सेहतनामा- अरबपति सिंगर सेलेना गोमेज कभी मां नहीं बन सकतीं:कारण ऑटोइम्यून डिजीज लूपस, इस बीमारी में शरीर क्यों बन जाता दुश्मन

प्रसिद्ध अमेरिकन सिंगर और बिजनेस वुमेन सेलेना गोमेज ने सितंबर की शुरुआत में ब्लूमबर्ग बिलेनियर की सूची में अपनी जगह बनाई। महज 32 साल की उम्र में किसी महिला सिंगर के लिए यह बहुत बड़ा मुकाम है। इसे लेकर देश-दुनिया में खूब चर्चा हुई। लेकिन चंद रोज नहीं गुजरे कि सेलेना एक बार फिर से खबरों में हैं। उन्होंने खुलासा किया है कि वो कभी मां नहीं बन सकती हैं। उन्होंने कहा, “मैंने कभी ये कल्पना भी नहीं की थी कि दुर्भाग्य से मैं अपने बच्चे को खुद जन्म नहीं दे सकती हूं। मेरे साथ कई मेडिकल प्रॉब्लम्स हैं, जिनके चलते मेरे बच्चे की जिंदगी को खतरा हो सकता है। अपने बारे में यह पता चलने के बाद मैं लंबे समय तक शोक में रही हूं।” सेलेना के मां न बन पाने का कारण ये है कि उन्हें लूपस नाम की ऑटोइम्यून डिजीज है। इसके चलते साल 2017 में उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ा था। इस बीमारी में इम्यून सिस्टम हाइपर एक्टिव हो जाता है और शरीर के ऑर्गन्स और टिश्यूज को दुश्मन समझकर उन पर हमला करने लगता है। इसके कारण इंफ्लेमेशन हो जाता है, जो किडनी, फेफड़ों और हार्ट जैसे महत्वपूर्ण ऑर्गन्स को प्रभावित कर सकता है। साथ ही इनके डैमेज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। कई बार यह डिजीज प्रेग्नेंसी को भी प्रभाावित कर सकती है। अमेरिकन लूपस फाउंडेशन के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 50 लाख लोग लूपस के किसी-न-किसी रूप से प्रभावित हैं। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे लूपस की। साथ ही जानेंगे कि- लूपस क्या है लूपस एक ऐसी कंडीशन है, जो पूरे शरीर में इंफ्लेमेशन का कारण बनती है। यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इस कंडीशन में हमारा इम्यून सिस्टम शरीर की रक्षा करने की बजाय उसे ही नुकसान पहुंचाने लगता है। इसके लक्षण शरीर के किसी भी हिस्से में दिख सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि ऑटोइम्यून सिस्टम शरीर के किस भाग के टिश्यूज को नुकसान पहुंचा रहा है। लूपस के लक्षण क्या हैं लूपस पूरे शरीर में लक्षण पैदा कर सकता है। इस ऑटोइम्यून डिजीज के कारण शरीर के जिस अंग या टिश्यू पर अधिक असर होता है, लक्षण भी वहीं अधिक नजर आते हैं। इसलिए इसके लक्षणों का अनुभव भी हर शख्स को अलग-अलग हो सकता है। लूपस के लक्षण आमतौर पर इस तरह आते और जाते हैं, जैसेकि समंदर में ज्वार-भाटा। जब दौरान इसके लक्षण भड़कते हैं तो ये इतने गंभीर हो सकते हैं कि इससे दिनचर्या तक प्रभावित हो सकती है। जिस दौरान इसके लक्षण हल्के होते हैं तो डिजीज से प्रभावित शख्स सामान्य जिंदगी जी सकता है। ऑटोइम्यून डिजीज होने पर इसके लक्षण आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे विकसित होते हैं। शुरुआती दिनों में इसके एक या दो लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता है, इसके कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं। आमतौर पर इसमें किस तरह के संकेत मिलते हैं, ग्राफिक में देखिए। लूपस डिजीज के कारण शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ता रहता है और टिश्यूज प्रभावित होते रहते हैं। इसके कारण कई अन्य हेल्थ कंडीशंस भी बन सकती हैं, जैसेकि- लूपस का खतरा किसे है लूपस एक ऑटोइम्यून डिजीज है। यह किसी को भी हो सकती है। यह संक्रामक बीमारी नहीं है। इसका मतलब है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी नहीं है। इसके बावजूद यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। लूपस क्यों होता है अभी तक लूपस होने के पीछे किसी सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। हालांकि कुछ हेल्थ कंडीशंस और हमारे आसपास का वातावरण लूपस को ट्रिगर कर सकते हैं। आइए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं। आनुवांशिक कारण: लूपस फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के मुताबिक, करीब 50 जीन ऐसे हैं, जो लूपस के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए कुछ जेनेटिक म्यूटेशन होने से लूपस होने की आशंका अधिक हो सकती है। हॉर्मोनल असंतुलन: नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, शरीर में कुछ हॉर्मोन्स के रिएक्शन से लूपस डेवलप होने की अधिक आशंका हो सकती है। एस्ट्रोजन लेवल बढ़ने से भी इस डिजीज के डेवलप होने का जोखिम बढ़ सकता है। इन्वायरमेंटल टॉक्सिन्स : किसी को लूपस डेवलप होने की कितनी आशंका है, यह इस पर भी निर्भर करता है कि कोई कितने प्रदूषित क्षेत्र में रहता है या फिर सन लाइट का एक्सपोजर कितना है। अधिक प्रदूषण और अधिक सन लाइट एक्सपोजर इस खतरे को बढ़ा सकते हैं। हेल्थ कंडीशंस: अगर कोई लंबे समय से स्मोकिंग कर रहा है, अक्सर तनाव में रहता है, कुछ ऑटोइम्यून हेल्थ कंडीशंस पहले से हैं तो इन सभी कारणों से लूपस ट्रिगर हो सकता है। कुछ दवाएं: आर्थराइटिस, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज और स्पॉन्डिलाइटिस के लिए दी जाने वाली दवाओं के कारण भी लूपस डेवलप होने का जोखिम बढ़ सकता है। लूपस का ट्रीटमेंट क्या है अभी तक लूपस के इलाज के लिए खास दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि कुछ दवाओं की मदद से इसके लक्षण जरूर कम किए जा सकते हैं। डॉक्टर्स इलाज शुरू करने से पहले यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि लूपस से प्रभावित किसी शख्स के किस अंग को खतरा है। इसके बाद वह दवाओं की मदद से नुकसान को कम करने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही ऑटोइम्यून डिजीज के प्रभाव कम करने और शरीर के इंफ्लेमेशन को कम करने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव भी मददगार साबित हो सकते हैं। लूपस होने पर लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी हैं डॉक्टर दवाओं के साथ लक्षणों को कम करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह भी देते हैं। इनमें कुछ बदलाव बहुत जरूरी हैं, जैसे: