देश में बेरोजगारी की दर घटी है। सितंबर में बेरोजगारी की दर 6.67% रही। जबकि अगस्त में यह 8.35% रही थी। बेरोजगारी की यह दर पिछले 18 महीने के निचले स्तर पर है। सीएमआईई ने कहा कि सितंबर में बेरोजगारी कम जरूर हुई है लेकिन इतना भी कम नहीं कि जश्न मनाया जा सके।
शहरी और ग्रामीण बेरोजगारी दर भी घटी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक सितंबर में शहरी और ग्रामीण बेरोजगारी दर भी घटी है, जो क्रमश: 8.45% और 5.86% के स्तर पर पहुंच गई है। डेटा के मुताबिक सितंबर में जॉब लॉस रेट 6.67% आंकी गई है, जो अगस्त में 8.35% रही थी।
इस पर सीएमआईई का कहना है कि सितंबर के लिए साप्ताहिक श्रम बाजार के दूसरे आंकड़ों से अगस्त के मुकाबले हालात बुरे होने के संकेत मिल रहे हैं, जबकि अगस्त में श्रम बाजार के लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौटने की प्रक्रिया में ठहराव नजर आया था।
बेरोजगारी पिछले 18 महीने में सबसे निचले स्तर पर
सीएमआईई ने बेरोजगारी दर को लेकर सितंबर के पहले तीन हफ्तों के आंकड़े जारी किए हैं, जो पिछले 18 महीने में सबसे निचले स्तर पर है। इससे पहले मार्च 2019 में बेरोजगारी की दर 6.65% रही थी। इसके बाद राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ी है, जो अप्रैल 2020 में रिकॉर्ड 23.52% तक पहुंची गई थी।
श्रम भागीदारी दर
आंकड़ों के मुताबिक 20 सितंबर को 30 दिन में औसत श्रम भागीदारी दर (LPR) 40.30% रहा, जो अगस्त की तुलना में खराब स्थिति में है। इस पर सीएमआईई के सीईओ महेश व्यास ने कहा कि एलपीआर में 16 अगस्त के बाद गिरावट होनी शुरू हो गई थी।
जबकि जून से अगस्त के बीच तक एवरेज एलपीआर करीब 40.9% रहा, जो मिड अगस्त से मिड सितंबर तक यह औसत गिरकर 40.45% पर आ गया। गिरती श्रम भागीदारी दर (LPR) का मतलब है कि काम करने वाली आबादी का एक छोटा सा हिस्सा काम कर रहा है या बेरोजगार है और रोजगार की तलाश में है।
बेरोजगारी की दर अप्रैल और मई में सबसे बुरी
कोरोना महामारी को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में रोजगार को लेकर सबसे बुरा दौर रहा। अप्रैल और मई में बेरोजगारी दर क्रमश: 23.52% और 21.7% रही। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, इसी दौरान शहरी बेरोजगारी दर अप्रैल में 25% और मई में 23.14% रही।