर तैयार होता है।