सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग (EC) से ऐसे दागी नेताओं की लिस्ट मांगी जिन पर से उसने चुनाव लड़ने से बैन के पीरियड को कम कर दिया या हटा दिया। कोर्ट ने EC से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। इसके अलावा कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि EC से जानकारी मिलने के बाद 2 हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करें। दरअसल रिप्रजेंटेंशन ऑफ पीपल एक्ट (RPA), 1951 में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर वह 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। भले ही उसे जमानत मिल गई हो या फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट में मामला चल रहा हो। इसी एक्ट के सेक्शन 11 के तहत EC के पास ताकत है कि वह किसी मामले में इस अवधि को कम या पूरी तरह हटा सकता है। ऐसा करने पर स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा। मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच कर रही है। 2016 में लगाई गई थी याचिका… केस की टाइमलाइन कोर्ट ने निचली अदालतों में धीमी सुनवाई पर चिंता जताई ——————————————-
सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- गवाही की कोई उम्र सीमा नहीं होती, 7 साल की बच्ची के बयान पर मां के हत्यारे पिता को उम्रकैद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गवाह की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। अगर कोई बच्चा गवाह देने में सक्षम है तो उसकी गवाही उतनी ही मान्य होगी, जितनी किसी और गवाह की। दरअसल, कोर्ट ने 7 साल की बच्ची के गवाह के आधार पर हत्यारे पति को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। बच्ची ने अपने पिता को मां की हत्या करते देखा था। पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- गवाही की कोई उम्र सीमा नहीं होती, 7 साल की बच्ची के बयान पर मां के हत्यारे पिता को उम्रकैद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गवाह की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। अगर कोई बच्चा गवाह देने में सक्षम है तो उसकी गवाही उतनी ही मान्य होगी, जितनी किसी और गवाह की। दरअसल, कोर्ट ने 7 साल की बच्ची के गवाह के आधार पर हत्यारे पति को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। बच्ची ने अपने पिता को मां की हत्या करते देखा था। पूरी खबर पढ़ें…