सुप्रीम कोर्ट में आज से मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) की नियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई होगी। 4 दिसंबर को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था, इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया गया। यह सुनवाई 2 मार्च 2023 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले से जुड़ी है, जिसमें कहा गया था कि CEC और EC की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल की तरफ से की जाएगी। इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सुनाया था। इस बेंच में CJI संजीव खन्ना भी शामिल थे, जो उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस थे। हालांकि 21 दिसंबर 2023 को सरकार ने एक नया विधेयक पारित किया, जिसमें चीफ जस्टिस को पैनल से हटा दिया गया और उनकी जगह प्रधानमंत्री की तरफ से चुने गए एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किए जाने का निर्णय लिया गया। केंद्र सरकार के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर की है। इस विवाद के बावजूद केंद्र ने मार्च 2024 में ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को इलेक्शन कमिश्नर नियुक्त किया था। अब जानिए क्या है पूरा मामला… 2 मार्च 2023: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- सिलेक्शन पैनल में CJI को शामिल करना जरूरी
CEC और EC की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI भी शामिल होंगे। इससे पहले सिर्फ केंद्र सरकार इनका चयन करती थी। यह कमेटी CEC और EC के नामों की सिफारिश राष्ट्रपति से करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। तब जाकर उनकी नियुक्ति हो पाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। 21 दिसंबर 2023: संसद के दोनों सदनों में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा नया बिल पास केंद्र सरकार CEC और EC की नियुक्ति, सेवा, शर्तें और अवधि से जुड़ा नया बिल लेकर आई। इसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। पैनल से CJI को बाहर रखा गया था। 21 दिसंबर 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल दोनों सदनों में पास हो गया। नए कानून पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी
विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें। नया कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन
कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि धारा 7 और 8 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन है क्योंकि यह चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र तंत्र (independent mechanism) प्रदान नहीं करता है। याचिका में यह कहा भी गया है कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को पलटने के लिए बनाया गया, जिसने CEC और EC को एकतरफा नियुक्त करने की केंद्र सरकार की शक्तियां छीन ली थीं। यह वो प्रथा है जो देश की आजादी के बाद से चली आ रही है। चुनाव आयोग में कितने आयुक्त हो सकते हैं?
चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं, इसे लेकर संविधान में कोई संख्या फिक्स नहीं की गई है। संविधान का अनुच्छेद 324 (2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि इनकी संख्या कितनी होगी। आजादी के बाद देश में चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे। 16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की। इससे चुनाव आयोग एक बहु-सदस्यीय निकाय बन गया। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहली की गई थीं। उस वक्त कहा गया कि यह मुख्य चुनाव आयुक्त आरवीएस पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए की गई थीं। 2 जनवरी 1990 को वीपी सिंह सरकार ने नियमों में संशोधन किया और चुनाव आयोग को फिर से एक सदस्यीय निकाय बना दिया। एक अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने फिर अध्यादेश के जरिए दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को मंजूरी दी। तब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बने: छह महीने का कार्यकाल; इस दौरान मैरिटल रेप समेत 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। 11 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर्ड हो चुके हैं। गौरतलब है कि जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…
CEC और EC की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI भी शामिल होंगे। इससे पहले सिर्फ केंद्र सरकार इनका चयन करती थी। यह कमेटी CEC और EC के नामों की सिफारिश राष्ट्रपति से करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। तब जाकर उनकी नियुक्ति हो पाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। 21 दिसंबर 2023: संसद के दोनों सदनों में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा नया बिल पास केंद्र सरकार CEC और EC की नियुक्ति, सेवा, शर्तें और अवधि से जुड़ा नया बिल लेकर आई। इसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। पैनल से CJI को बाहर रखा गया था। 21 दिसंबर 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल दोनों सदनों में पास हो गया। नए कानून पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी
विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें। नया कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन
कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि धारा 7 और 8 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन है क्योंकि यह चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र तंत्र (independent mechanism) प्रदान नहीं करता है। याचिका में यह कहा भी गया है कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को पलटने के लिए बनाया गया, जिसने CEC और EC को एकतरफा नियुक्त करने की केंद्र सरकार की शक्तियां छीन ली थीं। यह वो प्रथा है जो देश की आजादी के बाद से चली आ रही है। चुनाव आयोग में कितने आयुक्त हो सकते हैं?
चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं, इसे लेकर संविधान में कोई संख्या फिक्स नहीं की गई है। संविधान का अनुच्छेद 324 (2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि इनकी संख्या कितनी होगी। आजादी के बाद देश में चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे। 16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की। इससे चुनाव आयोग एक बहु-सदस्यीय निकाय बन गया। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहली की गई थीं। उस वक्त कहा गया कि यह मुख्य चुनाव आयुक्त आरवीएस पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए की गई थीं। 2 जनवरी 1990 को वीपी सिंह सरकार ने नियमों में संशोधन किया और चुनाव आयोग को फिर से एक सदस्यीय निकाय बना दिया। एक अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने फिर अध्यादेश के जरिए दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को मंजूरी दी। तब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बने: छह महीने का कार्यकाल; इस दौरान मैरिटल रेप समेत 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बन गए हैं। 11 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर्ड हो चुके हैं। गौरतलब है कि जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…