सेल में चंद मिनट में ही बिक जा रहे गैजेट्स, स्मार्टफोन की बिक्री ने पिछले साल के रिकॉर्ड तोड़े

कश्मीर से कन्याकुमारी तक, जहां तक हमारे देश की सीमाएं हैं, वहां तक ‘बॉयकॉट चाइन’ के सुर सुनाई दे रहे हैं। वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम तक, लगभग सभी सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग इस विरोध के साथ खुद को सच्चा देशभक्त साबित करने में लगे हैं। इस विरोध के पीछे की वजह है चीनी सैनिकों द्वारा 20 भारतीय सैनिकों की हत्या।

हम चीन के लगभग सभी प्रोडक्ट्स का विरोध कर रहे हैं। यही वजह है कि देश में चीनी कंपनियों की सेल्स के आंकड़े गड़बड़ा गए हैं। लेकिन हकीकत अलग कहानी बयां करती है।

दरअसल, सोशल मीडिया और खबरों में दिखने वाले विरोध की पोल उस वक्त बार-बार खुल जाती है, जब चीन के फोन की डिमांड हमारे देश में सारे रिकॉर्ड तोड़ देती है। इसका ताजा उदाहरण वनप्लस नॉर्ड है। इस चीनी स्मार्टफोन को इतनी ज्यादा प्री-बुकिंग मिली की कंपनी को अपनी सेल टालनी पड़ गई।

वनप्लस नॉर्ड तो एक छोटा सा उदाहरण है, क्योंकि जब भी बात चीनी स्मार्टफोन, टीवी या दूसरे गैजेट्स की आती है, तो भारतीय ग्राहकों के चीनी विरोधी स्वर दब जाते हैं। इन प्रोडक्ट की सेल महज मिनटों में खत्म हो जाती है।

वनप्लस का भारत में दबदबा

मिड बजट में प्रीमियम स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी वनप्लस का सबसे लेटेस्ट मॉडल वनप्लस नॉर्ड है। दमदार हार्डवेयर और पावरफुल कैमरा से लैस इस फोन की शुरुआती कीमत 27,999 रुपए है। इतनी कीमत में कंपनी 8GB रैम और 128GB स्टोरेज देगी। वनप्लस ने क्वालिटी के मामले में कभी समझौता नहीं किया। यही वजह है कि थोड़े महंगे होने के बाद भी इसके स्मार्टफोन की डिमांड हमेशा रहती है।

18 जून अमेजन इंडिया पर वनप्लस प्रो 8 की सेल थी। जब फोन की सेल शुरू हुई तो वो चंद मिनट में ही खत्म हो गई। अमेजन ने इस बात की जानकारी नहीं दी थी कि सेल कितने मिनट में खत्म हुई, लेकिन इस दौरान इस हैंडसेट की सभी यूनिट बिक गईं। कहने को फोन की शुरुआती कीमत 54,999 रुपए है।

चीनी गैजेट्स: सस्ते भी, अच्छे भी

अब ये कहना गलत होगा कि चीन प्रोडक्ट की लाइफ नहीं होती। देश के अंदर चीनी कंपनियों की जड़ें मजबूत होने का सबसे पहला और मजबूत कारण स्मार्टफोन की क्वालिटी और भरोसा रहा है। शाओमी, वीवो, ओप्पो, रियलमी समेत दूसरी चीनी कंपनियों के स्मार्टफोन ने लोगों को बेहतर सर्विस दी है। यानी कम कीमत वाले स्मार्टफोन सालों-साल सर्विस दे रहे हैं।

इस बात का यूं भी समझा जा सकता है कि कोविड-19 महामारी और चीनी विरोध स्वर के बीच चीनी स्मार्टफोन की बिक्री पर ज्यादा असर नहीं हुआ। बल्कि कंपनियों के सेल्स के आंकड़ों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है।

हालांकि, इस साल के दूसरे क्वार्टर में चीनी कंपनियों के मार्केट शेयर में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई है। साल के पहले क्वार्टर में जहां चीनी कंपनियां का मार्केट शेयर 81 प्रतिशत था, वो दूसरे क्वार्टर में घटकर 72 प्रतिशत पर आ गया।

लैपटॉप, नेकबैंड जैसे प्रोडक्ट की भी जबर्दस्त मांग

ऐसा नहीं है कि भारतीयों को सिर्फ चीनी स्मार्टफोन पंसद है, बल्कि चीनी लैपटॉप, नेकबैंड जैसे प्रोडक्ट भी पसंद आते हैं। 17 जून को शाओमी ने मी नोटबुक 14 सीरीज लैपटॉप की पहली सेल आयोजित की। ये सेल कंपनी की ऑफिशियल साइट पर मिनटों में खत्म हो गई।

भारतीय कंपनियों के पास अभी विकल्प नहीं

चीनी प्रोडक्ट बॉयकॉट के बीच माइक्रोमैक्स, लावा, कार्बन जैसी कंपनियों ने दो महीने पहले वापसी की घोषणा कर दी थी, लेकिन अब तक इनका कोई प्रोडक्ट बाहर नहीं आया है। भारतीय कंपनियों को क्वालिटी के साथ प्राइस सेगमेंट में भी चीनी स्मार्टफोन का कड़ा सामना करना पड़ेगा। ऐसे में जब तक इन कंपनियों के फोन बाजार में नहीं उतरते, लोगों के सामने सस्ते स्मार्टफोन के तौर पर सिर्फ चीनी कंपनियों के विकल्प हैं।

सस्ता आईफोन अभी भी सपना

एपल भारतीय प्लांट में सस्ता आईफोन तैयार कर रही है, लेकिन कई महीनों के बाद भी ये लॉन्च नहीं हो पाया है। भारतीय बाजार में अभी सबसे सस्ता लेटेस्ट आईफोन मॉडल आईफोन SE है, जिसकी शुरुआती कीमत 42,500 रुपए है। यानी चीनी स्मार्टफोन की तुलना में ये चार गुना तक महंगे हैं।

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